भोपाल  । राज्य सरकार ने आम, पलाश, जामुन, बबूल, शीशम, इमली, नीम, बड़, पीपल सहित 53 प्रजातियों को कटाई और परिवहन की बंदिशों से मुक्त क्या किया, इन प्रजातियों पर संकट आ गया, जो उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ की रोक के बाद भी नहीं रुक रहा है। हालात ऐसे हैं कि रोज 45 ट्रक से अधिक लकड़ी भोपाल आ रही है और विभिन्न आरा मशीनों एवं बेकरी उद्योगों में खपाई जा रही है।

रातोंरात ट्रक आते हैं, चोरी-छिपे लकड़ी उतारी जाती है और सुबह होने से पहले ट्रक शहर के बाहर चले जाते हैं। इस पर कार्रवाई की जिम्मेदारी वनमंडल अधिकारी भोपाल और मुख्य वनसंरक्षक भोपाल वृत्त के उड़नदस्ते की है, पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। पिछले डेढ़ साल में ऐसे प्रकरण दर्ज नहीं हुए हैं, उससे पहले लगभग हर दूसरे दिन प्रकरण दर्ज किए गए हैं।

राज्य सरकार ने 24 सितंबर 2015 को राजपत्र जारी कर 53 प्रजातियों को परिवहन अनुज्ञा पत्र (ट्रांजिट परमिट) से मुक्त कर दिया था। इसके बाद तो जैसे लकड़ी व्यापारियों की लाटरी खुल गई। किसानों को वृक्ष काटने के लिए राजी किया और खेतों की मेड़, खलिहान और मकानों के आसपास खड़े वृक्षों की कटाई शुरू हो गई। औने-पौने दाम देकर लकड़ी व्यापारियों ने लकड़ी उठाई और शहरों में बेची।

न्यूज़ सोर्स : ipm