दपर्ण पोर्टल की तर्ज पर अब मप्र में दृष्टि पोर्टल पर एनजीओ का पंजीयन हुआ अनिवार्य, नोटिफिकेशन जारी

योगेन्द्र पटेल- सामाजिक-राजनीतिक एवं प्रशासनिक विश्लेषक
भोपाल। नीति आयोग के दपर्ण पोर्टल की तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में कार्यरत सभी गैरसरकारी संगठनों एनजीओ का ग्रेडिंग सिस्टम लागू करने जा रही है। इसके अंतर्गत पंजीयन चिन्हांकन एवं भौतिक सत्यापन के साथ-साथ “दृष्टि पोर्टल” पर पंजीयन करना अनिवार्य होगा। यह कार्य मप्र सरकार की एनजीओ नोडल एजेंसी मप्र जन अभियान परिषद के माध्यम से किया जाएगा। साल 2021 में शासकीय निकाय की बैठक में यह निर्णय लिया गया था,लेकिन इस कार्य में शिथिलता देखी जा रही थी। किंतु इस वित वर्ष से इसे और प्रभावी बनाने आदेश जारी किये गए हैं।
कैसे होगी एनजीओ की ग्रेडिंग
वर्तमान समय में प्रदेश में किसी भी विभाग में निकलने वाले प्रशासनिक एनजीओ वर्क में उपलब्धि आधारित मूल्यांकन प्रमाण पत्र मप्र जन अभियान परिषद से अनिवार्य नहीं था जिससे कागजी एनजीओ सरकारी पैसों पर डाका डाल रहे थे, किन्तु अब दृष्टि पोर्टल पर आनलाइन वर्क मूल्यांकन प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है, इस प्रमाण पत्र के अभाव में सरकार से अनुदान प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा। सॉफ्टवेयर आधारित इस प्रत्यायन मूल्यांकन प्रक्रिया से प्रदेश में पंजीकृत सभी समितियों को गुजरना होगा। अपने कार्यों को पोर्टल पर लोड़ करना होगा जिसके आधार पर पोर्टल पर हर वित वर्ष का डेटा उपलब्ध रहेगा। इस प्रक्रिया के बाद पोर्टल “ग्रेडिंग प्रमाण पत्र” स्वतः ही तय कर देगा। ग्रेडिंग सिस्टम के लाभ:
- विश्वसनीयता में वृद्धि:
एनजीओ को ग्रेडिंग के माध्यम से उनकी विश्वसनीयता बढ़ती है, जिससे दानदाता, भागीदार और अन्य हितधारक उन्हें और अधिक भरोसेमंद मानते हैं।
- धन उगाहने में मदद:
ग्रेडिंग एनजीओ को धन उगाहने में भी मदद करती है, क्योंकि यह दानदाताओं को यह समझने में मदद करती है कि वे किस एनजीओ को दान कर रहे हैं और उनकी वित्तीय स्थिति कैसी है।
- पारदर्शिता:
एनजीओ ग्रेडिंग सिस्टम एनजीओ के कामकाज में पारदर्शिता लाता है, जिससे वे अपने कार्यों के बारे में अधिक जवाबदेह होते हैं। सरकारी धन के दुरूपयोग को रोका जा सकता है।
- सुधार:
एनजीओ को ग्रेडिंग प्रक्रिया से पता चलता है कि वे किन क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं और किन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।