सूर्यमुखी घाट लिंगा की घाट टोली ने पर्यावरण पंचकोसी यात्रा का आयोजन किया, जो नर्मदा नदी के किनारे की जैवविविधता और मिट्टी कटाव के अध्ययन के लिए समर्पित थी। यह यात्रा नर्मदा की प्राकृतिक संपदा को समझने और उसके संरक्षण के उपायों पर चर्चा करने के उद्देश्य से की गई।

यात्रा का उद्देश्यइस यात्रा का मुख्य उद्देश्य नर्मदा नदी के किनारे स्थित जैवविविधता का गहन अध्ययन करना और वहां हो रहे मिट्टी कटाव की समस्या को पहचानना था। यह पहल न केवल नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को समझने का अवसर प्रदान करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों को भी प्रोत्साहित करती है।

मुख्य अध्ययन क्षेत्र

1. जैवविविधता का निरीक्षण:

यात्रा के दौरान टोली ने नर्मदा किनारे की अद्वितीय जैवविविधता का अध्ययन किया।

वृक्ष, पौधे, पक्षी, और जलचरों की विभिन्न प्रजातियों का अवलोकन किया गया।

यह समझने का प्रयास किया गया कि कैसे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र नदी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक है।

2. मिट्टी कटाव की समस्या:

नदी किनारे हो रहे मिट्टी कटाव के कारणों का विश्लेषण किया गया।

कटाव से न केवल कृषि भूमि को नुकसान हो रहा है, बल्कि यह नदी के प्रवाह और जैवविविधता पर भी प्रभाव डाल रहा है।

यात्रा के दौरान मिट्टी संरक्षण और कटाव को रोकने के उपायों पर चर्चा की गई।

साझा अनुभव और समाधान

यात्रा में प्रतिभागियों ने जैवविविधता और मिट्टी कटाव से जुड़े अनुभव साझा किए। साथ ही, स्थानीय समुदाय के साथ संवाद कर पारंपरिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समाधान खोजने पर विचार किया गया।

निष्कर्षसूर्यमुखी घाट लिंगा की यह पर्यावरण पंचकोसी यात्रा नर्मदा के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह यात्रा न केवल अध्ययन और शोध का माध्यम बनी, बल्कि स्थानीय समुदाय को नदी और उसके पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति जागरूक करने का प्रयास भी।

आइए, हम सब मिलकर नर्मदा की जैवविविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए काम करें और मिट्टी कटाव जैसी समस्याओं के समाधान में अपनी भूमिका निभाएं।

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