सामुदायिक व्यापार. अब दुकान से नहीं बब्ली से खरीदें ब्रांडेड चावल-आटा
मेरा नाम बबली प्रजापति हैं। मैं सामान्य गृहणी थी। परिवार में पति, 1 पुत्र व 2 पुत्री थी। मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। मैं 2014 में आजीविका मिशन के मां दुर्गा स्व-सहायता समूह से जुड़ी। आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद गांव एवं परिवार में पहचान एवं सम्मान बड़ गया। समूह से जुड़ने बाद मेरे जीवन में काफी परिवर्तन आया। पहले उनके जीवनयापन का एक मात्र साधन मजदूरी था लेकिन मिशन से जुड़ने के बाद उन्हें अपनी आजीविका चलाने के अन्य साधन भी उपलब्ध हुए। दीदी ने समूह के गणवेश कार्य से जुड़कर सिलाई कार्य शुरू किया। आजीविका मिशन की सीआरपी कामिनी दीदी की मदद से मुझे बैंक के द्वारा सीसीएल ऋण प्राप्त किया। इस ऋण से मैनें मटका भंडारण के लिये 3000 रूपये का बिजली का चक्का, 3,000 की मिट्टी एवं भूसा कुल 15-20 हजार की लागत से मटका बनाने एवं उसे बाजार में बेचने का कार्य करना शुरू किया। इस कार्य से मुझे 30,000 रूपये तक की आय होने लगी। इस व्यापार से लाभ होने पर मैनें ने आटा चक्की खरीदी एवं सीएलएफ की बैठक में दीदीयों मार्केटिंग की सलाह से लेकर 5-5 किलो के बोरे में पेकिंग कर सभी दुकानों तक पहुचांना शुरू किया। ताकि बाजार में जैविक आटा ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच सके। आज मैनें 4-5 साल से मटका बनाकर बेचने का कार्य कर रही हॅू। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी हो गई है और बच्चो को भी पढ़ा रही हॅू। घर खर्च चलाने में भी कोई परेशानी नही होती एवं घर के महत्वपूर्ण निर्णय में भागीदारी रहती है जो एक सफल महिला की पहचान है। आजीविका मिशन से जुड़कर सरकार के योजनाओं की जानकारी आसानी से प्राप्त की एवं उनका लाभ भी उठाया। साथ ही वे पक्के मकान में अपना जीवन यापन कर रही हॅू। इस योजना के लिए में शासन प्रशासन को धन्यवाद देती हॅू।
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