अभी योजनाएं सरकार बनाती हैं, जिसमें समुदाय की भागीदारी न के बाराबर है।  ग्राम पंचायतों के लिए संवैधानिक रूप से यह अनिवार्यता किया गया  है कि उनके पास उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए ग्राम पंचायत विकास योजनाएं {GPDP} समुदाय के सहयोग से तैयार किया जाए जाएँ, पर इस को लेकर इच्छाशक्ति की शून्यता दर्शाती है कि यह वर्तमान में विकास के लिए काफी नहीं है। इसी बात को ध्यान में रख मप्र सरकार स्वैच्छिक संगठनों को  विकास गतिविधियों में सहभागी बनाने मप्र जन अभियान परिषद को नोडल एजेंसी के रूप क्रियान्वित कर एक नया खाका तैयार कर रही है। सूत्रों की माने तो इका खाका लगभग तैयार है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  इस की घोषणा स्वैच्छिक संगठनों के सम्मेलन के दौरा कर सकते हैं।

क्या है जन अभियान परिषद

जन अभियान परिषद एक सरकारी संस्था है जो योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के लिए जमीनी इनपुट एवं स्वैच्छिक संगठनों की क्षमतावृद्वि कर स्थानीय स्तर पर ही सतत विकास कार्य को लेकर एक प्रोजेक्टिव लीडरशिप  तैयार कर रही है। संस्था का उद्देश्य समावेशी  विकास को लेकर छोटे-छोटे गैरसरकारी संगठनों को मौका प्रदान करना एवं नगर एवं ग्रामों में विकास समितियों को प्रस्फुटित कर विकास कार्य में समुदाय की भागीदारी तय करना है।

म.प्र.जन अभियान परिषद की योजनाएं म.प्र.शासन की प्राथमिकताओं के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के 17 में से लगभग 12 बिंदुओं पर कार्यरत हैं. म.प्र. जन अभियान परिषद, म.प्र. शासन का एक ऐसा उपक्रम है, जिसकी योजनाएं/कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के ज्यादातर बिंदुओं से सम्बंधित हैं.

जनता और सरकार के बीच सेतु के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और सामुदायिक संगठनों को विकास की सशक्त इकाई के रूप में विकसित करने के उद्देश्य हेतु मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद् (योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग) कार्यरत है। यह परिषद् शासन को सलाह देने,सामुदायिक भागीदारी प्रोत्साहित करने, स्वयंसेवी संस्थाओं से संबंधित प्रक्रियाओं की जानकारी समेकित कर, नीतियों के क्रियान्वयन के लिये एक समन्वयक अभिकरण के रूप में करती है.

जन अभियान परिषद, म.प्र. शासन की योजनाओं हेतु एक एक्स्ट्रा फ़ोर्स उपक्रम सिद्ध हुआ है. परिषद समय-समय पर सभी विभागों की महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन व प्रचार-प्रसार हेतु प्रमाणिकता से कार्य कर रही है. वर्तमान में परिषद के प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर 1 विकासखण्ड समन्वयक के अलावा 5 परामर्शदाता (CMCLDP), 100 प्रस्फुटन समितियां (7-15 सदस्यीय), लगभग सौ छात्र सामुदायिक नेतृत्वकर्ता और स्वयंसेवी संगठनों की समर्पित टीम कार्यरत है जिसने विगत दस वर्षों के अल्प समय में अन्य विभागों और उपक्रमों की तुलना में ज्यादा जनोपयोगी सिद्ध किया है.

सतत विकास के 17 लक्ष्य (Sustainable Development Goals)-

1. गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति.

2. भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा.

3. सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा.

4. समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना.

5. लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना.

6. सभी के लिए स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना.

7. सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना.

8. सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार, और बेहतर कार्य को बढ़ावा देना.

9. लचीले बुनियादी ढांचे, समावेशी और सतत औद्योगीकरण को बढ़ावा.

10. देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना.

11. सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण.

12. स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना.

13. जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना.

14. स्थायी सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग.

15. सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना.

16. सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेही बनना ताकि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके.

17. सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना.

सतत विकास के उपरोक्त 17 लक्ष्यों पर हम गौर करें तो पाएंगे कि ज्यादातर लक्ष्यों की पूर्ति परिषद की योजनाओं से की जा रही है.

जन अभियान परिषद शासन का एक मात्र ऐसा उपक्रम है जिसने कम संसाधनों में सतत विकास लक्ष्य (SDG) 17 प्रमुख लक्ष्यों में से ज्यादातर लक्ष्यों की पूर्ति जन अभियान परिषद की योजनाओं विशेषकर प्रस्फुटन योजना और मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम से हो रही है. परिषद की योजनाओं व मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम में शामिल १० एसाइन्मेंट और परियोजना कार्य से अधिकांश सतत विकास लक्ष्य (SDG) पूर्ण हो रहे हैं.

अभी हमने ऊपर वर्णित सतत विकास के १७ लक्ष्यों का अध्ययन किया. अब हम परिषद के कार्यों का और SDG के बिंदुओं का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे, जहाँ हम पायेंगे कि सतत विकास लक्ष्य (SDG) के 12 बिंदुओं पर परिषद की योजनाओं/कार्यक्रमों द्वारा क्रियान्वयन किया जा रहा है. परिषद की योजनाओं मुख्यतया प्रस्फुटन समिति व मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम के सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं/छात्रों के उन कार्यों का अवलोकन करें, जो स्वैच्छिकता के आधार पर किये जा रहे हैं-

१- सबके लिए शिक्षा-. बच्चों के लिये निःशुल्क कोचिंग, निरक्षरों हेतु साक्षरता कक्षाओं व संस्कार केन्द्रों का स्वैच्छिक सञ्चालन.

२- सबके लिए स्वास्थ्य- (स्वास्थ्य परीक्षण शिविर, नेत्र शिविर ,रक्तदान शिविर ,पशुओं का टीकाकरण, देहदान, अंगदान, नेत्रदान)

१- पर्यावरण संरक्षण- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से जंगलों, भूमिक्षरण और जैव विविधता के बढते नुक्सान को रोकने हेतु जन जागरण. (प्रतिवर्ष  पौधारोपण, पौधों का सरक्षंण,  नक्षत्र वाटिका, प्रस्फुटन वाटिका, त्रिवेणी रोपण, पहाड़ियों को गोद लेकर पौधरोपण, पर्यावरण संगोष्ठी, पर्यावरण जागरण रैलियां, पर्यावरण के लिये मानव श्रृंखला, ग्लोबल वार्मिग के कार्यक्रम आदि का आयोजन).

३- जलसरंक्षण- (सामुदायिक सहभागिता से तालाबों के निर्माण व तालाबों का गहरीकरण, नदी नालों में जन संरक्षण हेतु बोरी बंधान, स्टाप डेम, कूप गहरी करण, नदी सरंक्षण व पुनर्जीवन का  करना, पहाड़ियों पर कंटूर ट्रेंच निर्माण)

४- नशामुक्ति-  (गांवों को नशा मुक्त करना हेतु युवाओं को प्रेरित कर नशमुक्त करना, धूम्रपान से मुक्ति, तम्बाकू निषेध सप्ताह, रैलियां गोष्ठियों का आयोजन.)

५- ऊर्जा संरक्षण-ऊर्जा सरक्षण हेतु सी.एफ.एल. क्रांति का सूत्रपात परिषद के द्वारा किया गया. समुदाय लाखों सी.एफ.एल. लगवाकर सैकड़ो गांवों को ऊर्जा बचत का पाठ पढ़ाया. बिजली बिलों का भुगतान की जागरूकता, लोगों को प्रेरित कर बायोगैस निर्माण.

६- कृषि-जैविक खेती को प्रोत्साहन, व कृषि की विभिन्न विधाओं को बढ़ावा देने हेतु सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार.

