हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर कई सवाल, देश भर में प्रदर्शन करेगी कांग्रेस

नई दिल्ली। (Congress protest Against Hindenburg Report) हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच कराए जाने की मांग पर कांग्रेस बृहस्पतिवार को देश भर में प्रदर्शन करेगी। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में बताया कि जंतर-मंतर पर होने वाले प्रदर्शन में दिल्ली भर के नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर संयुक्त संसदीय समिति द्वारा जांच कराई जानी चाहिए। रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि सेबी प्रमुख और उनके परिवार के सदस्यों की भी इस पूरे मामले में भूमिका है।
श्रीनेत ने कहा कि इसलिए सेबी प्रमुख (SEBI vs Hindenburg Research) को भी हटाया जाना चाहिए। जबकि, सुप्रीम कोर्ट को भी इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट से यह पता चलता है कि पहले इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने सभी तथ्य नहीं रखे गए थे।
विपक्ष में रहते अपना दायित्व पूरी तरह से निभाने को तैयार-श्रीनेत
श्रीनेत ने कहा कि जेपीसी (JPC) द्वारा जांच कराया जाना ही इस मामले में सबसे ज्यादा उचित है क्योंकि इस तरह की समिति में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि होते हैं और उसका दायरा बड़ा होता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में कांग्रेस पार्टी के सभी विकल्प खुले हुए हैं और पार्टी विपक्ष में रहने का अपना दायित्व पूरी तरह से निभाएगी।
कुणाल चौधरी ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस वार्ता
एमपी कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक कुणाल चौधरी ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस वार्ता कर हिंडनबर्ग रिपोर्ट मामले को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने सेबी की कार्यप्रणाली को संदेहास्पद बताते हुए कहा कि यह पूरा मामला काले धन को सफेद करने का खेल है जिसे आप उसी संदर्भ में देखें। इसे लेकर कल कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जितेंद्र भंवर सिंह, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार समेत सभी बड़े नेता ईडी के भोपाल कार्यालय जाएंगे और अपनी मांग रखेंगे। चौधरी ने कहा कि मोदी जी ने काला धन समाप्त कर विदेशों में छिपा काला धन वापस लाने का वादा किया था। लेकिन यह मालूम नहीं था कि वे पहले भारत में काला धन एकत्रित करेंगे और उसे विदेशों में स्थापित काला धन को सफ़ेद करने वाली कंपनियों को दे कर उसे कुछ चुने हुए मित्रों की कंपनियों के शेयर की कीमत में वृद्धि कराएंगे। उसके आधार पर बैंकों से कर्ज दिलवा कर पोर्ट एयरपोर्ट आदि खरीदेंगे। यही इसका सार है। मोदी सरकार यानी सूट-बूट-लूट और स्कूट की सरकार जनता से सब कुछ छीनकर उद्योगपतियों को कैसे बड़ा कर रही है?
ऑफशोर फंड में लगा रहे कालाधन
चौधरी ने कहा कि कालाधन तो नहीं आया लेकिन भ्रष्टाचारियों ने ऑफशोर कंपनियों और ऑफशोर फंड में कालेधन को लगाना प्रारंभ कर दिया। वहीं कालाधन बेनामी कंपनियों के माध्यम से भारत के स्टॉक मार्केट में लगाया गया और उसे सफेद किया गया। ऑफशोर कंपनियों ऐसी कंपनियों होती है जो टेक्स हेवन देशों जैसे मॉरिशस, बरमूडा, स्विटजरलैंड जैसे देशों में रजिस्टर्ड की जाती है। वहां इन्हें टैक्स में छूट मिलती है या इन्हें बहुत कम टेक्स देना होता है।
म्यूचुअल फण्ड की तरह होते हैं ऑफशोर फंड
चौधरी ने बताया कि ऑफशोर फंड इंटरनेशनल फंड होते हैं जो म्यूचुअल फण्ड की तरह ही होते है लेकिन इनका पंजीयन विदेश में होता है। ये बेनामी फंड भी कहे जाते हैं। अडाणी समूह पर आरोप है कि उसने अपना और अपने मित्रों का ही पैसा ऑफशोर कंपनियों के माध्यम से भारतीय शेयर बाजार में लगाकर मार्केट में कृत्रिम उछाल पैदा किया और फिर लाभ कमाने के लिये फंड को ऊंचे दाम पर एकाएक बेच दिया जिससे भारतीय शेयर बाजार गिरने लगे तथा छोटे निवेशकों ने अधिक नुकसान से बचने के लिए कम दाम पर अपने स्टॉक को बेचा। चौधरी ने बताया कि 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह के शेयर 83 प्रतिशत गिर गये थे तथा इसमें कुल 100 बिलियन डॉलर्स अर्थात 80 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ था। सेबी की एक बाजार नियामक के रूप में संदिग्ध कार्यप्रणाली के कारण उस पर से लोगों का विश्वास उठ रहा है और लोग बाजार की गतिविधियों को संदिग्ध नजर से देखने लगे हैं।
Many questions about the Hindenburg report, Congress will protest across the country