मोहन मंत्रिमंडल में नये एवं युवा विधायकों को मिलेगा मौका ?
योगेन्द्र पटेल
मप्र में केन्द्रीय नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए उन विधायकों को मंत्री बनाकर चौकाने का मन बना लिया है जो पहली बार चुनाव जीत कर आए हैं एवं कांग्रेस के दिगगजों को पटकनी दी है। यहां भाजपा यह संदेश देने की कोशिश भी करने जा रही है कि भाजपा उन कार्यकर्ताओं का भी ध्यान रखती है जो कई दिनों से जनता की सेवा करने संघर्ष कर रहे हैं। जिस तरह से राजस्थान एवं मप्र -छग में भाजपा ने एक नव नेतृत्व को जन्म दिया है उससे कई दिनों से राजनीतिक दलों के प्रति जनता में उपज रहे गलत संदेशों को भी समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा हैं।
अंदरखाने से खबर है कि भाजपा मध्यप्रदेश के मंत्रीमण्डल निर्माण में भी चौकाने वाले फैसले लेगी ,उन्हीं विधायकों का मौका मिलेगा जो जातिगत समीकरण में फिट बैठते हैं एवं अपने विधानसभा क्षेत्र के अलावा दूसरे जिलों- राज्यों के मतदाताओं को भी साधने का मांदा रखते हैं।
ऐसा हो सकता है मोहन यादव का मंत्रिमंडल
दरअसलए मध्य प्रदेश में बीजेपी ने जिस तरह से मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री का चयन किया हैए उसमें जातिगत समीकरण पूरी तरह से दिखा है, ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी अब मंत्रिमंडल में जातिगत समीकरणों के साथ.साथ क्षेत्रीय समीकरण का भी संतुलन बनाएगी। इसके अलावा महिला मंत्रियों को भी इस बार पर्याप्त जगह मिलने के पूरे चांस हैं, क्योंकि बीजेपी की तरफ कई सीनियर महिला विधायक फिर से चुनाव जीती हैं,जबकि युवा नेताओं को भी इस बार मंत्रिमंडल में जगह मिलने की पूरी संभावना है ,साथ ही उन विधायकों को भी मिलने जा रहा है जहां भाजपा के कई दिग्गजों का अब तक कब्जा था एवं वहां वे हार गए एवं नए विधायक जीत के आए हैं।
मालवा.निमाड़ से इन्हे मिल सकता है मौका
मालवा.निमाड़ से इस बार कैलाश विजयवर्गीय के साथ.साथ राजेश सोनकरए रमेश मेंदोला,तुलसी सिलावट, राजेंद्र पांडे, ऊषा ठाकुर, हार्डिया,मालिनी गौड़, अर्चना चिटनिस, गायत्री राजे पंवार, हरदीप सिंह डंग, निर्मला भूरिया की दावेदारी मजबूत दिख रही है, इसके अलावा भी बीजेपी कई चौंकाने वाले नामों को जगह दे सकती है। क्योंकि मालवा.निमाड़ में भी दूसरी से तीसरी बार चुनाव जीते विधायकों की फेहरिस्त लंबी है।
महाकौशल से
महाकौशल से मंत्री पद के प्रबल दावेदारों की बात की जाए तो प्रहलाद सिंह पटेल और राकेश सिंह के अलावा राव उदय प्रताप सिंह, अजय विश्नोई, अशोक रोहाणी, संपत्तियां उईके, ओमप्रकाश धुर्वे, संजय पाठक, प्रणय पांडेय, दिनेश राय मुनमुन,राजकुमार कराहे या गौरव पारधी के अलावा दूसरे कई चेहरों पर भी पार्टी दांव लगा सकती है।
ग्वालियर.चंबल
ग्वालियर.चंबल से प्रद्युम्न सिंह तोमर, नारायण सिंह कुशवाहा, एंदल सिंह कंसाना, प्रीतम लोधी, बृजेंद्र सिंह यादव, मोहन सिंह राठौर मंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं,इसके अलावा भिंड जिले से भी मंत्री पद दिया जा सकता है।
मध्य भारत
मध्य भारत से मंत्रिमंडल में जगह बनाने के दावेदारों की बात की जाए तो विश्वास सारंग, प्रभुराम चौधरी। करण सिंह वर्मा। रामेश्वर शर्मा, कृष्णा गौर, विष्णु खत्री, सूर्यप्रकाश मीणा, सुरेंद्र पटवा, हेमंत खंडेलवाल जैसे नेता मंत्रिपद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
विंध्य अंचल
विंध्य अंचल से रीति पाठक के अलावा बिसाहूलाल सिंहए मीना सिंह। दिव्यराज सिंह। नागेंद्र सिंह नागौद। गिरीश गौतम। विक्रम सिंह मंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। ऐसे में यहां भी समीकरण बिठाने में बीजेपी को मशक्कत करनी पड़ सकती है।
बुंदेलखंड से
बुंदेलखंड से सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव के अलावा, जयंत मलैया, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत, शैलेंद्र जैन, प्रदीप लारिया, बृजेंद्र प्रताप सिंह, ललिता यादव, हरिशंकर खटीक, अनिल जैन मंत्रिपद के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।