सेलेनियम नामक धातु की मात्रा ज़रूरत से ज्यादा ,महाराष्ट्र के गाँवों को बीमार कर रहा पंजाब का गेहूं?
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क्या हो अगर आप किसी सुबह आप उठे और आपके सिर के सारे बाल ही गायब हों? आपका जवाब होगा कि ऐसा कहाँ होता है? लेकिन महाराष्ट्र के गाँव में ऐसा ही हुआ है। महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले के कई गाँवों में अचानक से लोगों के बाल तेज़ी से गिरने शुरू हो गए, यही नहीं कुछ ही दिनों में कई कारण कई लोग गंजे भी हो गए। बुलढाणा ज़िले के भोनगांव ग्राम पंचायत के सरपंच रामेश्वर ठाकर ने Media से बताते हैं, “दिसंबर खत्म होते-होते बाल झड़ने के मामले सामने आने लगे। जब लोग डॉक्टर के पास पहुँचे, तो उन्हें बताया गया कि कई बार शैंपू की वजह से भी इस तरह की समस्याएँ हो सकती हैं। लेकिन बाद में गाँव में ऐसे लोग भी पाए गए, जिन्होंने इस दौरान शैंपू का इस्तेमाल नहीं किया, फिर भी उनके बाल अचानक झड़ने लगे। हाथ से जितने बाल पकड़ो, वो हाथ में आ जाते। कुछ लोग तो तीन दिन में गंजे हो रहे थे।”
वे आगे कहते हैं, “हमने इस मामले को जिला चिकित्सा अधिकारी तक पहुँचाया, लेकिन उधर से भी कोई जवाब नहीं मिला। ICMR और AIIMS से लोग आए और उन्होंने पानी, शैंपू और अनाज के सैंपल लिए”
लेकिन कुछ ही दिनों में ऐसा क्या हुआ कि लोग गंजे होने लगे? इस समस्या की जड़ तक जाने के लिए महाराष्ट्र के मशहूर फिजिशियन पद्मश्री डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने महीने तक रिसर्च की तो पता चला कि इसके पीछे की वजह उनकी थाली की रोटी है। उनकी इस रिसर्च के अनुसार ये सब पीडीएस (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम ) के तहत लोगों के दिए जाने वाले पंजाब के गेहूं के कारण हो रहा है।
इसके हिसाब से पंजाब से लाए गए गेहूं में सेलेनियम नामक धातु की मात्रा ज़रूरत से ज्यादा थी, जिसे ग्रामीणों द्वारा खाने की वजह से उन्हें गंजेपन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
कई गाँव में फैली है ये समस्या
बुलढाणा ज़िले के करीब दर्जनों गाँव में लोग तेजी से बाल झड़ने की समस्या से पीड़ित हैं।
अपनी इस रिसर्च के बारे में डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने गाँव कनेक्शन कहते हैं, “बुलढाणा जिले के 18 गाँवों में अचानक बाल झड़ने (गंजेपन) की महामारी फैलने की खबर आई, तो डॉक्टर ने इसकी जांच शुरू की। पीड़ितों ने बताया कि उन्होंने एक खास गेहूं खाया था, जिसके बाद उन्हें दस्त, उल्टी, बुखार, सिरदर्द और खोपड़ी में जलन हुई। कुछ ही दिनों में उनके सारे बाल झड़ गए। इस हालत की वजह से लोग स्कूल और कॉलेज जाना छोड़ने लगे, शादियां टूट गईं, और दूध-सब्जी वाले भी गाँव में आने से कतराने लगे।”
वो आगे बताते हैं, “डॉक्टर ने पीड़ितों के खून, पेशाब, बाल और खाए गए गेहूं के नमूने इकट्ठा किए। जांच में पाया गया कि इनके शरीर में सेलेनियम का स्तर हजार गुना ज्यादा था, जबकि जिंक की कमी थी। जब गेहूं के सैंपल की जांच की गई, तो पता चला कि यह पंजाब से आया था।”
इसी ज़िले के भोनगांव ग्राम पंचायत में करीब 30 लोग इस समस्या की चपेट में हैं। भोनगांव ग्राम पंचायत के सरपंच आगे कहते हैं, “लोगों में डर है कि इस वजह से और कोई बीमारी न हो जाए।”
पंजाब के कई इलाकों में भूजल में सेलेनियम की मात्रा ज़रूरत से ज्यादा
पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ एमिनेंस हरदेव सिंह विर्क के रिसर्च जर्नल के मुताबिक, पंजाब के कई ज़िलों के भूजल में यूरेनियम, आर्सेनिक और सेलेनियम जैसी ख़तरनाक चीज़ें जरूरत से ज्यादा पाई जा रही हैं, जो एक बड़ा संकट बन चुका है। दोआबा इलाके के जालंधर, कपूरथला और होशियारपुर ज़िलों के पानी में सेलेनियम का लेवल काफी ज्यादा है।