७- स्वच्छता एवं साफ़ सफाई- स्वच्छता एवं साफ़ सफाई हेतु गाँव की सफाई से लेकर नालियों की सफाई जैसे कार्यों हेतु सामुदायिक सहभागिता से संभव हुआ. शौचालय निर्माण व उसके उपयोग पर भी परिषद के प्रस्फुटन सदस्यों व बी.एस.डब्ल्यू. प्रशिक्षुओं ने एक उत्कृष्ट प्रेरक की भूमिका में कार्य किया.

८- परिवार नियोजन हेतु जागरूकता- बढती जनसंख्या की रोकथाम के लिए ग्राम बैठकों का आयोजन कर आमजन को जागरूक करना.

९- नदी पुनर्जीवन अंतर्गत प्रदेश के ३१३ विकासखंडों में ३१३ नदियों का चिन्हांकन कर श्रमदान से उनके गहरीकरण व संरक्षण का कार्य, परंपरागत जल स्रोतों के संरक्षण के लिए जल यात्रा, नदियों के संरक्षण के लिए “नदी बचाओ यात्रा”, जल संसद, पानी रोको अभियान, पानी के महत्व को समझाने के लिये दीवार लेखन, सोख्ता गड्ढे, कुओं को रिचार्ज करना “खेत का पानी खेत मे गाँव का पानी गाँव मे”  छतीय वर्ष जल संग्रहण।

१०- महत्वपूर्ण दिवसों व महापुरुषों के जयंती/पुण्य तिथि का आयोजन

११- सामुदायिक सहभागिता से सड़क निर्माण व अन्य नवाचार.

१२- मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक शासकीय विभागों से विभिन्न दस्तावेज बनवाने की प्रक्रिया व नागरिक अधिकारों के प्रति ग्रामवासियों को जागरूक करना.

१३- जन सूचना केंद्र-शासन द्वारा संचालित योजनाओं के प्रति आमजन को जागरूक करना.

१४- यू.एन.के सतत विकास लक्ष्यों के सम्बन्ध में ग्राम पंचायतों व स्वयंसेवी संगठनों का प्रशिक्षण एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु उनकी भूमिका के प्रति जागरूक करना.

जहाँ एक ओर परिषद द्वारा गठित प्रस्फुटन समितियां स्व-प्रेरणा से वार्षिक कैलेण्डर के अनुसार कार्यरत हैं वहीँ अन्य सामाजिक सरोकार के नित नए नवाचार कर रही हैं.

मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत पंजीकृत सामुदायिक नेतृत्वकर्ता SDG के ज्यादातर बिंदुओं पर अपने कार्यक्रम में शामिल १० एसाइन्मेंट और परियोजना कार्य से अपने प्रयोगशाला में कार्य कर रहे हैं. चाहे स्वच्छ भारत अभियान की बात हो या साक्षर भारत योजना की बात हो इन सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में विकासखण्ड के ग्रामों में सामुदायिक नेतृत्वकर्ता बिना किसी आर्थिक सहयोग के इन सामाजिक सरोकार की गतिविधियां सम्पादित कर रहे हैं. मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें छात्र/सामुदायिक नेतृत्वकर्ता का पचास फीसदी अंक सैद्धांतिक विषयों और पचास फीसदी प्रायोगिक कार्यों के होते हैं. जिसमें सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं के द्वारा शासन के प्राथमिकता की विभिन्न योजनाओं पर जागरूकता से सम्बंधित कार्य सम्पादित करने होते हैं. इन सभी कार्यों को सामुदायिक नेतृत्वकर्ता व प्रस्फुटन प्रतिनिधियों की सहभागिता से पूर्ण किया जा रहा है. 

प्रस्फुटन योजना जन अभियान परिषद की रीढ़ कही जा सकती है. क्योंकि इसी योजना ने स्वैच्छिक अवधारणा को जन-जन तक पहुँचाया और पूरे प्रदेश में स्वैच्छिक रूप से ग्राम विकास में योगदान देने के युग की शुरुआत हुई. जन अभियान परिषद की मैदानी कार्यों का संपादन सेवाभावी 7-15 लोगों को प्रस्फुटन समिति के रूप में संगठित करके किया जाता है जिन्हें कोई मानदेय नही दिया जाता. इन प्रस्फुटन समितियों को बोर्ड, बैनर, स्टेशनरी, बैठक, कार्यक्रमों के आयोजन, रैलियों, विभिन्न योजनाओं के दीवार लेखन वर्ष भर में एक बार 15,000 रुपये की राशि तीन वर्ष तक दी जाती है. ये दस हजार की वार्षिक किश्त 7-15 लोगों की समिति को मिलते हैं अगर समिति में 7 व्यक्ति हैं तो प्रतिमाह 7 सदस्यों की समिति के लिए यह राशि महज 1428.57 रुपये होगी.

