मेट्रो परिसर में लगेंगे फेस रिकग्निशन कैमरे
भोपाल । यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश में पहली बार भोपाल-इंदौर मेट्रो में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इनेबल वीडियो एनालिटिक्स साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसकी मदद से स्टेशन में प्रवेश करते ही अपराधियों या गुमशुदा बच्चों की पहचान हो जाएगी। इसके लिए मेट्रो स्टेशन के प्रतीक्षालय, रिजर्वेशन काउंटर, पार्किंग एरिया, मुख्य प्रवेश, निकास, प्लेटफार्म, फुट ओवर ब्रिज, बुकिंग कार्यालय समेत मेट्रो कोच के अंदर एवं अन्य स्थानों पर चेहरा पहचानने के लिए फेस रिकग्निशन कैमरे लगाए जाएंगे। इससे मेट्रो स्टेशन व परिसर में हिंसा, लूट व चोरी की घटना रिकार्ड होते ही अलार्म बजेगा, इससे सुरक्षाकर्मी तुंरत मौके पर पहुंचेंगे।
मप्र मेट्रो कार्पोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि मेट्रो ट्रेन के कोच और स्टेशन के साथ अन्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इनमें कैप्चर होने वाले वीडियो से संदिग्ध व्यक्ति का चेहरा मिलान कर वीडियो एनालिटिक्स सिस्टम के जरिए उसकी पहचान की जाएगी। इसके लिए आर्टिफिशियल इटेलिजेंस सिस्टम की मदद ली जाएगी। इसकी मदद से अपराधियों का डाटा तैयार किया जाएगा। जिसमें अपराधियों और गुमशुदा बच्चों के फोटो अपलोड किए जाएंगे। अपराधी जैसे ही कैमरे के संपर्क में आएगा, अलार्म बजना शुरू हो जाएगा। इस सिस्टम को मेट्रो के सेंट्रल सर्वर से जोड़ा जाएगा। लंबे समय तक वीडियो फुटेज संरक्षित रखे जा सकेंगे। खास बात यह होगी कि इस सिस्टम के तहत चश्मा पहने हुए व्यक्ति पहचान करना भी आसान होगा।
मनोभावों को समझकर कमांड सेंटर में भेजेंगे संदेश
यहां लगाए जाने वाले आर्टिफिशियल इटेंलिजेंस आधारित कैमरे आमतौर पर मनोभावों की पहचान करने और संभावित सुरक्षा जोखिमों को चिह्नित करने या संकटग्रस्त लोगों के बारे में सचेत करने में सक्षम होंगे। उदाहरण के लिए एक कैमरा चेहरे के भावों के माध्यम से क्रोध और आंदोलन, रोना या तनाव का पता लगा सकता है, और व्यक्ति की हरकतों के आधार पर यह सुरक्षा टीमों को किसी के चोरी करने की संभावना के बारे में सचेत कर सकता है। हिंसा या खुद को नुकसान पहुंचाना आदि। इसी तरह ये सीसीटीवी खोए हुए बच्चों की पहचान और चिकित्सा आपात स्थिति का पता लगाने में भी सहायक होंगे।
पुलिस के अपराध डाटाबेस से जुडेंगे सीसीटीवी
ये सीसीटीवी लोगों को ट्रैक करने के लिए आसपास के अन्य कैमरों से फुटेज स्कैन कर सकते हैं। क्योंकि वे नेटवर्क के चारों ओर घूमते हैं। इसमें लोगों की पहचान और रिपोर्टिंग को सक्षम करने के लिए सिस्टम को पुलिस के अपराध डेटाबेस से भी जोड़ा जा सकता है। भले ही कुछ बिंदुओं पर व्यक्ति का चेहरा स्पष्ट रूप से दिखाई न दे, वे ऐसे कपड़ों की विशेषताओं के माध्यम से सटीक रूप से ट्रैक कर सकते हैं।
स्वचलित आपरेशन और ऊर्जा संरक्षण से बचेंगे एक हजार करोड़ रुपये
भोपाल और इंदौर में चलने वाली मेट्रो ट्रेन गोवा-4 (ग्रेड फार आटोमेशन) तकनीकी संचालित की जाएगी। ये मेट्रो ट्रेन स्वचलित होंगी। वहीं, ट्रेन का संचालन थर्ड रेल तकनीकी से किया जाएगा। यानी मेट्रो ट्रेन पटरी में प्रवाहित करंट से संचालित होगी। इससे 40 से 45 फीसद तक ऊर्जा की बचत होगी। अधिकारियों का दावा है कि स्वचलित तकनीकी और ऊर्जा संरक्षण की मदद से मप्र मेट्रो को 35 वर्षों में एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी।