सिर्फ 20 हजार लगाकर घर बैठे ही शुरू कर सकते हैं मुनाफा देने वाले ये बिजनेस

जैसा कि कहा जाता है कि एक बिजनेस शुरू करने के लिए केवल आइडियाज का होना ही जरूरी नहीं बल्कि जरूरी है उन आइडियाज को लागू करना। हालांकि बिजनेस में एंटर करने से पहले कुछ आकांक्षी संस्थापक अक्सर आइडियाज और इन्वेस्टमेंट को लेकर संघर्ष करते नजर आते हैं। आपके पास भले ही अनेकों आइडियाज क्यों न हों, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि उन आइडियाज को प्रॉपर डायरेक्शन नहीं मिलती और आप अपने प्लान बदल लेते हैं। यही वह समय होता है जब अधिकांश महत्वाकांक्षी संस्थापक एक संतुलन खोजने के लिए संघर्ष करते हैं। एक बिजनेस शुरू करने के लिए अत्यधिक दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है, लेकिन आपको उद्यमी क्षेत्र में कदम रखने से पहले अपने बिजनेस आइडिया के बारे में बहुत स्पष्ट होना चाहिए। इस समस्या को आसान बनाने के लिए, SMBStory ने ऐसे 20 लाभदायक मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस आइडियाज की एक लिस्ट तैयार की है जिन्हें आप कम निवेश के साथ शुरू कर सकते हैं।
हस्तनिर्मित मोमबत्तियाँ
कैंडल अर्थात मोमबत्तियाँ हमेशा डिमांड में होती हैं, इसलिए यह एक बेहद लोकप्रिय बिजनेस ऑप्शन है। मोमबत्तियों की पारंपरिक मांग धार्मिक और सजावट के उद्देश्यों से आती है। त्योहारों के दौरान, मांग बहुत अधिक होती है। इसके अलावा, इन दिनों कई रेस्तरां, घरों और होटलों के साथ सुगंधित और
अचार (Pickles)
अचार भारत में एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ है और बेहद लोकप्रिय है। आपको हर भारतीय घर में कम से कम एक प्रकार का अचार जरूर मिलेगा। इस प्रकार, यदि आप छोटा स्टार्टअप शुरू करना चाहते हैं, तो अचार बिजनेस एक सुरक्षित और आसान विकल्प है। भारतीय बाजार के अलावा, भारतीय अचार की विदेशों में बहुत मांग है।
अगरबत्ती (Incense sticks)
भारत की अगरबत्ती का बाजार देश और विदेश में बड़ी मांग के कारण बढ़ रहा है। अगरबत्ती का इस्तेमाल ज्यादातर भारतीय घरों में किया जाता है और त्योहारों के मौसम में इनकी लोकप्रियता और मांग ज्यादा बढ़ जाती है। अन्य देशों में मेडीटेशन की बढ़ती लोकप्रियता और अगरबत्तियों के जुड़े उपयोग के चलते उनका निर्यात भी बढ़ा है। अगरबत्ती के छोटे पैमाने पर निर्माण के लिए बाजार से चंदन, चमेली, गुलाब, चंपा आदि सुगंध वाले बांस की छड़ें और आवश्यक तेल खरीदना होता है। छड़ें तेल के साथ लेपित होती हैं, और सूखी होती हैं। 50,000 रुपये तक की लागत वाली ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक अगरबत्ती बनाने वाली मशीनों का उपयोग थोक उत्पादन के लिए किया जा सकता है। एक बार जब छड़ें पैक और लेबल हो जाती हैं, तो वे स्थानीय बाजारों में बेचे जाने के लिए तैयार हैं।
बटन (Buttons)
बटन गारमेंट इंडस्ट्री में उपयोग किए जाने वाले सबसे आवश्यक ट्रिमिंग्स में से एक हैं और इसको लेकर बाजार में बड़ी संभावनाएं हैं। प्लास्टिक से लेकर कपड़े और स्टील के बटन तक, इस स्पेस में कई कैटेगरीज हैं, जिन्हें आप अपनी पसंद के अनुसार चुन सकते हैं। आप चाहें तो किराए पर लेकर या अपने घर से इसे लगभग 30,000 रुपये -40,000 के मूल निवेश के साथ शुरू कर सकते हैं।
डिजाइनर फीता (Designer lace)
