सलकनपुर के पास रामगाँव में नर्मदा यात्रियों की सेवा हेतु नवनिर्मित रेवा सेवा सदन का लोकार्पण पूज्य महामण्डलेश्वर ईश्वरानन्द जी उत्तम स्वामी जी महामंडलेश्वर माँ कनकेश्वरी देवी जी, पूज्य गोरी शंकर जी महाराज के शिष्य छोटे सरकार जी, पूज्य रामगोपाल जी महाराज, माननीय सुरेश जी सोनी (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य) श्री सुधीर अग्रवाल सागर ग्रुप चेयरमैन, श्री रोहन मनिहार, लक्ष्मी ग्रुप चेयरमैन, श्री राजेश भाटी भूमि दानदाता, श्री तपन भौमिक के द्वारा सम्पन्न हुआ ।

इस अवसर पर श्री मोहित चौहान, श्री महेश उपाध्याय, श्री नरेन्द्र चौहान, जितेन्द्र जी पंवार, मनीष जी शर्मा, बृजकिशोर जी भार्गव, विभीषण सिंह जी, मप्र जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री मोहन नागर, श्री रामकुमार भावसार, श्री कार्तिक सप्रे सहित मध्यप्रदेश सरकार के मन्त्री व विधायकगण व बड़ी संख्या में नर्मदा भक्त उपस्थित थे ।

अतिथियों ने सर्वप्रथम माँ नर्मदा का पूजन कर नर्मदा पदयात्रियों की सेवा के लिये महर्षि उत्तम सेवा धाम रेवा सेवा सदन का लोकार्पण किया ।

अतिथियों का स्वागत श्री तपन भौमिक जी ने किया । इस अवसर पर भूमि दानदाता श्री राजेश भाटी ने कहा कि उनके पूज्य पिताजी नर्मदा यात्रियों की सेवा हेतु यह जमीन दान दी है । उनकी इच्छा पूर्ण हो रही है, उनके लिए संस्था को धन्यवाद देता हूँ ।

रोहन जी ने कहा कि मैं संयुक्त परिवार से हूँ, पानी का काम कर रहे हैं । यही सेवा है । धन की मदद बहुत छोटी बात है, सेवा समर्पण सबसे बड़ी बात है । ऐसे सेवा केन्द्र संस्कार माध्यम बने ।

सागर ग्रुप के चेयरमैन सुधीर जी अग्रवाल ने कहा कि हम तो नर्मदा मैया के कर्जदार है । मेरी सफलता का राज आशीर्वाद है । स्वामी का आशीर्वाद मेरे साथ है । उन्होंने कहा कि भारत बहुत खुशहाल देश है क्योंकि इस पर ईश्वर का आशीर्वाद है ।

छोटे सरकार ने कहा परिक्रमावासी के लिए बना यह भवन नर्मदा यात्रियों की सेवा करेगा । नर्मदा परिक्रमा मार्ग बनना चाहिए । आगे-आगे गौमाता चले पीछे सन्त चले । ऐसा मार्ग बने । मंच से उन्होंने नर्मदाष्टक का वाचन किया ।

माँ कनकेश्वरी देवी ने कहा रेवा सेवा सदन का निर्माण के पीछे संकल्पसिद्धि के साथ सद्गुरु का आशीर्वाद भी है । पारमार्थिक कार्य इच्छारहित होने पर होता है । यह साधुता का अनिवार्य लक्षण हैं । बिना विद्वता के भी सन्त बन सकते हैं किन्तु बिना परमार्थ के सन्त नहीं हो सकते । परमार्थ और रस सिद्धि साधु मार्ग की ओर प्रेरित करती है ।

जिसने स्वभाव को साध लिया वही साधु है ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आदरणीय सुरेश जी सोनी ने कहा कि संकल्प निमित्त बनकर सिद्ध होता है । चित्त का संकल्प कार्य पूर्ण करने की प्रेरणा देता है ।

जिसमे चेतना है वह एक जैसा नहीं रहता । परमात्मा के निकट जाना यानी व्यापक होना है । उसे ब्रह्म कहते हैं यानी वह विस्तार है । भाव जगत में आत्मीयता का घेरा जितना बढ़ता है उतना ही परमात्मा के निकट होते हैं ।

भर्तृहरि ने कहा है परमार्थ करना ही जिसका स्वार्थ है वही सच्चा सन्त है ।

भारतीय परम्परा में तीन शब्द संकल्प, प्रतिज्ञा, वृत आते हैं । तीनों शब्द अलग नहीं हैं केवल अलग अवस्था है । मन में संकल्प हो, तो विकल्प खड़े होते हैं, किन्तु निश्चित करने पर वह प्रतिज्ञा होती है । किन्तु वह मानसिक होती है, मन बुध्दि के साथ जब वह कृति करता है तो वह वृत होता है । इसलिए इसे सेवावृत कहा जाता है ।

सन्तों का जीवन देखकर दिशा मिलती है । हम सब सेवा दिशा की ओर प्रवृत्त हो ।

उन्होंने माँ नर्मदा जी बारे में कहा है कि पानी नर्मदा जी का शरीर है, देवी है किन्तु अगर प्रदूषण बढ़ता रहा तो देवी स्वरूप नर्मदा कैसे रहेगी । उसके लिए नर्मदा जल पवित्र रहे यह हमारा दायित्व है ।

श्रद्धा की अभिव्यक्ति पारम्परिक चीजों से हो । नर्मदा का जीवन पेड़ों पर आश्रित है । इसकी हमें देखभाल करनी होगी । हरियाली के लिए काम करना होगा ।

इस तरह के केन्द्र विकसित हो सब प्रेरणा लें ।

पूज्य उत्तम स्वामी ने अपने प्रवचन में कहा कि हम सबको महादेव की पुत्री की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त करने अवसर प्राप्त हुआ है । समय की गति का वर्णन महादेव का एक पल उसी नेत्र से एक बून्द निकला वही नर्मदा माँ है । सबको उच्च पद पर पहुंचाने वाली नर्मदा माँ है ।

माँ के चरणों मे सेवा का अवसर जिसे मिलता है वह सौभाग्यशाली है । यही जीवन की सबसे बड़ी साधना है । सेवा सबसे बड़ा पुण्यकार्य है ।जगत में अन्नदान सबसे बड़ा दान है । भोजन में बाद व्यक्ति संतुष्ट होता है । सारे तीर्थ की सेवा भूखे को भोजन कराना है ।

मानुष तन पाना ही भाग्योदय है । स्वामी जी ने कहा कि यह तीसरा सेवा केन्द्र प्रारम्भ हुआ है । परमार्थ के लिए यह कार्य चलता रहे । जीवन में विचार, कर्म और विचारों से साधुता हो ।माँ नर्मदा की सेवा के लिए हमारा चयन परमात्मा ने किया है । माँ नर्मदा के आशीर्वाद का सौभाग्य सबको मिले । सब सहभागी बनें ।

सबकी सेवा हो । वर्ष में एक दिन रेवा सेवा सदन को अवश्य दें । परिकर्मावसियों की सेवा होती रहे यही इस सदन का उद्देश्य है ।स्वामी ने सभी को आशीर्वाद दिया ।पूज्य उत्तम स्वामी जी, सुरेश जी व अन्य अतिथियों ने भवन निर्माण करने वाले कारीगरों का सम्मान किया ।कार्यक्रम का संचालन श्री प्रतीक ने किया तथा सभी आभार श्री नरेन्द्र सिंह चौहान ने व्यक्त किया ।

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