मप्र में चरनोई भूमि पर दबंगों का कब्जा सड़क पर मर रही गौमाता ?

मप्र में हाई लेबल कमेटी गठन के बाद भी गौवंश के सड़कों पर से नहीं हटाया जा पा रहा है। इसका मुख्य कारण जंगल और चरनोइ भूमि पर दबंगों का कब्जा है। मप्र के मुख्यमंत्री के निर्देश में फसल कटाई के बाद चरनोइ भूमि खोजो अभियान मप्र सरकार चलाने जा रही है। सरकार ने इस को लेकर सभी जिले के कलेक्टरों को मास्टर प्लान बनाने कहा है।
इधर सभी जिलों के कलेक्टरों को गौशालों में पशुधन को रखने एवं उनकी सही देखभाल को लेकर सख्त निर्देश जारी किये गए है। अधिक से अधिक गौशालों के विकास एवं उनके रख रखाव के निर्देश दिये गए है।
गौशालाओं में निराश्रित गौवंश के संरक्षण की व्यवस्था करें। गौशालाओं में रहने वाले गौवंश के लिये पर्याप्त चारे की व्यवस्था हेतु फसल कटाई के बाद जिले की सभी तहसीलों में चरनोई भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिये विशेष अभियान प्रारम्भ किया जाएगा। यह बात कलेक्टर आदित्य सिंह ने गुरूवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित जिला गौपालन व गौसंवर्द्धन समिति की बैठक में कही। बैठक में जिला पंचायत के सीईओ श्री रोहित सिसोनिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती राजेश्वरी महोबिया, उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. एस.के. त्रिपाठी के साथ-साथ हरदा, टिमरनी व खिरकिया के एसडीएम, तीनों जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा सिराली, हरदा, टिमरनी व खिरकिया के मुख्य नगर पालिका अधिकारी और जिले में संचालित गौशालाओं के संचालकगण मौजूद थे। कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि गौशालाओं के अस्तित्व के लिये चरनोई भूमि से अतिक्रमण हटाना आवश्यक है।
कलेक्टर श्री सिंह ने बैठक में गौशालाओं के संचालकों से गौवंश की सुरक्षा और संरक्षण के संबंध में सुझाव मांगे। उन्होने कहा कि प्रमुख मार्गों पर से निराश्रित गौवंश को हटाकर गौशाला या गोठान में भेजने के लिये विशेष अभियान प्रारम्भ किया जा रहा है। कलेक्टर श्री सिंह ने जिले के पशु पालकों से अपील की कि वे अपने गौवंश को सड़कों पर विचरण के लिये निराश्रित न छोड़ें। उन्होने कहा कि जिले में गौसुरक्षा व निगरानी दल बनाकर सड़कों पर से गौवंश को हटाने की कार्यवाही की जाएगी। उन्होने कहा कि गौशालाओं के लिये चारा, भूसा व अन्य तरह का दान देने वालों को सम्मानित किया जाएगा।
सड़कों से गौवंश हटाकर उन्हें मुख्य मार्गों के पास के गांवों में चयनित स्थान पर रखा जाएगा
उपसंचालक पशु चिकित्सा डॉ. त्रिपाठी ने बैठक में बताया कि जिले में मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना के तहत कुल 24 गौशालाएं स्वीकृत है, जिसमें से 16 संचालित है जिनमें 1931 गौवंश रह रहे हैं। शेष 5 गौशालाओं का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है तथा 3 अभी निर्माणाधीन स्थिति में हैं। इसके अलावा कुल 10 अशासकीय पंजीकृत गौशाला भी जिले में है, जिनमें 3604 गौवंश है। जिले में निजी वित्तीय स्त्रोतों से ग्राम अतरसमा, पिड़गांव, नयापुरा, धनपाड़ा, उसकल्ली, भादुगांव, रायबोर, तजपुरा, गोंदागांव, खिरकिया, नहाली सोमगांव एवं उमरी पिपल्या में कुल 12 गौ आश्रय स्थल संचालित हैं, जिनमें 768 गौवंश हैं। इस तरह कुल 6303 गौवंश संरक्षित है। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि गौशालाओं को अब ऑनलाइन अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होने बताया कि शासन से निर्देश प्राप्त हुए है कि मंदिरों के लिये आवंटित भूमि पर गौशालाओं का संचालन समिति बनाकर करना है। उन्होने बताया कि सड़कों पर विचरण करने वाले निराश्रित गौवंश को मुख्य मार्गों के पास के गांवों में गोठान स्थापित कर वायर फेंसिंग कराकर निराश्रित पशुओं को संरक्षित करने की व्यवस्था की जाएगी। इन ग्रामों में पलासनेर, मसनगांव, कांकरिया, कोलीपुरा, बागरूल, हंडिया, अजनास रैयत, करताना, तजपुरा, अबगांवखुर्द, अबगांवकला एवं सोनखेड़ी ग्राम शामिल है।
कलेक्टर शीतला पटले ने नरसिंहपुर डुंगरिया में संचालित गौशाला का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले ने डुंगरिया में संचालित गौशाला का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। गौशाला का निरीक्षण कर पशुओं के लिए छाया, पानी, चारे आदि की व्यवस्थाओं की जानकारी ली।उन्होंने निर्देशित किया कि गौशाला में संरक्षित गौवंशों के सापेक्ष पर्याप्त मात्रा में भूसा की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं। गौशालाओं में अधिक से अधिक संख्या में गौवंशों को रख कर उनके समुचित प्रबंध सुनिश्चित हो। मुख्य सड़क मार्गों व अन्य स्थानों पर विचरण करने वाले निराश्रित गौवंशों को गौशालाओं में शिफ्ट करवाया जाए।