इन सभी कार्यों में सिर्फ समुदाय से सहज व्यवहार का ही पूरा योगदान है. आज ऐसे समय में जब प्रत्येक  इंसान किसी आर्थिक लाभ की दृष्टि से ही कोई कार्य करने की चेष्टा करता हो ऐसे समय में ऐसे सेवाभावी लोगों को संगठित करना बहुत आसान नही है.  आज की व्यस्ततम जिंदगी में जब किसी को फुरसत नही कि समाज के लिए निः स्वार्थ रूप से अपना समय दें लेकिन गाँवों के स्वैच्छिक कार्यकर्ता जब निरंतर सामुदायिक सहभागिता हेतु तत्पर रहते हैं तो उन्हें पता होता है कि वह ऐसे विभाग के अधिकारी/कर्मचारी के पास हैं जिसमें शासकीय सेवा के साथ सामाजिक सरोकार का भी एक दृष्टिकोण है. यही वजह है कि सामुदायिक सहभागिता को संकलित कर श्रमदान से प्रति वर्ष लाखों रूपये के कार्य सम्पादित किये जाते हैं और ये स्थानीय विकासपुरुष घंटों श्रमदान में पसीना बहाकर भी अनथक कार्यशील हैं.

जन अभियान परिषद द्वारा सतत दी जा रही स्वैच्छिक प्रेरणा के पूर्व समाज का स्वभाव ऐसा हो गया था कि आस पास के संसाधनों की सुरक्षा व सामाजिक सरोकारों की सारी जिम्मेदारी सरकार की है. लेकिन जन अभियान परिषद के कार्यों से सामाजिक सरोकार को जन-जन की आवाज बनने का प्रयास किया. चाहे वह सरकारी योजनाओं के प्रति ग्राम के आम नागरिक को जागरूक करना हो या ग्राम के संसाधनों की रक्षा हो. समाज ने जन अभियान परिषद जैसे उपक्रम की कल्पना सपने में भी नही किया होगा जिसके माध्यम से प्रतिवर्ष सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से लाखों रुपये का श्रमदान (बोरी बंधान, रास्तो का निर्माण) संकलित कर सरकार के खजाने का धन बचाते हुए प्रदेश के विकास को गति मिलेगी लेकिन परिषद की टीम ने असंभव कार्यों को संभव कर दिखाया. समुदाय के लोगों को संगठित कर बिना बजट कार्य करना किसी चुनौती से कम नही है. इसके पीछे एक ही लक्ष्य रहा है कि सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देते हुए ग्राम विकास की संकल्पना साकार हो जो ज्यादा टिकाऊ और कारगर होगी, समाज सरकारी संसाधनों की भी सुरक्षा निजी संसाधनों की भांति करेगा. आज के इस युग में लोगों को स्वैच्छिक रूप से विकास कार्यों में संलग्न करना भी हर आसान कार्य नही है किन्तु परिषद की कुशल टीम ने लोगों को संगठित कर विकास कार्यों में सहभागी बनाया. इसी का परिणाम है कि परिषद के अमले की सामाजिक और प्रशासनिक स्वीकार्यता सबसे ज्यादा है.

सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं द्वारा किये जा रहे कार्यों का अगर वित्तीय आकलन किया जाए तो पूरे प्रदेश में यह राशि प्रतिमाह लाखों रुपयों में होगी, जो सामुदायिक सहभागिता व स्वैच्छिक आधार पर सम्पादित हो रही है.

