मप्र की जीवन रेखा नर्मदा में गंदे नाले मिलने को लेकर एनजीटी सख्त

जबलपुर । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मध्य प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा में गंदे नाले मिलने की समस्या को बेहद गंभीरता से लिया। एनजीटी के न्यायमूर्ति एके गोयल, सदस्य एसके सिंह व विशेषज्ञ सदस्य नगीन नंदा ने जबलपुर कलेक्टर, निगमायुक्त व प्रदूषण नियंत्रण मंडल को आवश्यक कार्रवाई कर प्रमुख सचिव, वन विभाग को सूचित करने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि नर्मदा किनारे होने वाले आयोजनों के संबंध में गाडडलाइन जारी की जाए।
नाले सीधे नर्मदा में मिल रहे : जनहित याचिकाकर्ता नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर के प्रांताध्यक्ष डॉ.पीजी नाजपांडे, नयागांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव व अधिवक्ता दीपांशु साहू की ओर से अधिवक्ता प्रभात यादव ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि जबलपुर स्थित ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट व पंचवटी तटों में गंदे नाले सीधे नर्मदा में मिल रहे हैं। कायदे से इस जल का उपचार होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। इस वजह से नर्मदा में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसके लिए नगर निगम, जबलपुर से प्रदूषक क्षतिपूर्ति बतौर जुर्माना वसूला जाना चाहिए। नर्मदा तटों पर रियल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किया जाना चाहिए। नर्मदा में अझोल नामक घातक वनस्पति को भी नियंत्रित किया जाए। हरियाली चूनर अभियान के तहत करोड़ों पौधे रोपे जाने की सच्चाई की जांच होनी चाहिए। बचे हुए पौधों को बचाया जाना चाहिए। नर्मदा किनारे होने वाले आयोजनों से नर्मदा का जल प्रदूषित न हो, यह भी सुनिश्चित किया जाए। एनजीटी ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों के साथ याचिका का पटाक्षेप कर दिया।