समावेशी विकास की ओर मप्र के सीएम के बढ़ते कदम
देश में समावेशी विकास एक बड़ी चुनौति है। सरकारों की गलत नीतियों से बड़े और बड़े एवं गरीब और गरीब होता जा रहा है। सरकारें राजनीतिक लाभ के लिए उद्यम क्षेत्र में भी उन्ही लोगों को पहली प्राथमिकता में लेती दिखती है जो या तो नेताओं का करीबी हो या फिर कहीं ना कहीं से सरकार के लिए चंदा वसूली या वोट बैंक का माध्यम हो।
इस बीच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव प्रदेश के समावेशी विकास की ओर कदम बढ़ाते हुए दिखते हैं। कई उद्यमी कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री की मंशा बड़े उद्योगों को स्थापित करने के साथ छोटे उद्यमियों को अधिक प्राथमिकता देना संकेत करता है की सीएम सही राह पर चल रहे हैं।
कृषि उद्योग में सुधार के लिए बड़ा मसौदा तैयार
मप्र में डबल इंजन की सरकार में कृषि क्षेत्र को बदलने के लिए कई मसौदे तैयार किये जा रहे हैं। इन परियोजनाओं में कृषि.औद्योगिक परिसर का विकास, बेहतर पैमाने की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने के लिए उत्पादन क्षमता को बढ़ाना, छोटे खेतों के लिए समर्थन, कृषि मशीनरी का उन्नयन और नवीनीकरण, और नवीन समाधानों और आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकियों का अनुप्रयोग शामिल है।
सरकार का लक्ष्य अधिक कृषि-औद्योगिक परिसरों की स्थापना करके कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना है, दूसरे शब्दों में, एकीकृत क्लस्टर या सुविधाएँ जो कृषि उत्पादन,प्रसंस्करण,भंडारण और वितरण को जोड़ती उनका विकास करना है।
सरकार का लक्ष्य डेयरी उत्पादों और चीनी जैसे कुछ आयात.निर्भर खाद्य उत्पादों में आत्मनिर्भरता हासिल करना और घरेलू उत्पादन के माध्यम से निर्यात क्षमता का विस्तार करना है।
समावेशीकरण की बड़ी पहल में ये
- एफपीओ के माध्यम से उद्यमिता
- समूहों के माध्यम से उद्यमिता
- एनजीओ के माध्यम से सामाजिक उद्यमी तैयार करना
- महिला उद्यमियों को पहली प्राथमिकता
- स्टार्टअप को पूरा सहयोग
- एमएसएमई का और विस्तार
- टूरिज्म सेक्टर को बढ़ावा