शिक्षा में सुधार के लिए ज़रूरी है पहले स्कूलों में सुधार हो
शिक्षा का उद्देश्य शिक्षार्थियों को उनकी बौद्धिक जिज्ञासा, आलोचनात्मक सोच और समग्र विकास की ओर अग्रसर करना है। वर्तमान सरकार की प्रशासन शैली के अंतर्गत हमारी शिक्षा प्रणाली सही सवाल पूछने की ओर रुख कर रही है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 इस दिशा में एक आशा की किरण के रूप में उभर कर आई है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बीते तीन दशकों से लागू शिक्षा नीति को प्रतिस्थापित कर भारी बदलाव लेकर आई है। यह नीति बच्चों के कौशल और शैक्षिक योग्यता को ही शिक्षा प्रणाली का मापदंड मानती है।
यह नीति मूलभूत साक्षरता, अंक ज्ञान, पठन-पाठन के परिणाम, बहु- विषयक शिक्षा और समग्र विकास पर अपना ध्यान केंद्रित करती है। पुरानी प्रणाली के नवीनीकरण के लिए यह नीति व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देते हुए छात्र छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर कर रही है। स्कूल नियामक ढांचे का विश्लेषण करते हुए इस नीति ने राजकीय शिक्षा विभाग की परेशानियों को उजागर किया है। राजकीय शिक्षा विभाग दो मुख्य जिम्मेदारियाँ की वजह से बोझिल है। शिक्षा के क्षेत्र को नियंत्रित रखने और साथ ही साथ अपने विद्यालयों को संचालित करने की दोहरी ज़िम्मेदारी के कारण यह विभाग अपनी मुख्य ज़िम्मेदारी जो कि उच्चतम शिक्षा प्रदान करना है, उसे बख़ूबी निभाने में कठिनाई का सामना करती है। इस समस्या का समाधान निकालते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने एक स्वतंत्र नियामक संस्था ‘स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड अथॉरिटी’ के गठन की घोषणा की है। इस संस्था की मुख्य ज़िम्मेदारी स्कूली नियंत्रण कार्य होगी, जिसके परिणाम स्वरूप शिक्षा विद्यालयों के उत्तम परिचालन और शिक्षा विभाग की गुणवत्ता बढ़ाने में अपना ध्यान केंद्रित करने में समर्थ होगी। इस संस्था का मुख्य कार्य शिक्षा प्रशासनिक प्रणाली का ध्यान सही दिशा में केंद्रित करना है।
यह संस्था विद्यालय की अर्जित शैक्षणिक उपलब्धियों, शिक्षार्थियों के शिक्षा संबंधित प्रदर्शन आदि से जुड़े तथ्यों को विद्यालय स्तर पर सार्वजनिक करते हुए पारदर्शिता कायम करेगी। परीक्षा परिणाम को एकमात्र मापदंड ना मानते हुए यह संस्था स्वतंत्र रूप से विद्यालयों की रेटिंग करेगी जो उनके प्रदर्शन और प्रभावशीलता की सूचक होगी। ‘स्टेट स्कूल स्टैंडर्ड अथॉरिटी’ अभिभावकों के कर्तव्यों में भी बदलाव लेकर आयेगी। विद्यालयों के सार्वजनिक तथ्यों की उपलब्धि का अध्ययन कर के अभिभावक सोच समझकर अपने बच्चों के लिए सही विद्यालय के चुनाव आदि का निर्णय ले सकेंगे। अभिभावकों की सहभागिता और सामुदायिक भागीदारी बच्चों के पूर्ण बौद्धिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इससे छात्र छात्राओं के ड्रॉप आऊट की समस्या को भी काफ़ी हद तक सुलझाया जा सकता है। अभी तक यह सहभागिता जागरूकता तथा तथ्यों के अभाव के कारण पर्याप्त नहीं थी। इस त्रुटि का निवारण करते हुए यह संस्था अभिभावक और समुदाय को छात्रों से जोड़ने का काम करेगी।
अभिभावक एक जागरूक उपभोक्ता की तरह अपने बच्चों के पूर्ण विकास का विश्लेषण कर पाने में समर्थ हो पाएंगे। विद्यालय स्तर पर एकत्रित तथ्य शिक्षार्थियों के प्रदर्शन को माप कर उनकी शैक्षिक प्रगति को ध्यान में रखकर तैयार की जाएगी और इसके बाद सार्वजनिक की जाएगी । दंडात्मक तरीकों को नकारते हुए यह पद्धति समग्र विकास की ओर कदम बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा के क्षेत्र में एक अच्छा प्रयास है जो परिणाम और गुणवत्ता पर केंद्रित है। इस अवसर का भरपूर लाभ उठाने की ज़िम्मेदारी अब राज्य सरकारों की है, जिनके कारण छात्र छात्राएँ अपने सुनहरे भविष्य की कल्पना कर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से उन सपनों को फलीभूत कर पाएंगे।