देवशयनी एकादशी पर 17 जुलाई से 12 नवंबर तक 118 दिन के लिए शिव के हाथ सृष्टि का काम सौंप श्रीहरि योगनिद्रा पर जाएंगे। एकादशी पर शहर में विभिन्न आयोजन होंगे। मंदिरों में भगवान को शयन आरती कर सुलाया जाएगा। वहीं वारकरी संप्रदाय द्वारा दिंडी यात्राओं का आयोजन होगा। इसके साथ ही चार माह के लिए मांगलिक कार्यों पर विराम लगेगा। इस दौरान प्रमुख तीज-त्योहारों के उल्लास के साथ ही संतों के सान्निध्य में धर्म आराधना होगी।

ज्योतिर्विद् आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार, पिछले वर्ष चातुर्मास की अवधि 148 दिन यानी पांच माह थी। इस बार चातुर्मास चार माह का है। इसके चलते तीज-त्योहार पिछले वर्ष के मुकाबले 10-15 दिन पहले आएंगे। चातुर्मास भगवान विष्णु का शयनकाल होता है। पुराणों के अनुसार इस दौरान विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश सहित विभिन्न मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।

 

न्यूज़ सोर्स : ipm