गैंगस्टर मुख्तार मलिक की झालावाड़ में मौत

राजस्थान के झालावाड़ के असनावर थाना इलाके में करीब 3 दिन पहले मछलियों के ठेके को लेकर दो गैंग में हुई फायरिंग और पथराव में घायल हुए एक और व्यक्ति की झालावाड़ अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस तफ्तीश में सामने आया कि मृतक मुख्तार मलिक मध्य प्रदेश के भोपाल का कुख्यात गैंगस्टर है। बताया जा रहा है कि जिस समय यह घटना हुई उस समय हड़बड़ाहट में मुख्तार जिस नाव में बैठा था वो नाव पलट गई थी। इस हमले में मुख्तार गंभीर रूप से घायल हो गया था। पुलिस 3 दिन से उसकी नदी और तालाबों में तलाश कर रही थी। शुक्रवार सुबह भीमसागर क्षेत्र में ग्रामीणों ने एक व्यक्ति को नदी से बाहर निकाला जिसकी पहचान मुख्तार के रूप में हुई। असनावर थाना क्षेत्र के कासखेड़ली गांव के नजदीक उजाड़ नदी के कैचमेंट क्षेत्र में मंगलवार देर रात को मछली ठेकेदारों के गुटों में खूनी संघर्ष हो गया था।
मुख्तार के अपराध की कुंडली
मुख्तार मलिक पर हत्या समेत 58 गंभीर अपराध दर्ज हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को धमकी देकर वह अपराध की दुनिया में सुर्खियों में आया था। इसके बाद 1982 में सबसे पहले ज्यादती के आरोप में गिरफ्तार हुआ। यह उसका पहला अपराध था। भोपाल की जिला अदालत में मुन्ने पेंटर गैंग के बीच हुए गैंगवार में मुख्तार को 2006-07 में हाईकोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में वह बरी हो गया। मुख्तार के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, ज्यादती, अपहरण और अड़ीबाजी समेत 58 अपराध दर्ज हैं।
मुख्यमंत्री पटवा को धमकाकर चर्चा में आया
मुख्तार 1990 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा तक को धमका चुका है। 1996 में इसने फिरौती के लिए रायसेन जिले के तीन बच्चों का अपहरण किया था। इस काम के लिए उसने उप्र से बदमाश बुलाए थे। हालांकि, पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान उसके साथियों का एनकाउंटर करते हुए बच्चों को छुड़ा लिया था। मुख्तार पर भोपाल के तलैया, बिलखिरिया, एमपी नगर, शाहजहांनाबाद, मिसरोद, जहांगीराबाद, क्राइम ब्रांच, हबीबगंज, हनुमानगंज, कोहेफिजा, रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज, सुल्तानपुर, उमरावगंज थाने में 58 आपराधिक केस दर्ज हैं। अपराध की दुनिया में 1982 से वो भोपाल में एक्टिव है।
राजधानी के बाहर भी था खौफ
मुख्तार को पकड़ने में कभी पुलिस भी घबराती थी। अधिकतर अपराध में वह अब तक वह खुद सरेंडर करता आया है। हालांकि, पुलिस उसे गिरफ्तार करने का दावा करती रही है। उसका खौफ भोपाल के अलावा सीहोर, रायसेन में भी था। वर्तमान में उसने प्रॉपर्टी, खनिज का अवैध धंधा शुरू किया था। कई बिल्डर, अफसर उसके धंधे में इंडायरेक्ट तरीके से पार्टनर रहे हैं।
18 साल पहले अफसर पर चलवाई थी गोली
एक दिलचस्प वाकया 8 माह पहले मुख्तार के साथ हुआ था। दरसअल, कुख्यात गैंगस्टर मुख्तार मलिक धोखाधड़ी के एक मामले में सेंट्रल जेल भोपाल में बंद था। यह मात्र एक संयोग ही था कि जिस अफसर पर 18 साल पहले मुख्तार ने अपने शूटर से गोली चलवाई थी, वे ही अफसर पीडी श्रीवास्तव सेंट्रल जेल भोपाल के जेलर थे। मुख्तार ने 24 नवंबर 2003 को सेंट्रल जेल भोपाल के तत्कालीन डिप्टी जेलर पीडी श्रीवास्तव पर अपने शूटर तौफीक से हमला कराया था। तौफीक ने उस समय उन पर दो गोली चलाई थीं, जब वे जेल से पैदल अपने घर जा रहे थे। हमले में वे बाल-बाल बचे थे। बाद में खुलासा हुआ था कि गोली मुख्तार ने चलवाई थी।