दशकों से देश में चिकित्सा एक सम्मानित पेशा रहा है। जिंदगियां बचाने वाले डॉक्टर्स को लोग भगवान तक का दर्जा दे देते हैं। इसीलिये युवाओं के बीच डॉक्टर बनने का क्रेज कभी कम नहीं हुआ। बॉयो से 12वीं पास करने वाले ज्यादातर युवा मेडिकल की किसी न किसी स्ट्रीम में काम करते हैं। जिसकी योग्यता पाने के लिए उन्हें MBBS, BDS, BAMS, BHMS, Nursing जैसे कोर्सेज करने होते हैं। अब इन कोर्सेज में दाखिले के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी हर वर्ष एक राष्ट्रीय स्तर की नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट(NEET-UG) परीक्षा कराती है। जिसमें हर वर्ष तकरीबन 23-24 लाख छात्र भाग लेते हैं। भाग लेने वाले 45% से लेकर 50% तक छात्रों को सफलता मिल जाती है। जिसके बाद शुरू होती है मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की दौड़। जिन छात्रों को सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस की सीट नहीं मिल पाती वह निजी कॉलेजों से एमबीबीएस के लिए कोशिश करते हैं। लेकिन भारी भरकम फीस के कारण उनका देश में डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाता है। लेकिन हम आपके इस अधूरे सपने को पूरा कर सकते हैं वो भी भारत के मुकाबले सिर्फ एक तिहाई फीस में।

आइये समझते हैं कैसे

विदेशी यूनिवर्सिटीज मौजूदा समय में पढ़ रहे 7.5 लाख भारतीय छात्र

अगर आप भी इस वर्ष देश में डॉक्टर बनने का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं यानी आपकी रैंक पर आपको सरकारी कॉलेज में सीट नहीं मिल पा रही। तो आप विदेश से एमबीबीएस के विकल्प पर विचार कर सकते हैं। क्योरा की एक रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में भारत के 7.5 लाख छात्र विदेशी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी कोर्सेस में इनरोल हैं।

भारत से हर वर्ष MBBS के लिए विदेश जाते हैं 25 हजार छात्र  

क्योंकि प्रति वर्ष भारत से तकरीबन 25 हजार युवा विदेश की यूनिवर्सिटीज में एमबीबीएस कोर्स में दाखिले लेते हैं। इसका कारण हैं भारत के निजी कॉलेजों में बढ़ती मेडिकल फीस। जोकि अब 6 वर्षों के एमबीबीएस कोर्स के लिए 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। कई निजी कॉलेज भारत में एमबीबीएस के लिए 80 लाख से 1.2 करोड़ रुपये तक चार्ज कर रहे हैं। ऐसे में छात्र भारत के निजी कॉलेजों का चुनाव न कर विदेश की टॉप यूनिवर्सिटीज में दाखिला ले रहे हैं।

 

ऐसे समझें फीस का गणित

भारत में जहां छात्रों को एमबीबीएस कोर्स के लिए 80 लाख से 1.2 करोड़ रुपये तक अदा करने पड़ रहे हैं वहीं विदेश की टॉप यूनिवर्सिटीज में पूरे एमबीबीएस कोर्स की फीस ही 25 से 55 लाख रुपये है।

  • जैसे आप कजाकिस्तान से 20 से 25 लाख रुपये में पूरी एमबीबीएस डिग्री कम्प्लीट कर सकते हैं।
  • रूस से 35 से 40 लाख रुपये में एमबीबीएस कर सकते हैं।
  • जॉर्जिया भी युवाओं को 50 से 55 लाख में एमबीबीएस करा रहा है।
  • यानी कजाकिस्तान से लेकर जॉर्जिया तक तकरीबन 20 से अधिक देश हैं जहां भारतीय छात्र कम फीस में एमबीबीएस करने हर वर्ष जाते हैं।

विदेश से एमबीबीएस करने के कारण
1-सस्ती पढ़ाई 50 से 75% तक

2-एडमिशन मिलने में आसानी

3-भारतीय मेस, छात्रावास सुविधा

4-स्कॉलरशिप मिलने का चांस

5-NExT की फ्री तैयारी का मौका

आपके डॉक्टर बनने का सपना हम करेंगे पूरा

आल इंडिया कोटा और राज्य स्तरीय काउंसिलिंग में सरकारी सीट से वंचित छात्र निजी कॉलेजों में एडमिशन के लिए रुख करते हैं। लेकिन भारी भरकम फीस के कारण निराश हो जाते हैं। अगर देश में डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया है तो आपको भारत के निजी कॉलेजों में एडमिशन लेने के बजाय विदेश से एमबीबीएस का विकल्प चुनना चाहिए। मौजूदा समय में कजाकिस्तान, रूस, किर्गिस्तान, नेपाल, जॉर्जिया, चीन समेत 20 से अधिक देशों में एमबीबीएस सीट के लिए दाखिले हो रहे हैं। जहां आपको भी दाखिला मिलने की पूरी संभावना है। तो फिर देश किस बात की विदेश में MBBS में प्रवेश के लिए आप अभी Safalta - MOKSH टोल फ्री नंबर: 1800-571-0202 पर कॉल करें या फिर हमारे MBBS Abroad लिंक पर विजिट कर खुद रजिस्टर करें। एमबीबीएस एडमिशन के लिए हमारे काउंसलर आपसे जल्द ही संपर्क करेंगे। हमारे साथ है 10 हजार से ज्यादा छात्रों का भरोसा जिन्हें सफलतापूर्वक विदेशी यूनिवर्सिटी के एमबीबीएस समेत विभिन्न मेडिकल प्रोग्रामों में दाखिला दिलाया जा चुका है। क्योंकि सफलता मोक्ष सिर्फ आपको विदेश के टॉप कॉलेज की जानकारी देकर एडमिशन ही नहीं कराते, बल्कि आपके पासपोर्ट, वीजा, दाखिला, हॉस्टल-मेस, स्कॉलरशिप आदि में भी छात्रों की मदद करते हैं।  

न्यूज़ सोर्स : AMAR UJALA