अगर आप हर दिन आफीस जा रहे हैं एवं कुर्सी तोड़ रहे हैं तो इसका कोई मतलब नहीं है,इसके विपरित अगर आप घर से ही एक बेहतर रिजल्ड दे रहे है तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। भारत में " आॅफीस जाओ काम हो ना हो डयूटी बजाओ, जैसी धारणा को पुणे का यह स्टार्टअप  Cowrks  तोड़ने जा रहा है। महाराष्ट के सिद्वार्थ मेंदा के आयडियास से बड़े शहरों में आफीस जाने की झंझट से मुक्ति का समाधान खोजा गया है। 2016 से यह स्टार्टअप सक्रिय है जिसका अब छोटे जिलों तक विस्तार देखा जा रहा है, एवं कार्यस्थलों को कार्यकुशलता के साथ परिणामउन्मुखी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। 
भारत में किस तरह का वर्क मोड हो सकता है सफल
    भारत इस वक्त विकसित देश बनने के प्रयास में लगा है ऐसे में उसे अपने वर्क कल्चर में भी बदलाव करना होगा। इस वक्त देश में मात्र 20 प्रतिशत जाॅब हाइब्रिड या रिमोर्ट वर्क से जुड़े है। लोग दफ्तर तो जा रहे हैं लेकिन परिणाम को लेकर कोई सिस्टम नहीं है। सरकारी एवं गैर सरकारी क्षेत्र वातानुकुलित नहीं है। हालिया रिपोर्ट से पता चलता है जुलाई 2024 में, IT सेक्टर की 110,000 जॉब पोस्टिंग में से लगभग 42,000 में हाइब्रिड या रिमोट रोल की पेशकश की गई थी। यह आंकड़े हाइब्रिड वर्क कल्चर की तरफ बढ़ते रुझान को दर्शाते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
जानकारों का कहना है कि भारत में वर्क प्लेस तेजी से बदल रहा है। टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट  के आगमन और स्टार्टअप की बढ़ती संख्या के चलते हमें अगले कुछ वर्षों में बहुत अधिक लचीला वर्क एनवायरनमेंट देखने को मिलेगा। हाइब्रिड मॉडल देश में कई बड़ी कंपनियों के लिए उपयुक्त साबित हो सकता है क्योंकि यह ऑफिस वर्क मॉडल के कॉम्बिनेशन की तरह है। उनके मुताबिक, एक तरफ जहां यह एक बड़ा टैलेंट पूल बनाने देता है, वहीं दूसरी तरफ रिमोट वर्क से उत्पन्न कम्युनिकेशन संबंधी चुनौतियों को भी दूर रखता है।
CoWrks जैसे स्टार्टअप इस दिशा में एक बेहतर उम्मीद की दिशा में कार्य करते दिखते है। संस्था के अनुसार इनकी मंशा सुसंगत कार्यस्थल का निर्माण करना है। साथ ही सामुदायिक संस्कृति को बढ़ाते हुए सुगमता से कार्य को कराने के लिए वातुनुकुलित स्थान का निर्माण करना है। 
 

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