फीते का उपयोग आमतौर पर कपड़ों में और शिल्प कार्यों के लिए किया जाता है। यह व्यापार का एक पारंपरिक रूप है और इसे आसानी से घर पर शुरू किया जा सकता है। उभरते फैशन ट्रेंड के साथ, विभिन्न प्रकार के फीते की मांग बढ़ गई है। फीते को विभिन्न देशों में भी निर्यात किया जाता है, इसलिए यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो छोटे से शुरू करना चाहते हैं। फीते को मैन्युअल रूप से डिजाइन किया जा सकता है। हालांकि ये आप पर निर्भर करता है कि क्या आप अपना संचालन के पैमाने को बढ़ाना चाहते हैं। अगर ऐसा है तो बॉबी मशीनों या पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत मशीनों के माध्यम से भी फीता डिजाइन किया जा सकता है। आप लगभग 25,000-50,000 रुपये के कम निवेश के साथ इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं।
जूतों के फीते (Shoe laces)
चीन के बाद भारत फुटवियर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। देश द्वारा निर्मित जूतों को स्पोर्ट्स, फॉर्मल, कैजुअल और अन्य जैसी कैटेगरीज में अलग-अलग रखा जा सकता है। जूतों के फीतों की मांग बहुत अधिक है, और इन फीतों का निर्माण एक आकर्षक स्मॉल बिजनेस आइडिया बन गया है। जूते का फीता बैंड की बुनाई और एगलेट (फीते के किनारे पर लगाने की धातु की नोक) द्वारा निर्मित किया जाता है। साधारण, बुना बैंड आमतौर पर कपास, पॉलिएस्टर, नायलॉन, पॉलीप्रोपाइलीन, आदि से बनाया जाता है, और एगलेट प्लास्टिक से बना होता है। फीता और एगलेट के लिए सामग्री के अलावा, जूता फीता ब्रेडिंग मशीनों की भी आवश्यकता होती है। वे प्रति मिनट कई मीटर फीता बुन सकती हैं, जिसके बाद एसीटोन का उपयोग बुने हुए बैंड को गूंथने के लिए किया जा सकता है। जिस तरह की मशीनरी आप डिप्लॉय करना चाहते हैं, उसके आधार पर आप लगभग 25,000 रुपये के छोटे निवेश के साथ इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं।
आइसक्रीम का कोन (Ice cream cones)
हर कोई आइसक्रीम पसंद करता है। आज आइसक्रीम सबसे लोकप्रिय डेसर्ट में से एक है। आइसक्रीम की बढ़ती खपत के कारण आइसक्रीम कोन की भी मांग बढ़ गई है। इसलिए, यदि आप कुछ छोटा शुरू करना चाहते हैं, तो यह आइडिया एक अच्छा मुनाफा देने वाला कारोबार हो सकता है। आप लगभग 1 लाख से 1.5 लाख रुपये का निवेश करके एक छोटी सी जगह में आइसक्रीम कोन निर्माण इकाई शुरू कर सकते हैं। हालांकि, यदि आप उच्च क्षमता वाली मशीनरी के साथ बड़े पैमाने पर काम करना चाहते हैं, तो निवेश लागत थोड़ी अधिक हो जाती है।
हस्तनिर्मित चॉकलेट (Handmade chocolates)
जब चॉकलेट की खपत की बात आती है, तो भारत इस चार्ट में सबसे ऊपर आता है। चाहे मीठा हो या खट्टा, चॉकलेट हमेशा मूड लिफ्टर और स्ट्रेस बस्टर होती है। मिंटेल के अनुसार, भारत में 2015 से 2016 के बीच खुदरा बाजारों में चॉकलेट कन्फेक्शनरी की बिक्री 13 प्रतिशत बढ़ी। इसलिए, यदि आप अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं और आपके पास कोई आइडिया नहीं है, तो चॉकलेट का निर्माण एक आकर्षक अवसर हो सकता है। आपको इसे शुरू करने के लिए एक प्रोडक्ट लाइन डेवलप करने की आवश्यकता होती है। कच्चे माल और पैकेजिंग को खरीदने के लिए 40,000 से 50,000 रुपये की अनुमानित पूंजी की आवश्यकता होगी। हालांकि, यदि आप बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए मशीनरी तैनात करना चाहते हैं, तो लागत 2 लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक बढ़ सकती है। मिक्सिंग, कुकिंग और कूलिंग इक्विपमेंट से आपका वॉल्यूम प्रोडक्शन आसान हो जाएगा। अपने ऑपरेशन के पैमाने को फिट करने के लिए सही उपकरणों का चयन जरूरी है।
पापड़ (Papad)
