इंसानों के लिए जहर मांगुर मछली ,गड्डा खोदकर गाड़ना पड़ा
बुधवार को परसवाड़ा के स्थानीय बाजार से मछली की विभिन्न प्रजातियां जब्त की गई। कार्यवाही एसडीएम श्री सिंहसार व मत्स्य विभाग के अमले द्वारा की गई। मत्स्य अधिकारी श्रीमती पूजा रोडगे ने बताया कि मत्स्य बाज़ार परसवाड़ा में 20 किलो. मेजर कार्प व 30 किलो लोकल माइनर मछली की जप्ती की कार्यवाही की गई। जब्त करने के पश्चात नीलामी की गई। नीलामी राशि 3050 रुपये शासन कोष में जमा की जावेगी। साथ ही 70 किलो. थाईलैंड की मत्स्य प्रजाति मांगुर जप्त कर गड्डा खोदकर विनष्टीकरण की कार्यवाही की गई। उन्होंने बताया कि यह प्रजाति मांसाहारी है और यह जहरीली भी होती है
भारत सरकार ने मांगुर मछली को बैन किया है। यह मछली, मूल रूप से अफ्रीका से लाई गई है और बैन करने के बाद भी भारत में अवैध रूप से इसे पाली जा रही थी। मांगुर मछली के पालन से पर्यावरण और स्थानीय मछलियों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। साथ ही इसके सेवन से भी मानव शरीर को कई तरह के स्वास्थ्य संबंधि दिक्कतों से गुजरना पड़ता है। मांगुर मछली के पालन से होने वाले इन नुक्सान को देखते हुए सरकार ने इसे भारत में बैन किया है।
पर्यावरणीय खतरा
मांगुर मछली एक आक्रामक प्रजाति है जो जल में रहने वाली स्थानीय और अन्य मछलियों की प्रजातियों के लिए खतरनाक है। यह अन्य मछलियों के अंडे और छोटे मछलियों को खा जाती है, जिससे उनकी संख्या में भारी गिरावट होती है।