सुगबुगाहट - कौन होगा मप्र का मुख्यमंत्री, आदिवासी या ओबीसी
मध्य प्रदेश में चुनावी साल में आते ही राजनीतिक महारथियों का फोकस एससी-ओसटी और आदिवासी वर्ग (Caste Politics In MP) पर मुड़ गया है. बीजेपी और कांग्रेस ने अपना चुनावी प्लान अनुसूचित जाति को साधने के हिसाब से बना लिया है और जमीनी स्तर पर काम भी शुरू कर दिया है. कांग्रेस अनुसूचित जनजातीय विभाग का बड़ा सम्मेलन कर रही है, जिसमें पूर्व सीएम कमलनाथ (Kamalnath) सियासी कास्ट प्लान तैयार कर रहे हैं. इसी के सहारे 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी जीत सुनिश्चित करने की उम्मीद लगा रही है. दूसरी तरफ फरवरी से बीजेपी विधानसभा वार अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मेलन करेगी. बीजेपी आलाकमान (BJP) ने साफ कर दिया है कि प्रदेश की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों को इसे ध्यान में रखकर किया जाए. एमपी में साल 2023 में विधानसभा (MP Assembly Election 2023) चुनाव हैं.
बीजेपी ने जयस के प्रभाव को कम करने के लिए भी अपनी पार्टी के आदिवासी नेताओं को एक्टिव कर दिया. आदिवासी संगठन जयस ने आदिवासियों के प्रभाव वाली 80 विधानसभा सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का ऐलान किया तो कांग्रेस ही नहीं बीजेपी को भी बड़ा झटका लगा, जिसके चलते दोनों दल जयस को काउंटर करने की रणनीति बनाने में जुट गए. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता की चाबी आदिवासियों के वोटों के सहारे ही मिली थी. 47 सीटों में से कांग्रेस को 30 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार ये इतना आसान नहीं है और ये खुद कांग्रेस भी जानती है. पीएम मोदी को एमपी लाकर और जनजातीय गौरव दिवस मनाकर बीजेपी ने कांग्रेस के लिए कड़ी टक्कर देने का काम किया और इसका असर कुछ हद तक नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में देखने को भी मिला. अब कांग्रेस को डर है कि विधानसभा में भी आदिवासियों का झुकाव बीजेपी की तरफ ना चला जाए. जयस संगठन के संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा कांग्रेस से विधायक हैं.
मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा बयान दिया है। इंदौर में मीडिया से बात करते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि राजनीति में सुगबुगाहट होनी चाहिए। खुद को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर कैलाश विजयवर्गीय ने मुस्कुराते हुए कहा कि जब बन जाऊं तो बधाई दे देना। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुगबुगाहट तो होना चाहिए। सुगबुगाहट न हो तो राजनीति कैसी। अब चुनाव में ज्यादा समय नहीं बचा है। वहींए बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर के रामचरित मानस को लेकर दिए गये बयान के बाद सियासत तेज है। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बिहार के शिक्षा मंत्री पर हमला करते हुए उनके बयान को मूर्खतापूर्ण बताया है। बिहार के मुख्यमंत्री भी उनके बयान पर अनभिज्ञता जता रहे है यह निंदनीय है।
कैलाश विजयवर्गीय ने एमपी में गुजरात फॉर्म्यूले को लागू करने की बात से इंकार किया। उन्होंने कहा कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी में इस तरह की कोई चर्चा नहीं है। उन्होंने कहा कि यह केवल मीडिया का उछाला हुआ मुद्दा है। मैं पार्टी का महासचिव हूं मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि गुजरात फॉर्म्यूला लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव में कम समय बचा है ऐसी सुगबुगाहट चलती रहेगी।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव 14 अप्रैल से मध्य प्रदेश में चुनावी समर की शुरुआत करेंगे। इस सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहले भी उत्तर प्रदेश में दो लड़कों ने खटिया डालकर आंदोलन किया था। उसमें से एक लड़का कश्मीर से कन्याकुमारी की यात्रा पर है। वहींए दूसरे का हाल आप देख रहे हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि अकेला लड़का मध्यप्रदेश में आकर क्या करता है।