विभिन्न तरह के तकनीकी माध्यमों के टावरों से निकलने वाली रेडिएशन पक्षियों के अंडों और भ्रूणों को नुकसान पहुंचा सकती है। शहरों में मोबाइल फोन टावरों की बढ़ती संख्या के कारण भारत में पक्षियों की संख्या में कमी आ रही है । इसी बात को अपने मन में बसाकर महाराष्ट्र के जालना शहर के जगदीश गौड चिडियों को बचाने की मुहिम चला रहे हैं। जगदीश के अनुसार वे अब तक हजारों रेडिएशन से बचाव वाले घोषले नागरिकों को बहुत कम दाम में उपलब्ध करा रहे हैं।

जगदीश कहते हैं - टावरों से खतरनाक रेडिएशन वातावरण में फैलती हैं। लोगों को इसी कारण से दूरसंचार सेवाओं का लाभ मिल पाता है, लेकिन जानकारों के अनुसार ये तरंगे पक्षियों के लिए काफी घातक होती हैं। इसका सीधा असर इन पक्षियों पर पड़ता है और उनके लुप्त होने का कारण भी प्रायरू यही है। पक्षी मौत के आगोश में समाते जा रहे हैं। यह सिलसिला तेज होता जा रहा है जिस कारण इन पक्षियों की चहचहाहट कम होती जा रही है।मोबाइल टावरों के चुंबकीय तरंग इन पक्षियों  के अंडों को को बुरी तरह से प्रभावित कर रही है।

जगदीश चिडियों को बचाने का यह कार्य तीन साल से कर रहे हैं। उनकी नागरिकों से अपील है कि वे इन घोषलों को अपने आसपास लगा दें जिससे की प्रकृति चक्र बचाया जा सके। अभी तक मैने पांच हजार के आसपास भोसले बनाकर लोगो को दिये है, इन घोसलो के माध्यम से अभी तक हजारो चिडिया को हमने जीवन दिया होगी, हमने हमारे यहा से घोसले मुंबई नासिक औरंगाबाद पुणे इचलकरंजी कोल्हापूर सांगली सातारा इन सभी शहर और ग्रामीण मे भी भेजे है 

न्यूज़ सोर्स :