पापड़ एक पतला और क्रिस्पी फूड है जो तला हुआ या भुना हुआ दोनों तरह का हो सकता है। अधिकांश भारतीय भोजनों के साथ पापड़ को देखा जा सकता है। कई मौकों, समारोहों और पार्टियों में पापड़ अनिवार्य होते हैं, जिसका मतलब है कि इसकी मांग भी हमेशा अधिक होती है। इसके लिए एक बार बुनियादी सामग्री जैसे गेहूं का आटा, मसाले, और तेल की जरूरत होती है। इसकी निर्माण प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल होती है। बड़े पैमाने पर पापड़ विनिर्माण उद्योग अत्यधिक प्रतिस्पर्धी है, लेकिन उद्यमी लगभग 30,000 रुपये के 40,000 रुपये के छोटे निवेश से शुरुआत कर सकते हैं और स्थानीय विभाग के स्टोरों को बेच सकते हैं। उद्यमी दाल, छोले, चावल, टैपिओका इत्यादि से बने आटे का भी प्रयोग कर सकते हैं, ताकि वे दूसरों से अलग कुछ ऑफर कर सकें।
स्टेपल पिन (Staple pins)
स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी संस्थानों, कार्यालयों और जहाँ भी कागज पर काम होता है वहां स्टेपलर का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। स्टेपलर बिना स्टेपलर पिन के काम नहीं कर सकता है, और पिन आमतौर पर सफेद जस्ती लोहे के तार से बनाई जाती हैं। अच्छी गुणवत्ता वाले लोहे का उपयोग सुनिश्चित करेगा कि पिन मजबूत और लंबे समय तक चलने वाले हैं। ऑटोमैटिक स्टेपल पिन बनाने वाली मशीनें उत्पादन की प्रक्रिया को सरल बनाती हैं। मशीन गोल लोहे के तार को समतल करती है और पूर्व निर्धारित लंबाई में पिन का उत्पादन करती है। स्टेपल पिन बनाने वाली मशीनें जो प्रति मिनट 350 पिन बना सकती हैं, उनकी कीमत 3.5 लाख रुपये तक है।
स्मार्टफोन के लिए टेम्पर्ड ग्लास (Tempered glass for smartphones)
वैश्विक बाजार के सिकुड़ने के बावजूद भारत का स्मार्टफोन बाजार बढ़ रहा है। इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (IDC) के मुताबिक, भारतीय बाजार ने Q1 2019 में 32 मिलियन यूनिट्स की शिपमेंट देखी है। स्मार्टफोन एक्सेसरीज जैसे टेम्पर्ड ग्लास भी बड़ी डिमांड में हैं। ये उच्च तापमान वाली मशीनों में बनाए जाते हैं, जहाँ कांच को गर्म किया जाता है और फिर तेजी से ठंडा किया जाता है। टेम्पर्ड ग्लास को कठोरता परीक्षण, ब्रेकिंग टेस्ट और आयाम जांच भी पास करना होता है। टेम्पर्ड ग्लास में सिलिकॉन, अतिरिक्त सुरक्षा और गोंद भी होता है। गोंद, जिससे स्मार्टफोन स्क्रीन पर टेम्पर्ड ग्लास चिपता है वह मैन्युफैक्चरिंग का एक प्रमुख कम्पोनेंट है। कम क्षमता वाले टेम्पर्ड ग्लास बनाने की मशीनों की कीमत लगभग 75,000 रुपये है जबकि उच्च क्षमता वाले मशीनों की लागत 1.5 लाख रुपये से अधिक है।
पेपर बैग्स (Paper bags)
कागज से बने ईको-फ्रेंडली बैग और पैकेजिंग लोकप्रिय हो गए हैं क्योंकि लोगों को एहसास है कि पर्यावरण के लिए गैर-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बैग कितने हानिकारक हैं। पेपर बैग का उपयोग शॉपिंग आइटम, खाद्य पदार्थ, चिकित्सा आइटम, आभूषण और बहुत कुछ पैक करने के लिए किया जा सकता है। पेपर बैग बनाने की शुरुआत कम निवेश के साथ छोटे पैमाने पर की जा सकती है। स्वचालित पेपर बैग बनाने वाली मशीनें लगभग 5 लाख रुपये से शुरू होती हैं और इनमें बड़ी क्षमता होती है जैसे- प्रति घंटे लगभग कुछ हजार इकाइयाँ। अर्ध-स्वचालित अर्थात सेमी-ऑटोमैटिक मशीनें भी 3 लाख रुपये से कम में उपलब्ध हैं, लेकिन इनमें अधिक मैनुअल काम और श्रम लगता है। उद्यमियों को कच्चे माल जैसे कि कागज की चादरें, स्याही, छपाई रसायन, टैग आदि में भी निवेश करने की आवश्यकता होती है।