सरकार ने नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की जगह अब सरकारी कर्मियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) यानी एकीकृत पेंशन योजना लॉन्च करने का फैसला किया है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे लेकर सहमति बनी है।

इस योजना के तहत अगर किसी कर्मचारी ने न्यूनतम 25 साल तक काम किया तो रिटायरमेंट के पहले नौकरी के आखिरी 12 महीने के बेसिक पे का 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलेगा.  

यूपीएस के पांच स्तंभ, योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी

1. 50 फीसदी की सुनिश्चित पेंशन
यूपीएस अपनाने पर सुनिश्चित पेंशन मिलेगी। इसकी रकम सेवानिवृत्ति से पहले के 12 महीने के औसत मूल वेतन का 50 फीसदी होगी।
25 वर्ष तक की सेवा पर ही यह रकम मिलेगी। 25 वर्ष से कम और 10 साल से ज्यादा की सेवा पर उसके अनुपात में पेंशन मिलेगी।


2. पारिवारिक पेंशन 
किसी भी कर्मचारी के निधन से पहले पेंशन की कुल रकम का 60 फीसदी हिस्सा परिवार को मिलेगा।
3. न्यूनतम पेंशन

कम से कम 10 साल की सेवा के बाद 10 हजार रुपये प्रतिमाह की न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित होगी। महंगाई भत्तों को जोड़कर आज के हिसाब से यह रकम 15 हजार रुपये के आसपास होगी।
4. महंगाई दर के साथ इंडेक्सेशन

उपरोक्त तीनों तरह की पेंशन यानी सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन के मामलों में महंगाई राहत यानी DR के आधार पर इनफ्लेशन इंडेक्सेशन मिलेगा।

5. सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी के अतिरिक्त एकमुश्त भुगतान
छह महीने की सेवा के लिए (वेतन+डीए) की 10 फीसदी रकम का एकमुश्त भुगतान होगा। यानी अगर किसी की 30 साल की सर्विस है तो उसे छह महीने की सेवा के आधार पर एकमुश्त भुगतान (इमॉल्यूमेंट) होगा। 

23 लाख कर्मचारियों को फायदा, एनपीएस और यूपीएस का विकल्प
केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को इसका फायदा मिलेगा। कोई एनपीएस में रहना चाहे तो उसमें रह सकता है। अगर यूपीएस अपनाना चाहे तो इसका विकल्प चुन सकता है। राज्य सरकारें भी इस संरचना को चुन सकती है। अगर राज्य सरकार के कर्मचारी इसमें शामिल होते हैं तो 90 लाख कर्मियों को इसका फायदा मिलेगा।

केंद्र का योगदान बढ़कर 18.5 फीसदी
कर्मचारियों पर इसका भार नहीं पड़ेगा। 10 वर्ष पहले तक कर्मचारी और सरकार 10-10 फीसदी का योगदान देते हैं। हमारी सरकार ने योगदान बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया था। यह अपने आप में बड़ा कदम था। अब केंद्र सरकार का योगदान बढ़कर 18.5 फीसदी हो जाएगा। यह स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी।

किन्हें मिलेगा फायदा? 
वित्त सचिव डॉ. टीवी सोमनाथन ने कहा कि जो कर्मचारी 2004 से अब तक और आगे 31 मार्च 2025 तक सेवानिवृत्त होंगे, वे भी यूपीएस के पांच बिंदुओं का फायदा ले सकेंगे। उन्हें एरियर्स भी मिलेंगे। जो राशि उन्हें मिल चुकी है, उसमें से नई गणना के मुताबिक रकम एडजस्ट होगी। एरियर्स के लिए 800 करोड़ रुपये रखे गए हैं। यह योजना पूरी तरह वित्त पोषित है। केंद्र का पेंशन में जो योगदान बढ़ेगा, उसके अतिरिक्त भार को वहन के लिए वार्षिक आधार पर 6250 करोड़ रुपये रखे गए हैं।

इसके अलावे केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने तीन प्रमुख योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दे दी, जिन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की एकीकृत केन्द्रीय क्षेत्र योजना ‘विज्ञान धारा’ में विलय कर दिया गया है।

केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्विणी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक से जुड़ी जानकारी देते हुए कहा कि 10 साल सर्विस करने वाले को 10 हजार रुपए का पेंशन मिलेगा. कर्मचारियों की अगर सेवा के दौरान मौत होती है, तो उनकी पत्नियों को 60 प्रतिशत पेंशन दी जाएगी. सरकार ने कहा कि उसके फैसले को राज्य सरकार भी लागू कर सकती हैं. कर्मचारियों पर इस स्कीम का भार नहीं पड़ेगा. यह स्कीम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी.

12 महीने के औसत वेतन का कम से कम 50 फीसदी

सरकार ने कहा कि अगर किसी कर्मचारी ने न्यूनतम 25 साल तक काम किया तो रिटायरमेंट के पहले आखिरी 12 महीने के औसत वेतन का कम से कम 50 फीसदी पेंशन के रूप में मिलेगा. अगर किसी पेनशंभोगी को मौत होती है तो उसके परिवार को मृत्यु के वक्त मिलने वाले पेंशन का 60 फीसदी हिस्सा मिलेगा.

एनपीएस वालों को यूपीएस में जाने का विकल्प मिलेगा

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी एनपीएस वालों को यूपीएस में जाने का विकल्प मिलेगा. यह उन सभी पर भी लागू होगा जो एनपीएस की शुरुआत से ही इसके तहत सेवानिवृत्त हुए हैं या सेवानिवृत्त होने वाले हैं. सरकार इसके लिए बकायदा एरियर का भुगतान करेगी. जो कर्मचारी 2004 से रिटायर हुए हैं उनको भी इसका लाभ मिलेगा.

हर छह महीने की सेवा के बदले मासिक वेतन (वेतन प्लस डीए) का दसवां हिस्सा जुड़ कर रिटायरमेंट पर मिलेगा. मने विकल्प दिया है पर NPS वालों को UPS में जाने पर फायदा होगा. आज जो पीएम के साथ कर्मचारी संगठन मिले वो सब UPS से खुश थे.

सरकार ने कहा कि कांग्रेस ने जब ओपीएस की बात की थी तो उनके अपने नेताओ में मतभेद थे. कांग्रेस के लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र में ओपीएस का वादा नहीं था. पीएम ने चुनावी राजनीति से ऊपर उठकर हमेशा फैसलें लिए हैं. इसका चुनाव से संबंध नहीं है तो चुनाव आयोग का विषय इसमें नहीं आता है.

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