इंसान नशेबाज और अब मिट्टी भी नशेबाज बनाई जा रही और सरकारे सत्ता के नशे में है
मानव क्या अंधभक्ति में वर्तमान परिस्थिति तंत्र को खत्म कर रहा है। इंसान अखिर किस चाह में भयंकर लालचवादी हो रहा है। आज धरती को जहर नुमा बनाकर भयंकर उत्पादन पैदा करने की होड़ है। बिमारियों के जड़ को न खोजकर मेडिकल माफिया भयंकर लूट मचा रहे हैं। सरकार को एवं खासकर धंधेबाज राजनेताओं को इस ओर ध्यान देना चाहिए जो सूटबूट में सेवा के नाम पर मेवा खा रहे हैं। {IPM}
विजय जड़धारी भारत के संरक्षणवादी कार्यकर्ता हैं। वे 'बीज बचाओ आन्दोलन' के प्रणेता हैं। उन्होने 'बारहनाजा' नामक एक पुस्तक की रचना की जिस पर उन्हें गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, नयी दिल्ली द्वारा सन् २००७ का 'प्रणवानन्द साहित्य पुरस्कार' प्रदान किया गया। वे चिपको आन्दोलन से भी सम्बद्ध रहे हैं।
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