भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने मक्के की 6 नई किस्में विकसित की हैं, जो भारतीय किसानों के लिए कृषि उत्पादन में एक नई क्रांति साबित हो सकती हैं। इन नई किस्मों को देश के विभिन्न राज्यों के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थानों ने विकसित किया है। इन किस्मों को देश के विभिन्न राज्यों के लिए अनुकूलित किया गया है, जिससे किसानों को बेहतर उपज, लवणीयता सहनशीलता, और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में सफल उत्पादन का अवसर मिलेगा।

1. पूसा पॉपकॉर्न हाइब्रिड – 1 (एपीसीएच 2)

मक्का की इस हाइब्रिड किस्म को आईसीएआर – भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने पंजाब हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड (मैदानी), उत्तर प्रदेश (पश्चिमी क्षेत्र), महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु जैसे राज्यों के लिए विकसित किया है।

इस किस्म की खासियत है की यह सिंचित रबी पारिस्थितिकी के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज: 46.04 क्विंटल/हेक्टेयर (एनडब्ल्यूपीजेड), 47.17 क्विंटल/हेक्टेयर (पीजेड)। इस किस्म की मैच्योरिटी 120.2 दिन (एनडब्ल्यूपीजेड), 102.1 दिन (पीजेड) की है। उच्च पॉपिंग प्रतिशत (एनडब्ल्यूपीजेड में 97.3% और 98.3% पीजेड) और पॉपिंग विस्तार अनुपात (18)। यह किस्म चारकोल सड़न के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।

2. पूसा पॉपकॉर्न हाइब्रिड – 1 (एपीसीएच 2)

मक्का की किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड (मैदान), उत्तर प्रदेश (पश्चिमी क्षेत्र), महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के लिए विकसित किया है।

इस किस्म की खासियत है की यह खरीफ मौसम के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 84.33 क्विंटल/हेक्टेयर (एनडब्ल्यूपीजेड), 71.13 क्विंटल/हेक्टेयर (पीजेड), 56.58 क्विंटल/हेक्टेयर (सीडब्ल्यूजेड)। इस किस्म की मैच्योरिटी 79.8 दिन (एनडब्ल्यूपीजेड), 93.9 दिन (पीजेड), 86.4 दिन (सीडब्ल्यूजेड) की है। प्रोविटामिन-ए (6.7 पीपीएम), लाइसिन (3.47%) और ट्रिप्टोफैन (0.78%) से भरपूर यह किस्म एमएलबी, बीएलएसबी, टीएलबी के लिए मध्यम प्रतिरोधी प्रतिरोधी है।

3. पूसा HM4 मेल स्टेराइल बेबी कॉर्न-2 (ABSH4-2)

मक्का की इस बेबीकॉर्न किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश (पूर्वी क्षेत्र), पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के लिए विकसित किया है।

इस किस्म की खासियत है की यह खरीफ मौसम के दौरान सिंचित स्थितियों के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 19.56 क्विंटल/हेक्टेयर ( एनईपीजेड), 14.07 क्यू/हेक्टेयर (पीजेड) और 16.03 क्यू/हेक्टेयर (सीडब्ल्यूजेड)। इस किस्म की मैच्योरिटी 53 दिन, 100% पुरुष बाँझपन, कोई परागकोश का परिश्रम नहीं। यह किस्म चारकोल सड़न के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।

4. IMH 230 IMHSB 20R-6

मक्का की इस किस्म को भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना, पंजाब ने पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल के लिए विकसित किया है।

इस किस्म की खासियत है की यह सिंचित रबी मौसम के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 92.36 क्विंटल/हेक्टेयर है। इस किस्म की मैच्योरिटी 145.2 दिन की है और यह किस्म जैविक तनाव, एमएलबी, सीएचआर और टीएलबी के लिए मध्यम प्रतिरोधी, चिलोपार्टेलस, फॉल आर्मीवर्म के प्रति मध्यम सहनशील है।

5. IMH 231 IMHSB 20K-10

मक्का की इस किस्म को भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना, पंजाब ने पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम के लिए विकसित किया है।

इस किस्म की खासियत है की यह खरीफ सिंचित स्थिति के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 70.28 क्विंटल/हेक्टेयर है। इस किस्म की मैच्योरिटी 90 दिन की है और यह किस्म जल भराव के प्रति मध्यम सहिष्णु, आवास के प्रति सहिष्णु, टीएलबी, एमएलबी के प्रति मध्यम प्रतिरोधी, के प्रति प्रतिरोधी है।

6. पूसा पॉपकॉर्न हाइब्रिड – 2 (APCH 3)

अंत में मक्का की इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के लिए विकसित किया है।

इस किस्म की खासियत है की यह सिंचित रबी मौसम के लिए उपयुक्त है और इसकी उपज 45.13 क्विंटल/हेक्टेयर है। इस किस्म की मैच्योरिटी 102 दिनकी है। ये किस्म टीएलबी के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।

Will 6 new varieties of corn make farmers rich?

न्यूज़ सोर्स : ipm