अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालाघाट की बेटी ने किया नाम रोशन
बालाघाट। बालाघाट शहर के मोती नगर निवासी अभिषेक पिपलेवार की पुत्री आराध्या ने बालाघाट का नाम देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर की यूसी मास एबेकस गणित विषय संबंधित अंतर्राष्ट्रीय कंपटीशन में आराध्या ने 30 देश के 6 हजार छात्रों के कंपटीशन में सेकंड रनर अप होने का गौरव प्राप्त किया है। उनकी उपलब्धि पर उनके परिचित, रिश्तेदार सभी बधाई प्रेषित कर रहे हैं।
यूसी मास ऐबकस
यूसी मास एबेकस मुख्य रूप से 4 वर्ष से 13 वर्ष की आयु के बच्चों की मस्तिष्क शक्ति को बढ़ाता है। इसके साथ ही एकाग्रता, सुनने की क्षमता, स्मृति शक्ति, सटीकता, आत्मविश्वास में सुधार लाता है। जिसके परिणाम स्वरुप पूरे मस्तिष्क का विकास होता है। एबेकस आधारित अंकगणित कार्य उसकी गणना एकाग्रता स्तर को बढ़ाता है।
14 दिसंबर को आयोजित परीक्षा
14 दिसंबर को देश की राजधानी दिल्ली स्थित दिल्ली यूनिवर्सिटी में 30 देश के 6 000 छात्रों के मध्य अलग-अलग ग्रुप के हिसाब से इस परीक्षा का आयोजन किया गया। जिसका परिणाम 15 दिसंबर को आया जिसमें नागपुर रीजन की ओर से बालाघाट निवासी आराध्या पिपलेवार भी शामिल हुई थी जो की सेकंड रनर अप रही।
परिवारे का पूरा सहयोग
बचपन से ही आराध्या की गणित विषय में रुचि को देखते हुए उनके पिता अभिषेक पिपलेवार माता सपना पिपलेवार आराध्य को शहर के पशीने एबेकस इंस्टिट्यूट भेजा, फिर क्या था आराध्या ने एक बार इस एकाग्रता वाले गणित सिस्टम को सीखना शुरू किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा। बीते वर्ष गोंदिया में आयोजित इंटर स्टेट कंपटीशन की विजेता रही तो माता-पिता का कॉन्फिडेंस आराध्या के प्रति बढ़ गया। घर में दादा नंदकिशोर पिपलेवार दादी श्रीमती निर्मला पिपलेवार, चाची इंद्राणी पिपलेवार और चाचा हर्षित पीपलवार संचालक ब्रदर्स हेल्थ क्लब बातों ही बातों और खेल ही खेल में आराध्या की गणित की इतनी जबरदस्त प्रेक्टिस करवाते की धीरे-धीरे आराध्या उसमें निपुण होती गई। कुछ समय बाद ही चुटकी बजाते ही सारे गणित के सवालों का उत्तर देने लगी। फिर परिवार को लगा कि आराध्या निश्चित तौर पर बड़े मंच में जाने के लिए तैयार हैं।
स्कूल भी गौरवांवित
आराध्या शहर के मोती नगर स्थित वेदांत स्कूल में चौथी क्लास की छात्रा है। उसकी गणित के सवाल हल करने की स्पीड पूरे स्कूल में चर्चा का विषय बनी रहती है, अब उसकी सफलता के बाद स्कूल की संचालक वर्षा अमूले और पूरा स्टाफ स्वयं को भी बहुत अधिक गौरवांवित महसूस कर रहा है।