पंजाब में गेहूँ की फ़सल पर सेलेनियम के प्रभाव पर डॉ हिम्मतराव बावस्कर बताते हैं, “पंजाब की मिट्टी में पहले से ही सेलेनियम की मात्रा ज्यादा होती है, क्योंकि शिवालिक पहाड़ियों से बहकर यह तत्व वहां की ज़मीन और पानी में मिल जाता है। खास बात यह है कि गेहूं सेलेनियम को ज्यादा मात्रा में सोखता है।”
‘पंजाब के दो जिलों में यह समस्या इतनी गंभीर थी कि वहां खेती पर रोक लगाई गई थी। गलती से वहीं का जहरीला गेहूं महाराष्ट्र पहुंच गया और इसे खाने से गाँव वालों की यह हालत हो गई। हालांकि, डॉक्टरों ने कहा कि यह एक हादसा था और ऐसा बार-बार होने की संभावना नहीं है, “डॉ हिम्मतराव बावस्कर ने आगे कहा।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के हिसाब से, पानी में सेलेनियम की सुरक्षित सीमा 0.01 mg/l (ppm) होनी चाहिए। इस रिपोर्ट में दोआबा बेल्ट के पानी में सेलेनियम की मात्रा को बताया गया है।
कपूरथला ज़िले के गाँव नंगल नरैनगढ़ में एक हैंडपंप से लिए गए पानी में 0.082 mg/l (ppm) सेलेनियम मिला है। वहीं, जालंधर ज़िले में सबसे ज्यादा 102 गाँवों में भूजल में सेलेनियम की मात्रा सुरक्षित सीमा से ऊपर पाई गई है।
अभी और जाँच होनी है बाकी
बुलढाणा ज़िले में फैली इस समस्या को लेकर यहाँ के सांसद प्रतापराव जाधव ने गेहूँ से ये समस्या होने से इनकार किया है, उन्होंने कहा, “ICMR की जो रिपोर्ट थी, वह एक प्राथमिक रिपोर्ट थी, जिसमें कहा गया कि कुछ खाद्य पदार्थों में अगर सेलेनियम अधिक मात्रा में आ जाए, तो इससे बाल झड़ने लगते हैं। उन्होंने गेहूं के तीन सैंपल लिए थे, जिनमें से एक सैंपल में बिल्कुल भी सेलेनियम नहीं था, जबकि एक में थोड़ी ज्यादा मात्रा पाई गई। लेकिन सिर्फ सेलेनियम की वजह से यह समस्या हुई, ऐसा कहना सही नहीं होगा।”
“एक ही परिवार के कुछ लोगों को यह समस्या हुई और कुछ को नहीं। एक ही गाँव के कुछ लोग, जो एक ही जगह से अनाज लेते थे, उनमें से भी कुछ ही लोगों के बाल झड़े। इस पर विस्तृत शोध किया जा रहा है, और हमारे विशेषज्ञ जल्द ही इसकी पूरी जानकारी देंगे, “प्रतापराव जाधव ने आगे कहा।
सेलेनियम को थोड़ा जान लीजिए
सेलेनियम एक प्राकृतिक तत्व है, जो मिट्टी, पानी और कुछ खाने-पीने की चीजों में पाया जाता है। यह इंसानों और जानवरों के लिए थोड़ी मात्रा में जरूरी होता है, लेकिन अगर पीने के पानी में इसकी मात्रा ज्यादा हो जाए, तो यह जहरीला साबित हो सकता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (WHO) के मुताबिक, पीने के पानी में सेलेनियम की अधिकतम सुरक्षित सीमा 40 µg/L (माइक्रोग्राम प्रति लीटर) होनी चाहिए। अगर यह सीमा पार हो जाए, तो सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
अधिक मात्रा में सेलेनियम आपको कर सकता है बीमार
अगर लंबे समय तक सेलेनियम से दूषित पानी पिया जाए, तो यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है, जैसे:
- नसों को नुकसान
- मांसपेशियों में कमजोरी
- लिवर की समस्याएँ
- बाल और नाखून झड़ना
- पाचन तंत्र की गड़बड़ियाँ
अगर लंबे समय तक सेलेनियम का ज्यादा सेवन होता रहे, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।
इन राज्यों से जाता है पूरे देश को गेहूँ
भारत के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में गेहूं की आपूर्ति मुख्यतः पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश राज्यों से होती है। ये तीनों राज्य देश के कुल गेहूं उत्पादन का लगभग 46% हिस्सा रखते हैं, लेकिन PDS के लिए कुल गेहूं खरीद का 85% से अधिक योगदान देते हैं।
राज्य | कुल गेहूं उत्पादन में योगदान (%) | PDS के लिए कुल गेहूं खरीद में योगदान (%) |
पंजाब | 18% | 35% |
हरियाणा | 14% | 25% |
मध्य प्रदेश | 14% | 25% |
उत्तर प्रदेश | 12% | 10% |
राजस्थान | 8% | 5% |