(SDG}  एवं GPDP के लक्ष्य को हासिल करने जन अभियान परिषद का उपयोग करेगी मप्र सरकार

अभी योजनाएं सरकार बनाती हैं जिसमें समुदाय की भागीदारी न क बाराबर है।  ग्राम पंचायतों के लिए संवैधानिक रूप से यह अनिवार्यता किया गया  है कि उनके पास उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए ग्राम पंचायत विकास योजनाएं {GPDP} समुदाय के सहयोग से तैयार किया जाए जाएँ, पर इस को लेकर इच्छाशक्ति की शून्यता दर्शाती है कि यह वर्तमान में विकास के लिए काफी नहीं है। इसी बात को ध्यान में रख मप्र सरकार स्वैच्छिक संगठनों को  विकास गतिविधियों में सहभागी बनाने मप्र जन अभियान परिषद को नोडल एजेंसी के रूप क्रियान्वित कर एक नया खाका तैयार कर रही है। सूत्रों की माने तो इका खाका लगभग तैयार है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  इस की घोषणा स्वैच्छिक संगठनों के सम्मेलन के दौरा कर सकते हैं।

क्या है जन अभियान परिषद

जन अभियान परिषद एक सरकारी संस्था है जो योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के लिए जमीनी इनपुट एवं स्वैच्छिक संगठनों की क्षमतावृद्वि कर स्थानीय स्तर पर ही सतत विकास कार्य को लेकर एक प्रोजेक्टिव लीडरषिप तैयार कर रही है। संस्था का उद्देष्य समावेषी विकास को लेकर छोटे-छोटे गैरसरकारी संगठनों को मौका प्रदान करना एवं नगर एवं ग्रामों में विकास समितियों को प्रस्फुटित कर विकास कार्य में समुदाय की भागीदारी तय करना है।

म.प्र.जन अभियान परिषद की योजनाएं म.प्र.शासन की प्राथमिकताओं के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के 17 में से लगभग 12 बिंदुओं पर कार्यरत हैं. म.प्र. जन अभियान परिषद, म.प्र. शासन का एक ऐसा उपक्रम है, जिसकी योजनाएं/कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के ज्यादातर बिंदुओं से सम्बंधित हैं.

जनता और सरकार के बीच सेतु के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं और सामुदायिक संगठनों को विकास की सशक्त इकाई के रूप में विकसित करने के उद्देश्य हेतु मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद् (योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग) कार्यरत है। यह परिषद् शासन को सलाह देने,सामुदायिक भागीदारी प्रोत्साहित करने, स्वयंसेवी संस्थाओं से संबंधित प्रक्रियाओं की जानकारी समेकित कर, नीतियों के क्रियान्वयन के लिये एक समन्वयक अभिकरण के रूप में करती है.

जन अभियान परिषद, म.प्र. शासन की योजनाओं हेतु एक एक्स्ट्रा फ़ोर्स उपक्रम सिद्ध हुआ है. परिषद समय-समय पर सभी विभागों की महत्वाकांक्षी योजनाओं के क्रियान्वयन व प्रचार-प्रसार हेतु प्रमाणिकता से कार्य कर रही है. वर्तमान में परिषद के प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर 1 विकासखण्ड समन्वयक के अलावा 5 परामर्शदाता (CMCLDP), 100 प्रस्फुटन समितियां (7-15 सदस्यीय), लगभग सौ छात्र सामुदायिक नेतृत्वकर्ता और स्वयंसेवी संगठनों की समर्पित टीम कार्यरत है जिसने विगत दस वर्षों के अल्प समय में अन्य विभागों और उपक्रमों की तुलना में ज्यादा जनोपयोगी सिद्ध किया है.

सतत विकास के 17 लक्ष्य (Sustainable Development Goals)-

1. गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति.

2. भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा.

3. सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा.

4. समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना.

5. लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना.

6. सभी के लिए स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना.

7. सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना.

8. सभी के लिए निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार, और बेहतर कार्य को बढ़ावा देना.

9. लचीले बुनियादी ढांचे, समावेशी और सतत औद्योगीकरण को बढ़ावा.

10. देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना.

11. सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण.

12. स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना.

13. जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना.

14. स्थायी सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग.

15. सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना.

