हाल ही में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद   ने भारत के किसान उत्पादक संगठनों  की समस्याओं का विश्लेषण किया और उनकी विपणन व्यवस्था को प्रदर्शन के साथ साथ सतत विपणन केन्द्रों को सरकारी एवं गैरसरकारी स्तर पर विकसित करने के सुझाव दिये हैं। इसी उद्देश्य को लेकर ग्रामोजन फाउंडेशन द्वारा किसाना उत्पाद संगठनों की विपणन पुल को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने विगत चार साल से विभिन्न मीडिया एवं सोशल मीडिया संगठनों एवं अपने सोशल संचार रिपोर्टरों के माध्यम से बूस्ट करने का प्रयास कर रहा है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर 8,000 से अधिक FPO पंजीकृत हैं, लेकिन इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि वे किन उत्पादों की आपूर्ति करते हैं। अभी भी जानकारी के अभाव के कारण कंपनियाँ और विदेशी अभिकर्त्ता व्यापारियों तथा पारंपरिक मंडियों के माध्यम से सामान खरीदने में रुचि रखते हैं। लगभग 72/ को घरेलू मानक,निर्धारण प्रक्रिया बहुत जटिल लगती है, उन्हें निर्यात मानकों और आवश्यकताओं के बारे में पर्याप्त जानकारी का अभाव रहता है।

  ई-कामर्स जैसी सरकारी पहलों के बावजूदए FPO के पास ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने के लिये जागरूकता तथा क्षमता सीमित है। किसान उत्पाद संगठनों से जब इस बारे में चर्चा की गई तो पता चला कि सरकार तो इस को लेकर प्रयास कर रही है लेकिन सरकार के अपने तंत्र से इस कार्य को पूर्ण करने में संसाधनों या मानव संसाधनों का अभाव है जिससे सभी एफपीओं के कार्य के सही प्रदर्शन एवं विपणन में समस्या आ रही है।

 एफपीओ के सदस्यों से चर्चा के दौरान यह ज्ञात हुआ कि संगठन सरकार के विभिन्न ई-प्लेटफार्म पर आने के बाद भी इन सरकारी माध्यमों को प्रभावी तरीके से लाभ नहीं ले पा रहे हैं। यह स्थिति सभी राज्यों पर लागू नहीं हैं मशाला उत्पादक राज्य एफपीओ के माध्यम से विश्व बाजार तक भी अपनी पहुंच बना चुके हैं यह इस पहल की सफलता भी है।

 ग्रामोजन की पहल से खुश किसान

    ग्रामोजन फाउंडेशन विगत कई सालों से किसानों की सफलता की कहानी विभिन्न वेब मीडिया माध्यमों में प्रकाशित कर रहा है,शहडोल की मीना कुशवाह कहती है,वेब में हमारी स्टोरी जाने से हमारे उपभोक्ताओं की संख्या में बढोत्तरी हो रही है,अब ग्रामोंजन फाउंडेशन अपने संग्रहालय में हमारे उत्पाद रखकर सीधे हमारे नाम से ,हमारे दाम से पहुंचाएगा। ग्रामोजन फाउंडेशन की यह पहल सराहनीय है।

 करेली के भाई जी पटेल कहते हैं अब हमारा स्टाॅल हर दिन बड़े शहरों के लोगों को सुगमता से उपलब्ध हो सकेगा,ग्रामोजन की यह पहल किसानों को बाजारों से भौतिक रूप् से सीधे जोड़ देगी।

   खरगौन के वैभव एवं छिंदवाड़ा के गजानंद,बालाघाट के यशवंत सतना के अमन सीहोर के गजराज अनुपुर के रज्जन पटेल तो भोपाल के अजय ,बैतूल के भगत सिंह ये सभी किसान उत्पाद संगठन के सदस्य ग्रामोजन की इस किसान हितैशी सामुदायिक रणनीतिक सांझेदारी पहल की सराहना करते हुए पूरा सहयोग करने की बात करते हैं।

  उम्मीद है समुदाय के प्रति इस चिंतनीय कार्य में ग्रामोजन के अनुमोदित सामुदायिक विकास के इस सतत विकास के कार्य में सभी का सहयोग मिलेगा। सहकारित एवं स्वैच्छिक संगठनों को देश के आर्थिक विकास में सहभागिता में ग्रामोजन के ये प्रयास जोखिमों को पार कर सामाजिक रूप से जागरूक एवं आर्थिक रूप से मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था के निर्माण में सहायक हो सकेगा।

2 लोग और वह टेक्स्ट जिसमें 'GRA RAMOJAN community development ١ COMING SOON विकसत विकसितभारत भारत ग्रामोजन अभियान 2047 किसान एवं कारीगर देसी उत्पाद संग्रेहालय प्रदर्शन स्थल- भोपाल रोड़ नेशनल हाइवे मण्डीदीप औबेदुल्लागंज LOCAL VOCAL GLOBAL အသလက်းမလမ်နာ်း गाँववाला ORGANIC मिहेदख aetcdt एनजीओ पार्टनर ग्रामोजन फाउंडेशन' नवांकुर संस्था मण्डीदीप, उत्पाद मृंखला * हाथ से पीसे देशी अनाज देसी दलहन देसी तिलहन SALPLODIETE मिलेटस 100% ककीज देसीगुड LOGAL हेणडीक्राप्ट आजीविका समह उत्पाद * एक जिला एक उत्पाद जूट से बने उत्पाद बास मे बने उत्पाद गौ-आधारित उत्पाद, हर्बल ई प्रमोशन मीडिया पार्टनर- इंडियन पब्लिक मेल, व्यापार मंत्र प्रदेश लाइव एक्सेल इंडिया The Community Business Model Of India' लिखा है का डूडल हो सकता है

न्यूज़ सोर्स : योगेंद्र पटेल- सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक