अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय बनीं गीतांजलि श्री

दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) के हिंदी उपन्यास 'टूंब ऑफ सैंड' को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह किसी भी भारतीय भाषा की पहली पुस्तक है, जिसे यह सम्मान मिला है। गुरुवार (26 मई 2022) को लंदन में एक समारोह में Geetanjali Shree को यह सम्मान दिया गया। इस मौके पर Geetanjali Shree ने कहा कि वह सम्मान पाकर पूरी तरह अभिभूत हैं। 'मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। कितनी बड़ी पहचान है, मैं चकित, प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र हूं।' पुरस्कार के साथ पदक चिह्न और 50,000 जीबीपी दिए जाते हैं। इस कितना बाद का अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया है।
स्टेज पर Geetanjali Shree के साथ डेजी रॉकवेल भी उपस्थित रहीं। अमेरिका के वरमोंट में रहने वालीं चित्रकार, लेखिका और अनुवादक रॉकवेल ने उपन्यास के अनुवाद को 'हिंदी भाषा के लिए प्रेम पत्र' के रूप में वर्णित किया। 'टूंब ऑफ सैंड' मूल रूप से 'रेट समाधि' पर आधारित है। यह उत्तरी भारत की 80 वर्षीय महिला की कहानी है। बुकर के लिए चुनाव करने वाले जजों ने इसे एक 'आनंददायक उपन्यास' करार दिया है।