मप्र के 10 जिलों के सरकारी स्कूलों में प्रवेश कम,प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बुरे हाल
भोपाल। प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बूरे हाल हैं। राजनेताओं की नजर से बेखबर सरकारी स्कूलों में हर साल प्रवेश कम हो रहे है। यह तब हो रहा है जब सरकारे नाम बदलने की राजनीति के बीच स्कूलों में बड़े बदलाव का दावा कर रही है। इस समस्या का कारण क्या है इसे खोजने के प्रयास कम हो रहे हैं। सरकारी स्कूलों की जर्जर अवस्था देख अभिभावक सरकारी स्कूलों में योग्य शिक्षक होने के बाद भी प्रायवेट स्कूलों में अपने बच्चों को भेजने मजबूर हैं।
इस वर्ष प्रवेश को लेकर खास बात यह है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक में प्रवेश प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। जहां पिछले साल पहली से आठवीं तक में सरकारी स्कूलों में 63 लाख बच्चों ने प्रवेश लिया है। इस साल 56 लाख विद्यार्थियों के नामांकन हुए हैं। प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में अभिभावक निजी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं। पिछले दो साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो सरकारी स्कूलों में प्राथमिक व माध्यमिक में करीब सात लाख बच्चों की संख्या कम हुई है। वहीं दो सालों में शाला त्यागी बच्चों की संख्या भी करीब चार लाख पहुंच गई है।
साल दर साल कम हो रही संख्या
- स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर नामांकन के जारी आंकड़ों के अनुसार साल दर साल सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है।
- हालांकि अब राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला परियोजना समन्वयकों को निर्देश जारी कर बच्चों का नामांकन दर बढ़ाने के लिए गृह संपर्क अभियान जारी करने और समग्र आईडी से मैपिंग करने के निर्देश दिए हैं।
- बता दें, कि पिछले साल के मुकाबले इस साल पहली से 12वीं तक में सरकारी व निजी स्कूलों में एक करोड़ 21 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है।
- पिछले साल एक करोड़ 37 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था, यानी इस सत्र में 16 लाख विद्यार्थी कम हुए हैं।
प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों का हाल खराब
प्रदेश के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों के भवन से लेकर अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी है। छह हजार भवन क्षतिग्रस्त पाए गए हैं। वहीं करीब 21 हजार स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश के 38 जिलों के 355 से अधिक सरकारी स्कूलों में इस सत्र में शून्य नामांकन हुए है। इन स्कूलों में बच्चे नहीं हैं। इस कारण इन स्कूलों के शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में पदस्थ किया जाएगा। यहां तक की राजधानी के स्कूलों का भी हाल खराब है। कई स्कूलों में बच्चे व शिक्षक दोनों गायब पाए जा रहे हैं।
साल दर साल कम हो रही संख्या
- स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल पर नामांकन के जारी आंकड़ों के अनुसार साल दर साल सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम हो रही है।
- हालांकि अब राज्य शिक्षा केंद्र ने जिला परियोजना समन्वयकों को निर्देश जारी कर बच्चों का नामांकन दर बढ़ाने के लिए गृह संपर्क अभियान जारी करने और समग्र आईडी से मैपिंग करने के निर्देश दिए हैं।
- बता दें, कि पिछले साल के मुकाबले इस साल पहली से 12वीं तक में सरकारी व निजी स्कूलों में एक करोड़ 21 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है।
- पिछले साल एक करोड़ 37 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था, यानी इस सत्र में 16 लाख विद्यार्थी कम हुए हैं।
प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों का हाल खराब
प्रदेश के प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों के भवन से लेकर अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी है। छह हजार भवन क्षतिग्रस्त पाए गए हैं। वहीं करीब 21 हजार स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं। इसके साथ ही प्रदेश के 38 जिलों के 355 से अधिक सरकारी स्कूलों में इस सत्र में शून्य नामांकन हुए है। इन स्कूलों में बच्चे नहीं हैं। इस कारण इन स्कूलों के शिक्षकों को ऐसे स्कूलों में पदस्थ किया जाएगा। यहां तक की राजधानी के स्कूलों का भी हाल खराब है। कई स्कूलों में बच्चे व शिक्षक दोनों गायब पाए जा रहे हैं।
सीएम राइज व पीएमश्री स्कूल बन रहे
प्रदेश के 270 सरकारी स्कूलों को सीएम राइज स्कूल और 400 से अधिक पीएमश्री स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है। हालांकि ये स्कूलों में अभी तक भवन का निर्माण और सर्वसुविधायुक्त नहीं किया गया है।
विभाग ने विद्यार्थियों की संख्या कम होने के ये बताए कारण
- बच्चों का अपने माता-पिता के साथ दूसरे जगह काम के सिलसिले में जाने के कारण।
- समग्र आईडी से मैपिंग नहीं होने के कारण भी ऐसे हालात बन जाते हैं।
- जगह बदलने के कारण भी बच्चे ठीक से मैप नहीं हो पाते हैं।
सरकारी व निजी स्कूलों का कुल आंकड़ा
वर्ष | 2022-23 | 2023-24 | 2024-25 |
पहली से 12वीं के कुल विद्यार्थी | 1.40 करोड़ | 1.37 करोड़ | 1.21 करोड़ |
पहली से आठवीं में कुल विद्यार्थी | 1.03 करोड़ | 1.02 करोड़ | 91 लाख |
नौवीं से 12वीं में कुल विद्यार्थी | 36 लाख | 35 लाख | 30 लाख |
सरकारी स्कूल
वर्ष | 2022-23 | 2023-24 | 2024-25 |
पहली से आठवीं में कुल विद्यार्थी | 66 लाख | 63 लाख | 56 लाख |
इन जिलों के सरकारी स्कूलों में कम प्रवेश हुए
जिला | 2023-24 | 2024-25 |
शाजापुर | 55 हजार | 48 हजार |
नर्मदापुरम | 78 हजार | 67 हजार |
सिवनी | 1.22 लाख | 1.05 लाख |
सतना | 1.76 लाख | 1.53 लाख |
अशोकनगर | 83 हजार | 72 हजार |
नरसिंहपुर | 81 हजार | 70 हजार |
रीवा | 1.87 लाख | 1.63 लाख |
बालाघाट | 1.50 लाख | 1.31 लाख |
जबलपुर | 1.37 लाख | 1.20 लाख |
विदिशा | 1.26 लाख | 1.11 लाख |
शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी ध्यान
बच्चों का नामांकन दर बढ़ाने के लिए गृह संपर्क अभियान जारी करने और समग्र आईडी से मैपिंग करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
हरजिंदर सिंह, संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र