पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में वेस्ट-टू-वेल्थ योजना प्रारंभ की थी, इसमें मप्र की शिवराज सरकार ने अगुवाई करते हुए इंदौर में एशिया का सबसे प्लांट बायो सीएनजी प्लांट मौजूद है, जहां गीले कचरे से बायो गैस, सीएनजी बनाई जा रही है।

पवित्र नगरी उज्जैन ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए बायोगैस से बिजली बनाना तक प्रारंभ कर दिया। मप्र के भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, विदिशा में भी कचरे और गोबर से बायोगैस व सीएनजी बनाने के प्लांट शुरू हो चुके हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश देश के अन्य प्रमुख राज्यों के लिए आदर्श बन कर सामने आया है, वहीं कचरा प्रबंधन क्षेत्र में प्रदेश की आत्मनिर्भरता कि विचार को भी साकार किया गया है। प्रदेश में शहरी गीले कचरे से बायो गैस, बायो सीएनजी बनाने के लिए बहु-उद्देश्यीय इकाइयों की स्थापना के लिये नीतिगत निर्णय लिया गया। गीले कचरे से बायोगैस अथवा सीएनजी निर्माण के लिए पृथक्कीकृत रूप से कचरा संग्रहण प्रमुख आवश्यकता है। इसके लिए नगरीय निकायों में 5423 कचरा संग्रहण वाहनों से 100 प्रतिशत आवासीय और सार्वजनिक क्षेत्रों से कचरा संग्रहण किया जाता है।

मप्र में सबसे पहले वर्ष 2018-19 में इंदौर के चौइथराम सब्जी मंडी से निकलने वाले गीले कचरे से 20 टन प्रतिदिन और कबीटखेड़ी में 15 टन प्रतिदिन बायो गैस निर्माण के लिए इकाइयों की स्थापना की गई। इसमें से 14 करोड़ 5 लाख रुपए की राशि का निवेश पीपीपी आधार पर किया गया है। इसके अलावा इंदौर, देवास, उज्जैन और भोपाल शहरों में 127 मीट्रिक टन प्रतिदिन प्र-संस्करण क्षमता की बायो गैस इकाइयों की स्थापना की गई। भोपाल में कुल 17.5 मीट्रिक टन गीले कचरे के प्रसंस्करण के लिए 5 लघु इकाइयों की स्थापना की गई। उज्जैन में बायो गैस द्वारा विद्युत निर्माण के लिए 5 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता की इकाई स्थापित की गई है। निजी क्षेत्र की भागीदारी के आधार पर देवास में एक लघु इकाई की स्थापना की गई है।


दूसरे चरण में इंदौर नगर निगम द्वारा देव गुराड़िया में 550 मीट्रिक टन प्रसंस्करण क्षमता का गोबर धन बायो सीएनजी संयंत्र स्थापित किया गया। इस इकाई से लगभग 17 हजार 500 किलोग्राम बायो सीएनजी और 100 टन उच्च गुणवत्ता वाली कंपोस्ट का उत्पादन किया जा रहा है। इस परियोजना को एनवायरमेंटल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विसेज लिमिटेड और जर्मन कंपनी प्रोवेप्स के साथ पीपीपी मॉडल आधार पर बनाया गया है। इसी के साथ भोपाल के आदमपुर क्षेत्र में 400 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता की बायो सीएनजी इकाई निर्माणाधीन है। इसमें 80 करोड़ का निवेश किया जाना है। इसके लिए भोपाल एनवायरो प्राइवेट लिमिटेट संस्था से अप्रैल-2022 में पीपीपी मॉडल पर अनुबंध किया गया है।


इंदौर के महत्वाकांक्षी मॉडल की सफलता को प्रदेश के अन्य छोटे-बड़े नगरीय निकायों में क्रियान्वयन किए जाने की तैयारी की जा रही है। नगर निगम ग्वालियर में 7 हजार गौशालाओं से प्राप्त होने वाले गोबर को कचरा प्र-संस्करण संयंत्रों में उपयोग कर बायो गैस निर्माण करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा होशंगाबाद, सीहोर, विदिशा और अन्य प्रमुख शहरों में गीले कचरे से बायो गैस निर्माण के लिए लघु परियोजनाएं बनाने के प्रयास जारी हैं।