बालाघाट । बालाघाट जिले की परसवाड़ा विधानसभा के भादूकोटा में दो दिवसीय वनवासी रामकथा का वाचन करने पहुंचे बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्त्री ने कहा कि कुछ लोगों ने ये कहकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रोक लगाने की मांग की थी कि जंगल में रामकथा का वाचन करने से वनवासियों के संस्कार खराब हो जाएंगे लेकिन हाईकोर्ट ने भी इस याचिका को रद्द कर ये साबित कर दिया कि रामकथा से संस्कार खराब नहीं होते बल्कि संस्कार निर्मित होते हैं। ऐसे कहने वालों की ठठरी बंध जाए। 

उन्होंने कहा कि जहां कथा का वाचन किया जा रहा है वह जगह जंगल है और में ही रामकथा का वाचन से मंगल हो रहा है। वहीं भगवान राम का नाम भी मंगल भवन अमंगल हारी है। रामकथा के वाचन से संस्कार बढ़ेंगे कम नहीं होंगे। जो लोग रोक लगाने का कार्य कर रहे थे वे लोग संस्कार के बजाय मिशनरी संस्कार को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे थे।

पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्त्री ने श्रोताओं से कहा कि वर्तमान समय में मंच भी अमीरों को मिलता है। वनवासी तो इतने बड़े मंच तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। इसलिए संकल्प लेता हूं कि भारत के समृद्ध स्थानों में रामकथा का वाचन करने के साथ ही जंगलों में तीन.तीन दिनों तक जाकर रामकथा का वाचन करूंगा जिससे वनवासी भाई-बहन अपने इतिहास से अवगत होकर अपने संस्कार के प्रति जागृत हो सकें। वनवासियों के पूर्वजों ने जिस तरह से भगवान राम का साथ दिया था। उसी प्रकार अब समय आ गया है कि वनवासी भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए अपना साथ देंगे।

पंडित धीरेंद्र कृष्‍ण शास्त्री ने कहा कि जब भारत में आतातायी अंग्रेज संस्कृति के साथ खिलवाड़ कर कब्जा जमा रहे थे। तब जंगल में रहने वाले वीर भगवान बिरसा मुंडा ने ही आजादी की लड़ाई का बिगुल बजाकर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे। हाईकोर्ट में रामकथा को रोकने के लिए याचिका लगाने वाले दुष्ट अंग्रेज ही जो ये नहीं चाहते ही जंगलों में वापस सनातन संस्कार पहुंचें। अब जंगल से ही क्रांति उठेगी व भारत में रहने वाले हिंदुओं का विरोध करने वालों को उखाड़ फेंकेगी। जंगल में मैं दो दिनों तक माता सबरी की कथा का वाचन करूंगा। कथा के शुभारंभ अवसर पर राज्य मंत्री रामकिशोर कावरेए मौसम हरिनखेड़े समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

 

 

 

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