अनूपपुर - जिला के नगर पालिका परिषद पसान के सीएमओ के विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा ₹20 ..000 का जमानती वारंट जारी किया है ,हाईकोर्ट ने 5 सितंबर 2023 को सीएमओ पसान  को कोर्ट में पहुंचने का आदेश  किया है ,यह मामला अनूपपुर जिला के वार्ड नंबर 9 बिहारी कॉलोनी के निवासी धर्मेंद्र चौबे संविदा कार ने वर्ष 2010 से 2012 तक नगर पालिका परिषद पसान में विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य  किए थे ,जिन का भुगतान टैक्स काटकर कर दिया गया था ,किंतु टीडीएस राशि जो कि लगभग 1200000 रुपए होती है , नगर पालिका प्रशासन द्वारा जमा नहीं किया गया था ,इसके लिए धर्मेंद्र चौबे द्वारा अनेक बार लिखित आवेदन दिया  गया परंतु नगर पालिका कोई ध्यान नहीं दिया ,जिससे संविदा कार धर्मेंद्र चौबे नगर पालिका से परेशान होकर उच्च न्यायालय जबलपुर के शरण में न्याय प्राप्त करने हेतु पहुंचे ,उनके द्वारा अपना केस दीपक पांडे जी को दिए ,जिस पर अधिवक्ता ने नगर पालिका परिषद पसान सीएमओ को लीगल नोटिस देकर टीडीएस सर्टिफिकेट या उक्त राशि भुगतान करने बाबत रजिस्टर्ड पत्र भेजा था ,जिस पर नगर पालिका सीएमओ द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया था कोई जवाब नहीं दिया गया , अधिवक्ता दीपक पांडे द्वारा माननीय हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका प्रस्तुत की गई ,मार्च 2023 मे हाईकोर्ट ने नगर पालिका पसान तथा आयकर विभाग शहडोल को नोटिस जारी किया था ,इसके बाद लगभग 5 माह के बाद केस लगा था ,नगर पालिका पसान सीएमओ के द्वारा हाईकोर्ट के आदेश नोटिस के बाद भी  जवाब  नही
दिए जाने सीएमओ के लापरवाही पूर्ण उदासीन रवैया के कारण 1 सितंबर 2023 को उच्च न्यायालय ने रिस्पोंडेट नंबर दो नगर पालिका सीएमओ पसान को ₹20000 का जमानती वारंट जारी करते हुए 5 सितंबर 2023 को न्यायालय मॆ पहुंचने के आदेश है। इस समय  नगर पालिका प्रशासन पसान के मुख्य नगरपालिका अधिकारी ऐसे अधिकारी हैं जो किसी भी प्रकार से नियम कानून पालन के प्रति घोर लापरवाही करते हुए मनमानी तौर पर नियम विरुद्ध तरीके से  कार्य करते चले जा रहे हैं , इनके  द्वारा इस पद पर आशीन होते हुए भी न्यायालय ,कानून की अनदेखी लगातार करते हुए क्यों लापरवाही पूर्ण कार्य किए जा रहे हैं ,  उच्च न्यायालय के आदेश का पालन इनके द्वारा  ना करना इनके पद  के प्रति  उदासीनता वा घोर लापरवाही पूर्ण रवैया  का प्रतीक है ,  ऐसा लगता है की  न्यायालयीन आदेश की ताकत   क्या होता है, वा न्यायालय के आदेश की अवज्ञा होने पर क्या होता है ,  इसकी जानकारी होते हुए भी इनके द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना  कर  पालन क्यों नहीं किया जा रहा है ।

न्यूज़ सोर्स : Sandeep soni