वन संपदा से रोजगार सृजन कर समुदाय को आत्मनिर्भर करेगी बालाघाट की पहली महिला सांसद?
मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचल कला एवं संस्कृति से समृद्ध है। लोगों में पारम्परिक ज्ञान -विज्ञान कौशल, कला, साहित्य व खेलों की प्रतिभा है। किन्तु राजनीतिक दलों से निकले लीडर में इस कार्य के प्रति इच्छाशक्ति का अभाव देखा जाता हैं हमेंसा इवेंट में मस्त राजनेताओं की धमाचौकड़ी के बीच बालाघाट जिले की पहली महिला सांसद भारतीय पारधी कुछ नवाचारी प्रयास करती नजर आ रही है। पारंपरिक ज्ञान तकनीक को विभिन्न विषयों में विभक्त कर क्षेत्र अनुसार रोजगार का सृजन किया जा सकता है। इसी धारणा अनुसार भारतीय आगे बढ़ती नजर आती हैं। विगत दिवस भारतीय ने दिल्ली में जिस तरह कई वरिष्ठ राजनेताओं से मुलाकात की एवं हर नेता से बालाघाट के विकास को लेकर अपने विचार रखे उससे उम्मीद की जा सकती है कि भाररीय उन नेताओं से अलग करेगी जो परंपरागत राजनीति का निर्वहन करते हुए अपना पूरा कार्यकाल सिर्फ नेतागिरी की धमक के साथ पूरा करते नजर आया करते थे।
इन विषयों पर राजनेताओं का ध्यान नहीं
जडी बूटी(वन औषधियां)
सृजन मेले
माटी कला
बांस शिल्प
लौह शिल्प
काष्ठ शिल्प
हथकरघा एवं वस्त्र निर्माण
पारंपरिक व्यजन एवं उनका पोषण मूल्य
कृषि विज्ञान-बीजों का संरक्षण एवं रखरखाव, विविधता, देशी अनाज एवं उनकी विशेषता
गौ विज्ञान
कुटीर निर्माण एवं वास्तु विज्ञान
रंग विज्ञान
ग्रामीण पर्यटन
उपर उल्लेखित विषय ऐसे विषय है जो विकसित भारत की परिकल्पना में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबन की प्रक्रिया के हिस्सा हैं। पर बहुत कम ही राजनेता है जो इस विषय पर गंभीरता से कार्य कर रहे हैं। सड़क बिजली पानी को ही विकास मान रहे रानेताओं को अब इन विषयों पर सोचने के आवश्यकता लग रही है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि भारतीय पारधी जैसी लीडर सामुदायिक नेतृत्व के दम पर देश के लिए एक नवाचारी पहल करेंगी।
योगेन्द्र पटेल भोपाल . सामाजिक.राजनीतिक विश्लेषक