16. सतत विकास के लिए शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेही बनना ताकि सभी के लिए न्याय सुनिश्चित हो सके.

17. सतत विकास के लिए वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना.

सतत विकास के उपरोक्त 17 लक्ष्यों पर हम गौर करें तो पाएंगे कि ज्यादातर लक्ष्यों की पूर्ति परिषद की योजनाओं से की जा रही है.

जन अभियान परिषद शासन का एक मात्र ऐसा उपक्रम है जिसने कम संसाधनों में सतत विकास लक्ष्य (SDG) 17 प्रमुख लक्ष्यों में से ज्यादातर लक्ष्यों की पूर्ति जन अभियान परिषद की योजनाओं विशेषकर प्रस्फुटन योजना और मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम से हो रही है. परिषद की योजनाओं व मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम में शामिल १० एसाइन्मेंट और परियोजना कार्य से अधिकांश सतत विकास लक्ष्य (SDG) पूर्ण हो रहे हैं.

अभी हमने ऊपर वर्णित सतत विकास के १७ लक्ष्यों का अध्ययन किया. अब हम परिषद के कार्यों का और SDG के बिंदुओं का तुलनात्मक अध्ययन करेंगे, जहाँ हम पायेंगे कि सतत विकास लक्ष्य (SDG) के 12 बिंदुओं पर परिषद की योजनाओं/कार्यक्रमों द्वारा क्रियान्वयन किया जा रहा है. परिषद की योजनाओं मुख्यतया प्रस्फुटन समिति व मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम के सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं/छात्रों के उन कार्यों का अवलोकन करें, जो स्वैच्छिकता के आधार पर किये जा रहे हैं-

१- सबके लिए शिक्षा-. बच्चों के लिये निःशुल्क कोचिंग, निरक्षरों हेतु साक्षरता कक्षाओं व संस्कार केन्द्रों का स्वैच्छिक सञ्चालन.

२- सबके लिए स्वास्थ्य- (स्वास्थ्य परीक्षण शिविर, नेत्र शिविर ,रक्तदान शिविर ,पशुओं का टीकाकरण, देहदान, अंगदान, नेत्रदान)

१- पर्यावरण संरक्षण- जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से जंगलों, भूमिक्षरण और जैव विविधता के बढते नुक्सान को रोकने हेतु जन जागरण. (प्रतिवर्ष  पौधारोपण, पौधों का सरक्षंण,  नक्षत्र वाटिका, प्रस्फुटन वाटिका, त्रिवेणी रोपण, पहाड़ियों को गोद लेकर पौधरोपण, पर्यावरण संगोष्ठी, पर्यावरण जागरण रैलियां, पर्यावरण के लिये मानव श्रृंखला, ग्लोबल वार्मिग के कार्यक्रम आदि का आयोजन).

३- जलसरंक्षण- (सामुदायिक सहभागिता से तालाबों के निर्माण व तालाबों का गहरीकरण, नदी नालों में जन संरक्षण हेतु बोरी बंधान, स्टाप डेम, कूप गहरी करण, नदी सरंक्षण व पुनर्जीवन का  करना, पहाड़ियों पर कंटूर ट्रेंच निर्माण)

४- नशामुक्ति-  (गांवों को नशा मुक्त करना हेतु युवाओं को प्रेरित कर नशमुक्त करना, धूम्रपान से मुक्ति, तम्बाकू निषेध सप्ताह, रैलियां गोष्ठियों का आयोजन.)

५- ऊर्जा संरक्षण-ऊर्जा सरक्षण हेतु सी.एफ.एल. क्रांति का सूत्रपात परिषद के द्वारा किया गया. समुदाय लाखों सी.एफ.एल. लगवाकर सैकड़ो गांवों को ऊर्जा बचत का पाठ पढ़ाया. बिजली बिलों का भुगतान की जागरूकता, लोगों को प्रेरित कर बायोगैस निर्माण.

६- कृषि-जैविक खेती को प्रोत्साहन, व कृषि की विभिन्न विधाओं को बढ़ावा देने हेतु सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार.

