भोपाल:  रायसेन  जिले से निकलने वाली पावन बेतवा नदी अपने उदगम स्थल से लेकर मण्डीदीप तक अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। जंगलों के घटते रकबे और नदियों के किनारे तेजी से हो रहे अधोसंरचना विकास के कारण नदियों का दायरा सिमटता जा रहा है. अधाधुंध विकास, जलवायु परिवर्तन और पानी की बढ़ती मांग की कीमत हमारी नदियों ने चुकाई है. कुछ तो हमारे नक्शों से भी गायब हो गई हैं. ऐसी ही नदियों को उनके पुराने स्वरूप में लौटाने का काम अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग कर रही है.

मध्य प्रदेश में बेतवा रिवाइवल पहला प्रोजेक्ट

बता दें कि आर्ट ऑफ लिविंग बीते 12 सालों से नदियों को पुर्नजीवित करने का काम कर रही है, लेकिन मध्य प्रदेश में अब अपने पहले रिवाइवल प्रोजेक्ट की शुरुआत करने जा रही है. इसके तहत सूख चुके बेतवा नदी के उद्गम को वापस लौटाने और इसके बहाव को निरंतर बनाए रखने का काम किया जाएगा. मध्य प्रदेश शासन के अधिकारियों ने बताया कि बेतवा नदी को पुर्नजीवित करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग से एमओयू हुआ है. अभी संस्था के जियोहाइड्रोलाजिस्ट, जियोलाजिस्ट व अन्य एक्सपर्ट नदी का सर्वे कर रहे हैं, इसके बाद डीपीआर तैयार की जाएगी.

इन राज्यों में नदियों को किया पुर्नजीवित

अब तक आर्ट ऑफ लिविंग संस्था देश में कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में 70 से अधिक नदियों को पुर्नजीवित कर चुकी है. अब ये नदियां वापस पुराने स्वरूप में बह रही हैं. इसके साथ ही संस्था के एक्सपर्ट देशभर में 65 हजार से अधिक वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर तैयार किया है, जिससे बारिश के पानी को भूतल तक पहुंचाया जा सके. दुनिया में सबसे अधिक नदियों को पुर्नजीवित करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग संस्था का नाम लिमका बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज हो चुका है.

बेतवा को इस तरह करेंगे पुर्नजीवित

बेतवा रिवाइवल प्रोजेक्ट का पूरा काम मनरेगा के आधीन होगा. हालांकि इसमें जल संसाधन, पर्यावरण, पंचायत एवं ग्रामीण, वन और नगरीय विकास एवं आवास समेत अन्य विभागों को भी जोड़ा जाएगा. बेतवा को पुर्नजीवित करने के लिए बेतवा नदी के उद्गम स्थल से आगे 1.40 लाख हेक्टेयर क्षेत्र का कार्य योजना में शामिल किया गया है. मध्य प्रदेश मनरेगा के आयुक्त अवि प्रसाद ने बताया कि "बेतवा रिवाइवल प्रोजेक्ट का अधिकतर खर्च मनरेगा से वहन किया जाएगा. इससे ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

न्यूज़ सोर्स : ETV