जुलाई महीने में भारत के झारखंड हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिह्नित कर वापस भेजने की योजना बनाने का निर्देश दिया. इसके बाद दक्षिण एशिया के दो पड़ोसी देशों के बीच का यह मामला सुर्खियों में आ गया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या केंद्र सरकार यहां सीएए (सिटिजनशिप एमेंडमेंट एक्ट) के तहत सीधे घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. कोर्ट ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि इस पर केंद्र सरकार को भी राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है.

इस मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले डेनियल दानिश जमशेदपुर के मानगो में रहते हैं. यहीं इनकी दुकान है. वे पहले बीजेपी से जुड़े थे. सामाजिक कार्यों में रुचि रखते हैं. दानिश ने जनहित याचिका में कहा है कि बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे झारखंड के जिलों में सुनियोजित तरीके से घुसपैठ कराई जा रही है. दानिश ने इसके लिए बांग्लादेश के कुछ प्रतिबंधित संगठनों पर आरोप लगाया है. 

आदिवासियों की आबादी में बदलाव

बीजेपी के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी कथित घुसपैठ पर चिंता जताई है. डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘संथाल परगना में आदिवासियों की संख्या धीरे-धीरे घटती जा रही है. उनका अस्तित्व खतरे में है. सरकार को विशेष टीम गठित कर पूरे मामले की जांच करनी चाहिए. यह जांच होनी चाहिए कि आदिवासियों की संख्या में इतनी गिरावट कैसे आ गई और यहां के आदिवासी कहां गए. उनकी जगह किसने ली.''

 जनसंख्या के सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि संथाल परगना प्रमंडल के छह जिलों दुमका, पाकुड़, साहेबगंज, गोड्डा, जामताड़ा और देवघर की डेमोग्राफी में काफी बदलाव आया है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक इन छह जिलों में 1951 में आदिवासियों की आबादी 44.66 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 28.11 फीसदी हो गई, वहीं मुस्लिमों की आबादी 9.44 से बढ़ कर 22.73 प्रतिशत हो गई. साल 2000 में राज्य बने झारखंड की आबादी 1951 की जनगणना में करीब 97 लाख थी जो 2011 में बढ़कर 3 करोड़ 30 लाख हो गई.

जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि संथाल परगना के इन सभी छह जिलों में आबादी में औसत 7 से 8 लाख का इजाफा हुआ है. कुछ लोगों का आरोप है कि घुसपैठ के बिना इतनी तेजी से आबादी का बढ़ना नामुमकिन है. हालांकि राज्य के दूसरे जिलों में भी आबादी के बढ़ने की रफ्तार लगभग एक जैसी है.'

घुसपैठ के आरोप पर राजनीति

झारखंड में हेमंत सरकार के मंत्री और जामताड़ा से विधायक इरफान अंसारी घुसपैठ से इंकार करते हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "बाबूलाल मरांडी अपने देश के लोगों को ही घुसपैठिया इसलिए कह रहे हैं क्योंकि ये लोग मुसलमान हैं और उन्हें वोट नहीं देते हैं. घुसपैठ रोकने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, उसे रोके." राजमहल से झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद विजय हांसदा भी घुसपैठ के मामले में केंद्र सरकार के रुख पर सवाल खड़ा करते हैं. उनका कहना है, "जो व्यक्ति हमारे देश या राज्य में है, उसे घुसपैठिया कहना गलत है. किसी की भी संख्या घट-बढ़ सकती है. यह पॉपुलेशन इंडेक्स का मामला है.'' झारखंड सरकार के मंत्री मिथलेश ठाकुर का भी कहना है, "ये बार-बार घुसपैठ की बात करते हैं. घुसपैठ रोकने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास है."

 बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने आशंका जताई है कि अभी जिस तरह राज्य में पहाड़िया के लोग दिख रहे हैं, आने वाले 50 वर्षों में उसी तरह यहां संथाल दिखेंगे. पहाड़िया झारखंड के इस इलाके की एक और जनजाति है. उन्होंने राजमहल विधानसभा क्षेत्र का जिक्र कर बताया कि 2019-23 के बीच एक-एक बूथ पर 123 प्रतिशत तक मतदाता बढ़े. इस तरह 50 हजार वोटर बढ़ गए. मरांडी का आरोप है कि यह संख्या बांग्लादेश से आए रोहिंग्या मुसलमानों की वजह से बढ़ी.

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