18वीं लोकसभा की तस्वीर इस बार कई मायनों में पिछली लोकसभा से अलग दिख रही है । इस दौरान जो अहम बदलाव दिखने मिल रहे हैं , उसमें इस बार पिछली लोकसभा के मुकाबले और अधिक सदस्य स्नातक या उससे अधिक पढ़े.लिखे हैं। साथ ही नए सांसदों को अधिक बोलने का मौका भी मिल रहा है। देशभर के नए सांसद अपनी सरकार को नये-नये नवाचार करने एवं विकास को लेकर ध्यानाकर्षण करा रहे हैं। 

18वीं लोकसभा में चुनकर आए 543 सदस्यों में से 423 सदस्य ऐसे हैं ,जिनकी शिक्षा स्नातक या उससे अधिक की पढाई है। । इनमें 27 सांसद डाक्टरेट डिग्री वाले भी हैं । 17वीं लोकसभा में स्नातक और उससे अधिक पढ़े.लिखे सदस्यों की संख्या 396 थी, वहीं डाक्टरेट डिग्री वाले सांसद करीब 21 थे।

यह जानकारी संसद के काम.काज पर शोध करने वाली एजेंसी की रिसर्च की रिपोर्ट से सामने आई है। 78 प्रतिशत सदस्य स्नातक या उससे अधिक पढ़े.लिखे हैं इस लोकसभा में। कम पढ़े.लिखे सांसदों की संख्या घटी है। 22 प्रतिशत यानी 119 सांसद ऐसे हैं ए जिनकी शिक्षा हायर सेकेंडरी या उससे कम है । 27 प्रतिशत ;147 सांसद ऐसे थे पिछली लोकसभा में जिनकी शिक्षा हायर सेकेंडरी या उससे कम थीं।

सामाजिक, कृषि व कारोबार से आए हैं सबसे अधिक सांसद

नई लोकसभा में चुनकर आने वाले सदस्यों में सबसे अधिक ने अपना पेशा सामाजिक क्षेत्र, कृषि और कारोबार बताया है। लोकसभा में इस बार पिछली लोकसभा के मुकाबले अधिक सदस्यों ने खुद को कानून और न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा हुआ बताया है। 18वीं लोकसभा में कानून व न्यायिक क्षेत्र से जुड़े सदस्यों की संख्या सात प्रतिशत हो गई है।

मप्र के कई ऐसे सांसद है जो कृषि क्षेत्र के लिए बड़े मुददे उठा रहे हैं वहीं महिला सांसदों ने अपने क्षेत्र के विकास की बात को दमदारी से रखा है।  मध्य प्रदेश की आधी आबादी की आवाज बुलंद करने के लिए इस बार 6 महिला सांसद लोकसभा पहुंची है. मध्य प्रदेश की 6 लोकसभा सीटों सागर, शहडोल, रतलाम, धार, बालाघाट और भिंड से महिलाओं को मौका दिया गया था जिन्होने संसद में जाकर भी अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया है। 

पहली बार चुनी गई है कोई महिला सांसद
बालाघाट ऐसा संसदीय क्षेत्र बना है, जहां पहली बार कोई महिला सांसद  बनी है. वहीं, सागर को 44 साल बाद महिला सांसद मिली है । इन दोनों महिलाओं ने विकास को लेकर अपने क्षेत्र के कई मुददों का ध्यानाकर्षण कराया है। अधोसंरचना विकास से लेकर शहर से ग्रामों की कनेक्विटी एवं रोजगार के अवसर
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स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार और अस्पतालों में आधुनिक संयंत्र लगाने के अलावा एम्स की मांग  में महिलाओं द्वारा जो बात रखी जा रही है उसकी उनके क्षेत्र में सराहना हो रही है। 

लेखक . योगेन्द्र पटेल. सामाजिक.राजनीतिक विश्लेषक हैं। भोपाल के नवभारत,नई दुनिया,देशबंधु,दैनिक भास्कर डिजिटल ,ईएमएस न्यूज एजेंसी,राष्टीय हिन्दी मेल,  प्रादेशिक समाधान, महर्षि वर्ल्ड मीडिया समूह ,श्री विश्व समर्थ विलेज  फाउंडेशन , ग्रामोजन फाउंडेशन, अनेकों डिजिटल चैनलों में संपादन  , उप संपादक से लेकर जनसंपर्क अधिकारी ,शोधार्थी की भूमिका में रह चुके हैं। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से मास कम्युनिकेशन में मास्टर है। साथ ही मप्र सरकार से अधिमान्य पत्रकार  है। 

न्यूज़ सोर्स : ipm