तकनीक से एक डोमेन में आ रहा देश,पूरा हो रहा बाबा साहब का सपना

भारत रत्न बाबा साहब अंबेडकर के मानवतावादी एवं संविधान परख सपनों को तकनीक के माध्यम से साकार करने की ओर देश तेजी से आगे बढ़ रहा हैं। विगत पांच साल में तकनीक ने बड़ा बदलाव किया है। यह बात अलग है कि तकनीक का गलत उपयोग भी लोग कर रहे हैं लेकिन उसमें रोक लगाने के प्रयास भी जागरूकता से हो सकते हैं।
आज संविधान निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले भारत रत्न डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पूरा देश धूमधाम से मना रहा है। इस बीच हम आपको बताना चाहते हैं कि भारत की एकता एवं समावेशी विकास में तकनीक कितनी अहम हैं।
तकनीक भारत को एक सूत्र में पिरोने का एक बेहतर माध्यम माना जा सकता हैं। जिस तरह से देश में संविधान के रहते हुए भी असमानता की खाई बनती जा रही है उसे तकनीकी हथियार से खत्म किया जा सकता है।
यह विकसित देश की राह भी है, अगर हम उन देशों पर नजर डालें जो विकसित हैं तो पता चलता है कि वहां कैसे तकनीक से रंगभेद,लिंग भेद को खत्म कर अवसरों करे पैदा किया एवं सब को मौका देकर आगे बढ़ा गया।
भारत में अभी भी जातिभेद,धर्मवाद एवं वंशवाद,धनवाद जैसे मुद्दे विकास सेक्टर के प्रमुख अवरोधक बने हुए हैं,तकनीकी माध्यमों का राजनीतिक क्षेत्र में फिल्टराइजेशन लगना आवश्यक है,राजनीतिक गुणवक्ता एवं समान सहभागिता से अवसरों को मौका मिल सकता है जो कहीं ना कही से विकास के वाहक हैं।
क्या है यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर
सरकार देश के हर नागरिक को एक यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर देने की प्रक्रिया में जोर.शोर से जुट गई है। यह काम 2011 में ही हो जाना था लेकिन कई कारणों से सिथिल होता गया। किंतु यह अब सरकार के लिए चुनौति बन गया है। देश की आंतरिक सुरक्षा,समान विकास एवं सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में समुदाय की समान भागीदारी हेतु सरकार इसे तेजी से आगें बढ़ा रहीं हैं। देश में जिस तरह से तकनीक का उपयोग कर पारदर्शिता लाने की कोशिश कर रही है,यही प्रक्रिया रही तो धर्म-जाति-पंत एवं वंशवाद की राजनीति करने वाले दरकिनार हो जाएंगे एवं योग्य एवं परिवर्तनकारी नेतृत्व को मौका मिलेगा। यूनिक आईडी इसका एक मात्र समाधान हैं, संविधान को सही मायने में लागू करने आज के दिन इस पहल की सराहना है एवं बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को सच्ची श्रद्वांजलि है।