सिंधिया के शागिर्द: पंजे से तोड़ा रिश्ता मिला नजराना भाजपा टिकट

त्वरित टिपण्णी- कैलाश सनोलिया
नागदा। भाजपा ने उज्जैन जिले के पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी की है। इस सूची का आंकलन नागदा -खाचरौद के घोषित प्रत्याशियों से किया जाए तो इन दोनों शहरों में अबकि बार टिकट वितरण में भाजपा ने नवाचार का प्रयोग किया है। कई धूर्रधरों को घर का रास्ता दिखाया और युवा चेहरों को अंगूली पकडक़र सियासत की राह दिखाई । इस सूची में एक बड़ा चौकाने वाला यह तथ्य सामने आया कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के शागिर्द ( अनुयायी) जो उनके साथ कांग्रेस से रिश्ता तोडक़र कर भाजपा में शामिल हुए उन सभी की बल्ले- बल्ले हो गई। उन चेहरों को भी टिकट देकर भाजपा ने अनूठा दाव खेला है। दूसरे अर्थो में श्रीमंत के साथ आने वाले कांग्रेस के पूर्व चेहरों को तोहफे में टिकट का नजराना दिया गया। भाजपा की इस सूची में ऐसे चेहरों में सबसे बड़ा नाम सूर्यप्रकाश शर्मा तथा दूसरा राधेश्याम बंबोरिया खाचरोद का है। वेसे इस क्षेत्र से कुल 5 चर्चित चेहरों ने कांग्रेस से मुंह मोडक़र भाजपा का दामन था। उन में से चार की सियासत की झोली टिकट से लबरेज हो गई।
सिंधिया जी के साथ इन्होंने छोड़ी कांग्रेस
सिंधियाजी की कांग्रेस से बगावत से कमलनाथ सरकार की कुर्सी खिसक गई थी। सिंधियां के कदम से जब कांग्रेस गर्दिश में आई तक कांग्रेस के इस क्षेत्र के सूर्यप्रकाश शर्मा, राधेश्याम बंबोरिया, अमित पंडित, हरिकिशन लोहरवाड़, सतीश चौहान ने कांग्रेस को बाय- बाय किया । हाल में जो सूची भाजपा की आई उसमें से चार चेहरों को टिकट नसीब हो गई। संभवत अमित पंडित टिकट की दौड़ में नहीं थे। शेष सभी को टिकट का उपहार मिला है। किसी को स्वयं को तो किसी के परिवार को टिकट से नवाजा गया है। इन दो बडे चेहरे सूर्यप्रकाश एवं राधेश्याम बंबोरिया की सियासत की खिडक़ी में धूप कांग्रेस काल से ही सिंधिया के राजनैतिक महल से मिलती रही है। सिंधियाजी की कांग्रेस से बगावत के बाद इन्होंने भी अपनी निष्ठा जताई थी। उसका प्रसाद अब इन्हें मिला है। सूर्यप्रकाश को वार्ड 20 से टिकट मिला है। जबकि राधेश्याम बंबोरिया की पुत्रवधु गोदावरी को भाजपा ने टिकट से उपकृत किया।
इस टिकट का राज
जब सिंधिया ने कांग्रेस से रिश्ता तोड़ा तब उनके साथ जाने वालों में सबसे बड़ा चेहरा इस क्षेत्र से सूर्यप्रकाश शर्मा का था। इनकी पहचान एक प्रखर वक्ता के रूप में है। भाजपा ने अब इनकी निष्टा को देखते हुए लोकतंत्र के मैदान में उतारा है। सूर्यप्रकाश इस क्षेत्र के वे राजनेता है जो कृषि उपजमंडी खाचरौद में वर्ष 2007 में उपाध्यक्ष बने और और बाद में कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभायी। यहां तक वर्ष 2018 में विधानसभा टिकट के लिए एक प्रबल दावेदार बनकर उभरे थे। इसी प्रकार वर्ष 2013 में भी टिकट के लिए आगे आए थे। बाद में अन्य एक सपा उम्मीदवार के पक्ष में उतर गए। वर्ष 2013 में कांग्रेसे के सिंटिग एमएलए दिलीपसिंह गुर्जर के प्रभाव के आगे सूर्यप्रकाश की दावेदारी कमजोर पड़ गई। गत विधानसभा चुनाव में तोआप सिंधिया कोटे से विधानसभा टिकट के लिए पूरजोर तरीके से अड़े थे। लेकिन उनकी तकदीर ने साथ नहीं दिया और निराशा हाथ लगी।
किसी जमाने में कांग्रेस विधायक दिलीपसिंह गुर्जर के निकटस्थ सहयागियों में आपका नाम शुमार था। नतीजन उस काल में प्रेमचंद गुड्डू ़ के प्रदेश अध्यक्ष काल में सूर्यप्रकाश शर्मा युवक कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री भी बने। इनकी पत्नी सुनिता को नगरपालिका खाचरौद में गत नपा चुनाव में कांग्रेस का टिकट भी मिला। इसके पूर्व सूर्यप्रकाश निर्दलीय अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ चुके हैं। यह अलग बात हैकि इन दोनोंं चुनाव में सम्मानजनक हार हुई थी। वर्ष 1993 में इस क्षेत्र से कांग्रेस विधायक दिलीपसिंह गुर्जर चुने जाने के बाद में दोनों एक दल में रहे लेकिन कांग्रेस में रहते ही दोनों की राह अलग- अलग हो गई। एक -दूसरे के राजनैतिक प्रतिद्धंद्धी बन गए। यकायक सिंधिया के भाजपा में जाने से सूर्यप्रकाश ने अपनी तकदीर कमल के फूल के हवाले कर दिया। अब इनको भाजपा का टिकट देने का समीकरण यह माना जा सकता हैकि चुनाव में बा्रहाण मतदाता इस चेहरे से प्रभावित हो सकते हैं। फिर एक स्थापित चेहरा है। राजनीतिकार अब यह भी मान रहे हैकि सूर्यप्रकाश प्रकाश को इस चुनाव में सफलता मिली तो अगले विधानसभा चुनाव में सिंधिया समर्थकों की सूची में कम से कम प्रतिस्पर्धा में तो नाम शुमार होने से इंकार नहीं किया जा सकता। सफलता के आद नपा में भी कोई कुर्सी नसीब हो सकती है। लेकिन यह सब कुछ इस चुनावी सफलता में निहित है।
इस टिकट का भी बड़ा पहलू
राधेश्याम बंबोरियां का किसी समय युवक कांग्रेस की राजनीति में एक बड़ा लोकप्रिय चेहरा था। इन्होंने भी सिंधिया के साथ निष्टा जताई और कांग्रेस का साथ छोड़ा। ऐसी स्थिति में भाजपा ने इन्हें भी सम्मान देने का प्रयास किया । बताया जा रहा हैकि राधेश्याम बंबोरिया वार्ड 11 से टिकट मांग रहे थे। लेकिन इनकी पुत्रवधु गोदावरी बंबोरिया को भाजपा ने टिकट दिया है। गोदावरी राहुल बंबोरिया अब वार्ड नंबर 8 से मैदान में है। बंबोरियां जब कांग्रेस में थे तब से इनकी निष्टा सिंधियां से जुड़ी रही है। ये किसी समय कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा इसलिए थेकि युवक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष पद रह चुके है। उस समय इनका नाम इसलिए सुर्खियों में आया था कि उज्जैन जिले में जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर बड़ा बखेड़ा खड़ा हुआ था। वर्ष 1996 के आसपास युवक कांग्रेस की राजनीति पूरे प्रदेश में परवान पर थी। युवक कांग्रेस के जिला अध्यक्ष संजय ठाकुुर बने इस दौरान राधेश्याम बंबोरिया की पीठ विधायक दिलीपसिंह गुर्जर ने थपथपाई और इनको भी अध्यक्ष बनाया गया। दोनों के बीच असली- नकली की सियासत शुरू हुई थी। राधेश्याम किसी समय प्रदेश युवक कांग्रेस के महामंत्री के पद पर पहुुचे थे। अपने कैरियर की शुरूआत छात्र राजनीति से की थी और शासकीय महाविधालय छात्र संघ अध्यक्ष भी बने। चार बार पार्षद बने ओर नपा में प्रतिपक्ष नेता की जिम्मेदारी भी निभाई।
नपा खाचरौद में प्रतिपक्ष नेता तथा धाकड़ समाज में लोकप्रियता से पार्षद भी बने। भारतीय जीवन बीमा में अभिकर्ता के रूप में इंदोैर मंडल में अच्छा व्यवसाय के कारण इस क्षेत्र में भी पहचान मिली थी। इस कारण जनसंपर्क एवं मिलनसारिता इनके नाम शुमार है। भाजपा ने इस चेहरे की परिपक्कव राजनीति एवं और संभवत धाकड़ समाज के वोटों के कारण दूरगामी परिणाम की राजनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस छोड़ते ही सम्मान दिया है।
नागदा के लौहरवाड़ भी धन्य
नागदा के हरिकिशन लौहरवाड़ स्वयं सिंधिया समर्थक प्रचारित करने से नहीे चुकते हैं। गत नपा चुनाव में अध्यक्ष का चुनाव प्रजातांत्रिक प्रणाली से हुए थे। तब भी यह सीट अजा वर्ग के लिए आरक्षित थे। तब हरिकिशन लोहरवाड़ ने अपनी दावेदारी कांग्रेस के समक्ष जताई थी लेकिन अघ्यक्ष का टिकट पाने में कामयाबी नहीं मिली। अब भाजपा ने इनका मूल्यांकन इनकी पत्नी सावित्री देवी को वार्ड 7 के रण में भेजा है। एक स्कूल संचालक के रूप में भी आपका नाम शिक्षा जगत में है। इन्होंने सिंधियां के साथ ही कांग्रेस को बाय- बाय किया था। समाज के वोट बैंक का लाभ लेने के मकसद से भाजपा ने इस चेहरे पर दाव खेला है।
इन पर भी भाजपा मेहरबान
खाचरौद के सतीश चौहान की पत्नी प्रेमलता चौहान को वार्ड नंबर 9 से टिकट देकर मैंदान में उतारा है। इनका नाम भी सिंधिया समर्थकों में जुड़ा हुआ है। इन्होंने भी कांगेे्रस को छोडक़र भाजपा से रिश्ता जोड़ा है। ये किसी समय कांग्रेस डिजीटल सेल में सक्रिय रूप से कार्य करते थे। इस प्रकार से कांग्रेस से नाता तोडक़र गत विधानसभा चुनाव में आए एक राजनेता को भाजपा ने उपकृत कर टिकट से नवाजा है।राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार मप्र शासन
संवाददाता हिंदुस्थान समाचार एजेंसी