मधुमक्खी पालन कर उसके उत्पाद से स्कूल से ही आत्मनिर्भर बनने की सीख दे रहे पांचवी कक्षा के छात्र हर्ष
हरियाणा के झज्जर जिले के एक छोटे से गांव अहरी के रहने वाले, मात्र 11 वर्षीय हर्ष कलिरामन ने अपनी कम उम्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पांचवी कक्षा में पढ़ने वाले इस होनहार छात्र ने मधुमक्खी पालन (Beekeeping) में रुचि लेकर न केवल शहद उत्पादन को समझा है, बल्कि रॉयल जेली उत्पादन में भी महारत हासिल की है।
शुरुआत: मधुमक्खी पालन की ओर कदम
हर्ष की प्रेरणा उनके पिता से मिली, जो कृषि कार्यों का प्रबंधन करते हैं। हर्ष बताते हैं:
“मुझे हमेशा से प्रकृति और छोटे जीवों के साथ काम करने में रुचि रही है। मेरे पिता ने मुझे मधुमक्खियों की उपयोगिता के बारे में बताया, और मैंने इस क्षेत्र में खुद को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया।”
पिछले एक वर्ष में, हर्ष ने झज्जर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), हिसार कृषि विश्वविद्यालय (HAU) और महेंद्रगढ़ के इंटीग्रेटेड हॉर्टिकल्चर डिवेलपमेंट सेंटर, सुंद्राह से मधुमक्खी पालन और रॉयल जेली उत्पादन की गहन जानकारी प्राप्त की है।
हर्ष का मुख्य फोकस रॉयल जेली उत्पादन पर है, जो मधुमक्खियों द्वारा बनाया गया एक पोषक तत्व है और इसे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
रॉयल जेली के प्रमुख उपयोग:
- औषधीय उपयोग:
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और त्वचा संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक।
- सौंदर्य प्रसाधन:
- एंटी-एजिंग क्रीम और अन्य सौंदर्य उत्पादों में इस्तेमाल।
- पोषण पूरक:
- ऊर्जा और स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक।
हर्ष बताते हैं, “रॉयल जेली का उत्पादन कठिन है, लेकिन इसका बाजार मूल्य बहुत अधिक है। यह किसानों की आय को कई गुना बढ़ा सकता है।”
मधुमक्खियों का परागण में योगदान
मधुमक्खियां केवल शहद और रॉयल जेली ही नहीं, बल्कि फसलों के परागण (Pollination) में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
परागण का महत्व:
- फसल उत्पादन में वृद्धि:
- परागण से फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन में 30-40% तक बढ़ोतरी होती है।
- जैव विविधता:
- मधुमक्खियां पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में सहायक होती हैं।
हर्ष के अनुसार, “हमारे क्षेत्र में कई किसानों ने मधुमक्खी पालन के कारण फसलों की उत्पादकता में सुधार देखा है। मैं चाहता हूं कि सभी किसान इसे अपनाएं।”
प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग
हर्ष की प्रशिक्षण यात्रा:
- कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), झज्जर:
- मधुमक्खी पालन के बुनियादी सिद्धांत।
- हिसार कृषि विश्वविद्यालय:
- उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण।
- इंटीग्रेटेड हॉर्टिकल्चर डिवेलपमेंट सेंटर, सुंद्राह:
- रॉयल जेली और शहद उत्पादन की तकनीक।
हर्ष ने अपने प्रशिक्षण के दौरान सीखा कि कैसे मधुमक्खियों को स्वस्थ रखा जाए, उनके छत्तों का प्रबंधन किया जाए और उच्च गुणवत्ता का शहद और रॉयल जेली निकाला जाए।
बाजार में सफलता
हर्ष ने अपने उत्पादों को बाजार में ले जाने के लिए एक व्यवस्थित रणनीति अपनाई।
मार्केटिंग रणनीति:
- स्थानीय मेलों और प्रदर्शनियों में भागीदारी।
- ऑनलाइन बिक्री प्लेटफॉर्म का उपयोग।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान।
हर्ष बताते हैं, “ग्राहकों को जैविक उत्पाद चाहिए, और मधुमक्खी पालन उन्हें ऐसा विकल्प प्रदान करता है।”
किसानों के लिए प्रेरणा
हर्ष ने अपनी छोटी उम्र में ही क्षेत्र के अन्य किसानों को प्रेरित करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कई किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया और उन्हें इस व्यवसाय के फायदे बताए।
हर्ष के प्रयासों के परिणाम:
- स्थानीय किसानों की आय में वृद्धि।
- जैविक और प्राकृतिक उत्पादों की मांग बढ़ाना।
- कृषि क्षेत्र में नवाचार का प्रोत्साहन।
सरकार और कृषि संस्थानों का सहयोग
अब तक, हर्ष ने किसी सरकारी योजना का सीधा लाभ नहीं उठाया है, लेकिन उनके प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं मददगार हो सकती हैं।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (NBBHM):
- मधुमक्खी पालन के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan):
- आर्थिक सहायता के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाना।
- कृषि विज्ञान केंद्रों का सहयोग:
- प्रशिक्षण और अनुसंधान।
भविष्य की योजनाएं
- मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में नवाचार:
- उन्नत उपकरणों का उपयोग और आधुनिक तकनीकों का समावेश।
- बड़े पैमाने पर रॉयल जेली उत्पादन:
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रवेश।
- स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण:
- रोजगार सृजन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना।