ग्रामों में कचरा प्रबंध कच्चे घुड़ो में होता है जिससे बरिश में पानी के रिसाव से बीमारी का खतरा रहता है। प्रायः बारिस में हैजा जैसी बीमारी के फलने का कारण अव्यवस्थित ग्रामीण वेस्ट प्रबंधन है। इसी दिशा में छिंदवाड़ा में नवाचार किया गया है जो हर पंचायत को ऐसी पहल  करना चाहिए। इस पहल से जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। 

लेक्टर  शीलेन्द्र सिंह के निर्देशन और मार्गदर्शन में छिंदवाड़ा जिले में नवाचार करते हुये ग्रामों में निर्मित अनुपयोगी पड़े नाडेप टांकों का उपयोग जैविक खाद बनाने में किया जा रहा है। जिले की हर्रई जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत कोहपानी में भी स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) फेज- 2 के अंतर्गत बनाए गए नाडेप का सही उपयोग कर जैविक खाद बनाई जा रही। ग्राम पंचायत द्वारा मई माह के अंत में नाडेप का भराव किया गया था, जिसमें ब्लॉक समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन श्री हारून अंसारी एवं कृषि विभाग की क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी सुश्री कमलेश्वरी उईके द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया गया। जैसा कि नाडेप खाद तीन से चार महीने में तैयार हो जाती है, इस कार्य की मॉनिटरिंग एवं समयबद्धता के लिए शेड्यूल्ड एसएमएस प्रणाली का उपयोग किया गया। जिसमें नाडेप भराव के बाद एसएमएस ग्राम पंचायत रोजगार सहायक और क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी को जनपद द्वारा भेजा गया था और शेड्यूल एसएमएस भी तैयार कर लिया गया था जो ठीक 3 माह बाद दोनों को पहुंचा। एसएमएस प्रणाली से मॉनिटरिंग की सोच श्री हारून अंसारी ब्लॉक समन्वयक द्वारा निजात की गई, जिसकी शुरुआत कोहपानी और सलैया बुलाकी ग्राम पंचायत से की गई। इसी आधार पर ग्राम पंचायत सचिव द्वारा कृषि विभाग के क्षेत्रीय कृषि विस्तार अधिकारी के माध्यम से खाद का परीक्षण किया गया। खाद परीक्षण के दौरान ग्रामवासी और सरपंच श्री राजकुमार इनवाती, सचिव श्री मोहन डहेरिया, उप सरपंच श्री बट्टी उपस्थित थे। तीन माह में तैयार हुई खाद की क्वालिटी देख कर ग्रामीणों में जहां उत्साह देखने को मिला वही ग्राम पंचायत इस खाद से आय का अतिरिक्त माध्यम तैयार कर रही है। इसका श्रेय कलेक्टर श्री सिंह को जाता है जिन्होंने नाडेप से खाद निर्माण हेतु ज़िले में मुहिम चलाई।

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न्यूज़ सोर्स : ipm