भारत जैसे विकासशील देश में समुदाय की सरकार के साथ भागीदारी एवं प्रशासन में बैठे लोक सेवकों की ड्यूटी बजाउ परंपराओं को तोड़कर रचनात्मकता एवं नवाचार की दिशा में नई अंर्तदृष्टि पैदा करने में स्व अनिल माधव दवे का योगदान अहम माना जा सकता है।

स्व दवे जहां समुदाय से परिवर्तनकारी परिणामों की अपेक्षा रखते थे वहीं प्रशासन में बैठै लोक सेवकों से भी जमीनी बदलाव को लेकर ताकतवर स्रोतों को विकसित करने की अपेक्षा करते थे।श्री दवे मानते थे कि जहां एक सरकार का लक्ष्य सृजन से समृद्धि का होना चाहिए वहीं रचनात्मक संस्थागत क्षेत्रों को समावेशी विकास हेतु तेजी से तैयार किया जाना चाहिए।

वर्तमान में इस ओर श्री दवे द्वारा सृजित संस्थाओं एवं समाजसवियों को पूर्ण मानव बनाने के दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। जन सेवकों एवं समुदाय में बदलाव लाने वाले सेवकों को पर्यावरणीय जन चेतना को जन आंदोलन बनाने हेतु जमीन पर उतरने की आवश्यकता है।पर्यावरणविद एवं मां नर्मदा के संरक्षण के लिए कार्य करने वाले रचनाकार स्वण् अनिल माधव दवे जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

योगेन्द्र पटेल- सामाजिक चिंतक एवं लेखक

न्यूज़ सोर्स : ipm