बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने भर्ती में गड़बड़ी का मामला उजागर करने वाले डॉ प्रकाश खातरकर  का आज निधन हो गया।  भारतीय वैज्ञानिक दल के साथ डॉ प्रकाश जी ने एक वर्ष antratica दक्षिण ध्रुव पर बिताया और अपने अनुसंधानों से देश और दुनिया को बताया कि माइनस 90 डिग्री सेल्सियस ,300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती बर्फीली तूफानी हवाओं में 6 महीने रात 6 महीने दिन पेंगुइन कैसे जीवित रह पाती हैं , पोलर बीयर कैसे अपने आपको जीवित रख पाता है ।
डॉ प्रकाश खातरकर जी खेतिहर मजदूर परिवार के बेटे थे । अपनी योग्यता संघर्ष से उन्होंने यह यह स्थान प्राप्त किया था । वे जीवन की जंग में हार गए किन्तु उनका ज्ञान नई पीढ़ी का सदैव मार्गदर्शन करता रहेगा ।

आखरी संदेश समाज के नाम ....

समाज सेवा का मेरा सपना अधुरा रह गया....! समाज के सबको मेरा नमस्कार प्रकहना ....मै जितने दिन हू अपनो के बिच रहना चाहता हू..

यह संदेश नागपुर हास्पिटल में समाज के लिये कही थी

एक वैज्ञानिक,प्राध्यापक ,विचारक, बुद्धिजीवी,सामाजिक जागृति के कारवां को आगे बढ़ाने वाले योद्धा के असामयिक निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है तथागत पूरे परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे ।

न्यूज़ सोर्स : ipm