धारावी की झुग्गी बस्ती को रिडेवलप करेगा अडाणी ग्रुप
नई दिल्ली । मुंबई में मौजूद एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी को अडाणी ग्रुप रिडेवलप करेगा। महाराष्ट्र सरकार ने धारावी स्लम रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए अडाणी ग्रुप की बोली को अंतिम मंजूरी दे दी है। प्रोजेक्ट के सीईओ एसवीआर श्रीनिवास ने बताया कि राज्य सरकार ने अडाणी ग्रुप को प्रोजेक्ट सौंपने का प्रस्ताव जारी कर दिया है।
पिछले साल 29 नवंबर को अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी प्रॉपर्टीज ने स्लम को फिर से बनाने के प्रोजेक्ट की बोली जीती थी। कंपनी ने इसके लिए 5,069 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। अडाणी ग्रुप के अलावा बोली लगाने वालों में दूसरे नंबर पर डीएलएफ ग्रुप रहा था, जिसने 2,025 करोड़ रुपए की बोली लगाई, जबकि नमन ग्रुप की बोली कैंसिल कर दी गई। इस टेंडर में 8 ग्लोबल कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन असल में सिर्फ तीन कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट के लिए बिडिंग डॉक्यूमेंट जमा किए थे।
धारावी के स्लम एरिया को अलग-अलग फेस में रिडेवलप किया जाएगा। सबसे पहले वहां रहने वाले लोगों को शिविरों में भेजा जाएगा। इसके बाद वहां पर नए घरों को बनाया जाएगा।धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट 23 हजार करोड़ का है। प्रोजेक्ट के तहत, जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं उन्हें फ्री में पक्का मकान दिया जाएगा। जबकि, जो लोग 2000 से 2011 के बीच आकर यहां बसे हैं, उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी होगी।
धारावी का स्लम 240 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जहां करीब 10 लाख लोग रहते हैं। महाराष्ट्र सरकार ने पूरे इलाके को अनडेवलप्ड एरिया के रुप में बताया है और इसके लिए एक स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी बनाई है।
1999 में भाजपा-शिवसेना सरकार ने पहली बार धारावी के रिडेवलपमेंट का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद 2003-04 में महाराष्ट्र सरकार ने धारावी को एक इंटीग्रेटेड प्लान्ड टाउनशिप के रूप में रिडेवलप करने का निर्णय लिया और इसके लिए एक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई और टेंडर निकाले गए। 2011 में सरकार ने सभी टेंडर को कैसिंल कर दिया और एक मास्टर प्लान तैयार किया था। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने अक्टूबर 2022 में नए टेंडर जारी किए। इससे पहले इस प्रोजेक्ट के लिए लगी बोली को उद्धव ठाकरे सरकार ने साल 2019 में कैंसिल कर दिया था।
साल 2008 में स्लमडॉग मिलियनेयर फिल्म के रिलीज होने के बाद इस क्षेत्र को लोकप्रियता मिली। फिल्म ने कई अवॉर्ड भी जीते। इसके बाद फिल्म गली बॉय में ये देखने को मिली थी। कई टूरिस्ट यहां भारत की बस्ती में रहने वालों के जीवन की झलक देखने आते हैं।
इस इलाके को 1882 में अंग्रेजों ने बसाया था। मजदूरों को किफायती ठिकाना देने के मकसद से इसे बसाया गया था। धीरे-धीरे यहां लोग बढऩे लगे और झुग्गी-बस्तियां बन गईं। यहां की जमीन सरकारी है, लेकिन लोगों ने झुग्गी-बस्ती बना ली है।