मिशनरी स्कूलों का अनुदान रद करवाएगा बाल अधिकार संरक्षण आयोग
भोपाल। आदिवासी नाबालिग छात्राओं के यौन शोषण के मामले में फंसा डिंडौरी के जुनवानी का मिशनरी हायर सेकेंडरी स्कूल राज्य सरकार से अनुदान भी ले रहा था और बच्चों से फीस भी। स्कूल प्रति छात्र 1500 रुपये प्रति महीने के हिसाब से मध्य प्रदेश सरकार से अनुदान (शिष्यवृत्ति) प्राप्त करता है। इसमें लगभग 450 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं यानी इसे एक साल में करीब 75 लाख रुपये केवल सरकारी अनुदान से प्राप्त हो रही है। इसके अलावा स्कूल संचालित करने वाला एनजीओ छात्र-छात्राओं से आवासीय फीस भी वसूलता है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अनुदान के साथ विद्यार्थियों से फीस वसूलने को अनुदान नियमों के विपरीत बताया है। आयोग इस मामले में राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजकर मिशनरी स्कूल का अनुदान रद करवाएगा।
आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन नईदुनिया को बताया कि प्रदेश के आदिवासी अंचल में सरकारी अनुदान से चल रहे मिशनरी प्रबंधन के ऐसे 20 छात्रावास और स्कूल संदेह के दायरे में हैं। इनकी भी आयोग जांच करेगा। आयोग को संदेह है कि इन स्कूलों में भी ऐसी शिकायतें मिल सकती हैं।
जुनवानी का मिशनरी हायर सेकेंडरी स्कूल 86 वर्ष पुराना है। जांच में पाया गया कि स्थापना के बाद से ही इसकी संचालक संस्था को अलग-अलग तरह के अनुदान मिलते रहे हैं। आयोग की जांच में पता चला कि डायोकेशनल सोसाइटी जबलपुर द्वारा संचालित इस मिशनरी स्कूल को 1996 तक शासकीय अनुदान प्राप्त होता रहा है। शासकीय अनुदान प्राप्त स्कूल की योजना खत्म किए जाने के बाद से भी यह स्कूल अलग-अलग सरकारी योजनाओं के जरिये अनुदान पा रहा है।
आठ छात्रावास चला रही जबलपुर की डायोकेशनल सोसाइटी
आयोग ने जिन 20 संस्थाओं को जांच के दायरे में लिया है, उनमें से डिंडौरी में ही आठ का संचालन एनजीओ डायोकेशनल सोसाइटी जबलपुर के पास है। कुछ मंडला जिले में हैं। सोसाइटी के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के खिलाफ भी जल्द ही एफआइआर दर्ज करवाई जाएगी।
इनका कहना है
इन स्कूलों और छात्रावासों को अनुदान देने में जिस तरह से नियमों का उल्लंघन किया गया है, वह उच्चस्तर पर मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता है इसलिए आयोग मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव को भी नोटिस जारी करेगा। अनुदान के रूप में शिष्यवृत्ति मिल रही है तो छात्र-छात्राओं से आवासीय फीस वसूलना भी गैरकानूनी है।
- प्रियंक कानूनगो, अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, नई दिल्ली