मर्जी से आते हैं डाॅक्टर, मानव अधिकार आयोेग, आयोग ने जवाब मांगा
भोपाल शहर के गैस पीड़ितों को इलाज मुहैया कराने के लिये स्थापित गैस राहत अस्पतालों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। विशेषज्ञ, डाॅक्टर और स्टाॅफ से लेकर दवाओं तक की कमी यहां सालों से बनी हुई है। हालात बदलने का नाम ही नहीं लेते हैं। ऐसा ही एक मामला कमला नेहरू गैस राहत अस्पताल में सामने आया है। जहां गैस पीड़ित संगठनों ने डाॅक्टरों पर अपनी मर्जी से ड्यूटी करने का आरोप लगाते हुये नाराजगी जताई है। इतना ही नहीं डाॅक्टरों के खाली चैंबरों के फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल होने से बदहाली और अव्यवस्थाओं की तस्वीर उजागर हुई है। बीते सोमवार की सुबह 09ः50 बजे तक कमला नेहरू गैस राहत सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल में केवल एक डाॅक्टर मौजूद था, जबकि सुबह यहां 12 डाॅक्टरों की ड्यूटी रहती है। वहीं जिंन डाॅक्टर की ड्यूटी सुबह 08 बजे से शुरू होती है, वो भी 09ः50 पर ड्यूटी पर उपस्थित हुये। लगभग दो घंटे तक आईसीयू में कोई डाॅक्टर ही नहीं था। गैस पीड़ित संगठनों के मुताबिक यह मरीजों के साथ गंभीर खिलवाड़ है कि पूरे अस्पताल में सिर्फ दो एमडी डाॅक्टर मौजूद रहे। एमडी डाॅक्टर दोपहर एक बजे आते हैं और दो बजे चले जाते हैं। यहां एक गायकोनोलाॅजिस्ट डाॅक्टर हैं, जो 12 बजे आतीं हैं और मुश्किल से एकाध मरीज को देखतीं हैं। कुल मिलाकर एक दर्जन डाॅक्टर अस्पताल में होने के बाद भी मरीज यहां इलाज के लिये परेशान होते नजर आते हैं। मामले में आयोग ने संचालक, गैस राहत, भोपाल एवं आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय, भोपाल से मामले की जांच कराकर 15 दिन में जवाब मांगा है।