७- स्वच्छता एवं साफ़ सफाई- स्वच्छता एवं साफ़ सफाई हेतु गाँव की सफाई से लेकर नालियों की सफाई जैसे कार्यों हेतु सामुदायिक सहभागिता से संभव हुआ. शौचालय निर्माण व उसके उपयोग पर भी परिषद के प्रस्फुटन सदस्यों व बी.एस.डब्ल्यू. प्रशिक्षुओं ने एक उत्कृष्ट प्रेरक की भूमिका में कार्य किया.

८- परिवार नियोजन हेतु जागरूकता- बढती जनसंख्या की रोकथाम के लिए ग्राम बैठकों का आयोजन कर आमजन को जागरूक करना.

९- नदी पुनर्जीवन अंतर्गत प्रदेश के ३१३ विकासखंडों में ३१३ नदियों का चिन्हांकन कर श्रमदान से उनके गहरीकरण व संरक्षण का कार्य, परंपरागत जल स्रोतों के संरक्षण के लिए जल यात्रा, नदियों के संरक्षण के लिए “नदी बचाओ यात्रा”, जल संसद, पानी रोको अभियान, पानी के महत्व को समझाने के लिये दीवार लेखन, सोख्ता गड्ढे, कुओं को रिचार्ज करना “खेत का पानी खेत मे गाँव का पानी गाँव मे”  छतीय वर्ष जल संग्रहण।

१०- महत्वपूर्ण दिवसों व महापुरुषों के जयंती/पुण्य तिथि का आयोजन

११- सामुदायिक सहभागिता से सड़क निर्माण व अन्य नवाचार.

१२- मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक शासकीय विभागों से विभिन्न दस्तावेज बनवाने की प्रक्रिया व नागरिक अधिकारों के प्रति ग्रामवासियों को जागरूक करना.

१३- जन सूचना केंद्र-शासन द्वारा संचालित योजनाओं के प्रति आमजन को जागरूक करना.

१४- यू.एन.के सतत विकास लक्ष्यों के सम्बन्ध में ग्राम पंचायतों व स्वयंसेवी संगठनों का प्रशिक्षण एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु उनकी भूमिका के प्रति जागरूक करना.

जहाँ एक ओर परिषद द्वारा गठित प्रस्फुटन समितियां स्व-प्रेरणा से वार्षिक कैलेण्डर के अनुसार कार्यरत हैं वहीँ अन्य सामाजिक सरोकार के नित नए नवाचार कर रही हैं.

मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्गत पंजीकृत सामुदायिक नेतृत्वकर्ता SDG के ज्यादातर बिंदुओं पर अपने कार्यक्रम में शामिल १० एसाइन्मेंट और परियोजना कार्य से अपने प्रयोगशाला में कार्य कर रहे हैं. चाहे स्वच्छ भारत अभियान की बात हो या साक्षर भारत योजना की बात हो इन सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में विकासखण्ड के ग्रामों में सामुदायिक नेतृत्वकर्ता बिना किसी आर्थिक सहयोग के इन सामाजिक सरोकार की गतिविधियां सम्पादित कर रहे हैं. मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें छात्र/सामुदायिक नेतृत्वकर्ता का पचास फीसदी अंक सैद्धांतिक विषयों और पचास फीसदी प्रायोगिक कार्यों के होते हैं. जिसमें सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं के द्वारा शासन के प्राथमिकता की विभिन्न योजनाओं पर जागरूकता से सम्बंधित कार्य सम्पादित करने होते हैं. इन सभी कार्यों को सामुदायिक नेतृत्वकर्ता व प्रस्फुटन प्रतिनिधियों की सहभागिता से पूर्ण किया जा रहा है. 

प्रस्फुटन योजना जन अभियान परिषद की रीढ़ कही जा सकती है. क्योंकि इसी योजना ने स्वैच्छिक अवधारणा को जन-जन तक पहुँचाया और पूरे प्रदेश में स्वैच्छिक रूप से ग्राम विकास में योगदान देने के युग की शुरुआत हुई. जन अभियान परिषद की मैदानी कार्यों का संपादन सेवाभावी 7-15 लोगों को प्रस्फुटन समिति के रूप में संगठित करके किया जाता है जिन्हें कोई मानदेय नही दिया जाता. इन प्रस्फुटन समितियों को बोर्ड, बैनर, स्टेशनरी, बैठक, कार्यक्रमों के आयोजन, रैलियों, विभिन्न योजनाओं के दीवार लेखन वर्ष भर में एक बार 15,000 रुपये की राशि तीन वर्ष तक दी जाती है. ये दस हजार की वार्षिक किश्त 7-15 लोगों की समिति को मिलते हैं अगर समिति में 7 व्यक्ति हैं तो प्रतिमाह 7 सदस्यों की समिति के लिए यह राशि महज 1428.57 रुपये होगी.

इन सभी कार्यों में सिर्फ समुदाय से सहज व्यवहार का ही पूरा योगदान है. आज ऐसे समय में जब प्रत्येक  इंसान किसी आर्थिक लाभ की दृष्टि से ही कोई कार्य करने की चेष्टा करता हो ऐसे समय में ऐसे सेवाभावी लोगों को संगठित करना बहुत आसान नही है.  आज की व्यस्ततम जिंदगी में जब किसी को फुरसत नही कि समाज के लिए निः स्वार्थ रूप से अपना समय दें लेकिन गाँवों के स्वैच्छिक कार्यकर्ता जब निरंतर सामुदायिक सहभागिता हेतु तत्पर रहते हैं तो उन्हें पता होता है कि वह ऐसे विभाग के अधिकारी/कर्मचारी के पास हैं जिसमें शासकीय सेवा के साथ सामाजिक सरोकार का भी एक दृष्टिकोण है. यही वजह है कि सामुदायिक सहभागिता को संकलित कर श्रमदान से प्रति वर्ष लाखों रूपये के कार्य सम्पादित किये जाते हैं और ये स्थानीय विकासपुरुष घंटों श्रमदान में पसीना बहाकर भी अनथक कार्यशील हैं.

जन अभियान परिषद द्वारा सतत दी जा रही स्वैच्छिक प्रेरणा के पूर्व समाज का स्वभाव ऐसा हो गया था कि आस पास के संसाधनों की सुरक्षा व सामाजिक सरोकारों की सारी जिम्मेदारी सरकार की है. लेकिन जन अभियान परिषद के कार्यों से सामाजिक सरोकार को जन-जन की आवाज बनने का प्रयास किया. चाहे वह सरकारी योजनाओं के प्रति ग्राम के आम नागरिक को जागरूक करना हो या ग्राम के संसाधनों की रक्षा हो. समाज ने जन अभियान परिषद जैसे उपक्रम की कल्पना सपने में भी नही किया होगा जिसके माध्यम से प्रतिवर्ष सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से लाखों रुपये का श्रमदान (बोरी बंधान, रास्तो का निर्माण) संकलित कर सरकार के खजाने का धन बचाते हुए प्रदेश के विकास को गति मिलेगी लेकिन परिषद की टीम ने असंभव कार्यों को संभव कर दिखाया. समुदाय के लोगों को संगठित कर बिना बजट कार्य करना किसी चुनौती से कम नही है. इसके पीछे एक ही लक्ष्य रहा है कि सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देते हुए ग्राम विकास की संकल्पना साकार हो जो ज्यादा टिकाऊ और कारगर होगी, समाज सरकारी संसाधनों की भी सुरक्षा निजी संसाधनों की भांति करेगा. आज के इस युग में लोगों को स्वैच्छिक रूप से विकास कार्यों में संलग्न करना भी हर आसान कार्य नही है किन्तु परिषद की कुशल टीम ने लोगों को संगठित कर विकास कार्यों में सहभागी बनाया. इसी का परिणाम है कि परिषद के अमले की सामाजिक और प्रशासनिक स्वीकार्यता सबसे ज्यादा है. सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं द्वारा किये जा रहे कार्यों का अगर वित्तीय आकलन किया जाए तो पूरे प्रदेश में यह राशि प्रतिमाह लाखों रुपयों में होगी, जो सामुदायिक सहभागिता व स्वैच्छिक आधार पर सम्पादित हो रही है.

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