86 दुकानों पर चलेगा बुलडोजर, इमलीपारा सडक़ जुड़ेगी बस स्टैंड चौक से, कोर्ट में हुआ फैसला
बिलासपुर। इमलीपारा रोड चौड़ीकरण का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को व्यापारियों की याचिका पर जारी स्टे को खत्म करते हुए याचिका खारिज कर दी है। इसके साथ ही व्यापारियों की कब्जे वाली 86 दुकानों को तोडऩे का आदेश भी दिया है। ध्यान रहे कि इमलीपारा रोड के मुंहाने पर निर्मित इन दुकानों को हटाने के खिलाफ वहां के व्यापारियों, नागरिकों की ओर से पांच याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल की गई है। इस पर कई सालों से स्टे था। फैसले के बाद व्यापारियों को निगम के समक्ष 15 दिनों के अंदर आवेदन करना होगा। निगम उनके व्यवस्थापन पर फैसला लेगा। ध्यान रहे कि अभी लोगों को पुराना बस स्टैंड की ओर आने के लिए सत्यम चौक से अग्रसेन चौक जाना पड़ता है। दोनों चौक में ट्रैफिक सिग्नल हैं। इसके कारण लोगों को यहां रुकना पड़ता है। समय भी अधिक लगता है। अक्सर जाम की नौबत रहती है। ट्रैफिक पुलिस को भी यहां अधिक मैन पावर लगाना पड़ता है। इमलीपारा सडक़ बन जाने से काफी राहत मिलेगी। ज्ञात हो कि सत्यम चौक से पुराना बस स्टैंड तक रोज 20 हजार गाडिय़ों का भार रहता है। इसमें सिटी बसों के साथ ही 8 हजार चारपहिया गुजरते हैं। 2 हजार आटो रिक्शा के साथ ही 10 हजार बाइक रोजाना चलती है। 10 करोड़ की लागत से निर्मित इमलीपारा रोड के चौड़ीकरण के मार्ग में आने वाली 86 दुकानों को हटाने के मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने बस स्टैंड नागरिक व्यापारी संघ और नगर निगम की दलीलें सुनीं। निगम की ओर से इसमें कहा गया कि इमलीपारा रोड के एप्रोच पर निगम द्वारा आबंटित चबूतरों की जगह पक्की दुकानें बन जाने से पूरी रोड संकरी हो गई है। इसलिए इसे सीधे बस स्टैंड चौक से जोडऩे में दिक्कत आ रही है। एप्रोच को चौड़ा किए बिना इमलीपारा रोड का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। इसी वजह से लिंक रोड, टेलिफोन एक्सचेंज रोड के ट्रैफिक को इमलीपारा रोड पर डायवर्ट नहीं किया जा पा रहा है। नगर निगम ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा कि दुकानों के व्यवस्थापन के लिए किनारे 9.99 करोड़ की लागत से कमर्शियल कांप्लेक्स बनाने की योजना बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने बनाई है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद निगम के पक्ष में फैसला दिया है।
हाईकोर्ट में यह बात भी सामने आई कि स्मार्ट सिटी के रोड चौड़ीकरण प्रोजेक्ट का टेंडर हो चुका है और 30 जून के पहले यदि वर्क ऑर्डर नहीं दिया गया तो पैसा लैप्स हो सकता है। यह पैसा केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत स्वीकृत हुआ है। नगर निगम की ओर से कोर्ट के संज्ञान में यह बात लाई गई कि ट्रैफिक की समस्या हल करने के लिए रोड चौड़ीकरण किया जाना जनहित में होगा। दुकानों को किनारे शिफ्ट करना जरूरी होगा। ऐसा किए बिना एप्रोच रोड को चौड़ा नहीं किया जा सकता। इमलीपारा रोड को सीधे बस स्टैंड चौक से जोडऩे के साथ लिंक रोड पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा और लोगों को जाम से राहत मिलेगी।
नगर निगम प्रशासन के मुताबिक इमलीपारा रोड के एप्रोच के हिस्से में 82 चबूतरे सब्जी विक्रेताओं को आबंटित किए गए थे। सभी चबूतरों की जगह पक्की दुकानें खड़ी हो गई हैं। इनमें से 81 दुकानों की लीज अवधि समाप्त हो चुकी है। यानी नियमानुसार इन्हें कभी भी हटाया जा सकता है। ज्ञात हो कि इमलीपारा रोड की जमीन नगर निगम को रेलवे से बंदोबस्त में मिली है। इसलिए नगर निगम जनहित में उक्त जमीन पर रोड बनाने के लिए दुकानों की जगह खाली करवा सकता है। इससे पहले टैगोर चौक से इमलीपारा रोड होते हुए उस्लापुर तक रेलवे से बंदोबस्त में मिली जमीन पर ही निगम ने रोड का निर्माण किया है।