नर्मदालय,लेपा पुनर्वास केन्द्र जो 15 गांवों को कवर कर दे रहा आजीविका
मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में वंचित ग्रामीणों की मदद करने के लिए समर्पित संस्था नर्मदालय, लेपा पुनर्वास केन्द्र 15 गावों को आजीविका स्रोत उपलब्ध करा रहा है। यह संस्था नर्मदा परिक्रमा के बाद समाज सेवी भारती ठाकुर द्वारा स्थापित की गई थी। संस्था द्वारा ग्रामीण प्रौद्योगिकी के नवाचारों को नया रूप दिया जा रहा है । इसी क्रम में एक एसी आटा चक्की का निर्माण किया गया है जो व्यायाम के साथ भोजन की उपलब्धता भी प्रदान कर रही है। इन दिनों लेपा पुनर्वास में तीन दिवसीय ग्रामीण प्रौद्योगिकी के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इस कार्यक्रम में देश भर के समाजसेवी ग्रामीण प्रोद्योगिकी का अवलोकन कर रहे है।
कौन है भारती ठाकुर
भारती ठाकुर ने महाराष्ट्र के नासिक की रहने वाली है लेकिन वे मध्य प्रदेश के खरगौन में समाज सुधार के लिए काम कर रही हैं, वे पिछले 15 वर्षों से खरगोन जिले के नर्मदा नदी के तट पर बसा ग्राम लेपा पुनर्वास में काम कर रही हैं, भारती ठाकुर रक्षा विभाग से वीआरएस लेकर एक संस्था के माध्यम से मानव सेवा कर रही हैं,
आत्मनिर्भर बनाने प्रशिक्षण
भारती ठाकुर का उद्देश्य भारत की संस्कृति को बचाना और आदिवासी क्षेत्र से बच्चों को निशुल्क शिक्षा देना है। इसके साथ ही उनके उत्थान के लिए काम करना और उनका भारतीय संस्कृति से रूबरू करवाना ही भारती ठाकुर का उद्देश्य है। इसके लिए वे संगीत एवं अन्य परंपराओं से आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने के लिए उनको आईटीआई का प्रशिक्षण देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए काम कर रही हैंण् इसके अवाला वे इन बच्चों में देश के प्रति प्रेम की भावना बढ़ाने का काम कर रही हैं।
कौशल रथ से लेकर स्वास्थ सुरक्षा देती आटा चक्की का देशी आविष्कार
भारती ठाकुर द्वारा एक बस को कौशल रथ बनाया गया है और यह रथ इंस्ट्रूमेंट से लैस है। जो ग्रामीण क्षेत्र में जाता है और गांव की चौपाल पर बैठे युवकों को अलग-अलग 8 ट्रेड की शिक्षा देता है और बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का काम करता है वहीं घरों में काम करते करते ही स्वस्थ रहने की सोच अनुकुल चक्की का निर्माण किया गया है। भारती ठाकुर द्वारा ग्रामीण महिलाओं को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए घरेलू काम में आने वाली वस्तुओं के निर्माण की ट्रेनिंग भी कराई जाती है, जिससे ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें।