बच्चे अगर वेस्ट से बेस्ट बनाकर उसे बेचना सीख गए , समझों भारत विकसित हो गया
स्कूल में बनाए गए माॅडल या प्रोजेक्ट अगर बच्चे रियल लाइफ में उतारने लगे तो भारत की तस्वीर बदल सकती है। लेकिन तकनीकी माध्यमों की गंदगी उन्हें स्कूल के बहार बर्बाद करने पर उतारू है। अभिभावकों का भी फर्ज है कि की वे स्कूल से बच्चे के आने के बाद घर पर प्रायोगिक कार्य को लेकर प्रयास करने कहें। आज ऐसा ही एक नजारा नरसिंहपुर के नवोदय स्कूल में देखने को मिला। कलेक्टर सुश्री ऋजु बाफना भी यहां के बच्चों एवं शिक्षकों के द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट को देखकर शिक्षा में ऐसे प्रयेप्रयोग पर प्रसन्न हुईं।
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