जनजातीय क्षेत्रों में शासन द्वारा बनाएं गए विभिन्न तरह के छात्रवासों में इन दिनों नाश्ते, सुबह के भोजन व रात्रि कालीन भोजन (ब्रेक फास्ट लंच और डिनर) की नई व्यवस्था प्रारम्भ हुई है। यह व्यवस्था जनजातीय क्षेत्रों के छात्रवासों में भोजन साफ, स्वच्छ और समय पर मेन्यू का पालन करने के लिए प्रारम्भ हुई है। इस व्यवस्था को करीब 15 दिन हो रहे है। इस व्यवस्था में यह अनिवार्य किया गया है कि भोजन के समय होस्टल वॉर्डन मौजूद रहेंगे और विद्यार्थियों को भोजन भी कराएंगे। इसकी मॉनिटरिंग एक व्हाटसअप ग्रुप के माध्यम से माध्यम से तथा अन्य अधिकारियों के निरीक्षण से की जा रही है। इसके लिए होस्टल्स/ आश्रम मेन्यू के नाम से ग्रुप बनाया गया है। इसकी शुरुआत कलेक्टर श्री मृणाल मीना के आने के बाद से हुई है। उन्होंने पहली बैठक में ही सम्बंधित विभागों को ताकीद किया था कि अपने विभागीय दायित्वों को सूझबूझ और समझदारी से करेंगे।

जिस पर किसी तरह की आपत्ति नहीं आये। इसके बाद जनजाति कार्य विभाग ने नया फार्मूला अपनाया और माता पिता भाई बहनों से दूर रहकर पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भोजन घर जैसा मिले यह सुनिश्चित किया।

करीब 9 हजार विद्यार्थीयों को मेन्यू अनुरूप भोजन

सहायक आयुक्त श्री पीएन चतुर्वेदी ने बताया कि जिले में 120 होस्टल्स अनुसूचित जनजाति के है, 24 अनुसूचित जाति, 6 विशिष्ठ संस्थाएं और 4 होस्टल्स विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के है। इस तरह जिले में 144 होस्टल अनुसूचित जाति व जनजाति के है। यहां नवाचार करते हुए प्रयास हुए है कि भोजन समय पर, मेन्यू अनुरूप और भोजन के समय वार्डन भी मौजूद रहें। इन होस्टल्स में 4276 विद्यार्थी अनुसूचित जनजाति छात्रावासो में, 1834 आश्रमों में 1153 अनुसूचित जाति के छात्रवासों में, 2211 विशिष्ट आवासीय परिसरों में विद्यार्थी रह रहे है।

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न्यूज़ सोर्स : ipm