बाजार मिलता नहीं बाजार पैदा करना पढ़ता है , पढ़ें इस युवति की कहानी

राजस्थान के जयपुर में रहने वाली अन्नू कँवर, मशरूम की खेती और प्रोसेसिंग (Mushroom Business) करतीं हैं। मशरूम से वह कई तरह के उत्पाद जैसे, अचार, पाउडर, सूप और नमकीन आदि बना रही हैं। अपने इन उत्पादों को वह अपने ब्रांड नाम आमल्दा ऑर्गेनिक्स के ज़रिए ग्राहकों तक पहुंचा रहीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि अन्नू ने मशरूम की प्रोसेसिंग, कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में शुरू की थी।
वह कहतीं हैं, “यह सच है कि कोरोना ने हम सबके जीवन को बहुत प्रभावित किया है। पहले मुझे भी लगा था कि अब क्या होगा? क्योंकि मशरूम को आप ज्यादा दिन तक प्रिजर्व करके नहीं रख सकते और उन दिनों सभी बाज़ार भी बंद हो गए थे। ऐसे में मैंने काफी पढ़ा, रिसर्च की तथा प्रोसेसिंग पर भी काम किया।”
मूल रूप से भीलवाड़ा के एक गाँव आमल्दा से संबंध रखने वाली अन्नू ने अपनी पढ़ाई ‘एग्रीकल्चर’ विषय से की है। ग्रैजुएशन करने के बाद, उन्होंने ‘एग्रीबिज़नेस मैनेजमेंट’ में MBA किया। वह बतातीं हैं, “मैं किसान परिवार से हूँ। हमारे परिवार के पास अच्छी ज़मीन है। फिर भी घर-परिवार का खर्च चलाना मुश्किल था। यह सिर्फ मेरे परिवार की नहीं, बल्कि हमारे सभी किसान रिश्तेदारों की भी यही हालत थी। तब मुझे लगता था कि इतनी ज़मीन होने के बावजूद भी अगर किसान परिवार अच्छा जीवन नहीं जी पा रहे हैं, तो क्या फायदा? इसलिए स्कूल के समय से ही मैंने ठाना कि मैं कृषि क्षेत्र में ही काम करुँगी। यही सोचकर मैंने 11वीं व 12वीं में भी ‘कृषि’ विषय लिया और इसी विषय में आगे की पढ़ाई की।”
MBA करने के बाद, अन्नू को गुजरात में एक कंपनी के साथ काम करने का मौका मिला। यह कंपनी कृषि क्षेत्र में काम करती है। यहां अन्नू ने सीखा कि कैसे कोई कृषि स्टार्टअप किसानों के साथ काम करता है। किसानों की क्या समस्याएं हैं और उन्हें कहाँ बदलाव लाने की जरुरत है? गुजरात में लगभग एक साल काम करने के बाद, वह राजस्थान आ गईं।
छात्रों को पढ़ाते हुए, मिली मशरूम की ट्रेनिंग
JECRC कॉलेज, जयपुर तथा विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी में भी उन्होंने लगभग दो साल बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर काम किया है। वह कहतीं हैं, “छात्रों के साथ अलग-अलग कृषि प्रोजेक्ट भी करने होते थे ताकि छात्रों को ज्यादा से ज्यादा सीखने का मौका मिले। उनके ‘उद्यम’ विषय के लिए हमने मशरूम पर काम किया। मैंने खुद सोलन और उदयपुर जैसी जगहों में स्थित अलग-अलग ट्रेनिंग सेंटर से मशरूम उगाने और इसकी प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग ली। छात्रों के साथ जब यह प्रोजेक्ट सफल रहा तो मैंने खुद अपनी कंपनी शुरू करने के बारे में सोचा।”
अन्नू ने ट्रेनिंग लेने के बाद खुद मशरूम उगाना शुरू किया। वह कहतीं हैं, “मशरूम के बारे में हमारे यहां अभी भी काफी कम जागरूकता है। इसलिए मैंने जब खुद मशरूम में सफलता देखी तो, इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया। मैंने जयपुर के आसपास के गांवों के किसानों और महिलाओं को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी। मशरूम को आप कम से कम लागत में शुरू करके, ज्यादा से ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं।”
अन्नू ने अपने काम के दौरान जो कुछ भी सीखा था, उस ज्ञान का उपयोग करते हुए उन्होंने अपना खुद का बिज़नेस शुरू करने का फैसला किया। साल 2018 में, उन्होंने अपने ब्रांड का रजिस्ट्रेशन कराया। इसके तहत पहले वह खुद मशरूम उगाकर और कुछ मशरूम अपने आसपास के किसानों से खरीदकर ग्राहकों तक पहुंचा रहीं थीं। उनकी योजना थी कि वह ज्यादा से ज्यादा किसानों और खासकर ग्रामीण महिलाओं को मशरूम की ट्रेनिंग देंगी।
लॉकडाउन ने दिखाई नयी राह
वह कहतीं हैं, “धीरे-धीरे हमारा काम आगे बढ़ रहा था। मैंने अपनी बचत से अपने इस काम को फंड किया, और परिवार का भी साथ मुझे मिला। लेकिन, 2020 में कोरोना माहमारी के दौरान लगे लॉकडाउन के चलते मेरी पूरी मेहनत मुझे बर्बाद होती दिखने लगी। हमारी मशरूम की उपज उन दिनों काफी आ रही थी। किसान फ़ोन कर रहे थे कि अब क्या करें? इन्हें कैसे आगे बेचेंगे? मैं भी परेशान थी। लेकिन मैंने दूसरा रास्ता तलाशने की सोची, और तब मुझे प्रोसेसिंग का ख्याल आया। पहले मैंने अपने यहां ही सभी एक्सपेरिमेंट किए। अचार, सूप, पाउडर, और नमकीन जैसे उत्पाद बनाए। इन सबका लैब टेस्ट भी कराया और जब एक-दो ट्रायल के बाद रेसिपी तैयार हो गई, तब मैंने गाँव की महिलाओं को इस काम से जोड़ा।”
आज अन्नू से जुड़े लगभग 50 किसान मशरूम उगा रहे हैं। लगभग 15 महिलाएं उनके साथ मशरूम के उत्पाद बनाने का काम कर रहीं हैं। फिलहाल उनका पूरा ध्यान इन उत्पादों की मार्केटिंग पर है। मार्केटिंग के लिए उन्होंने जयपुर में अपना खुद का एक स्टोर खोला है तथा सोशल मीडिया के ज़रिए वह लोगों से सीधा जुड़ रहीं हैं। फ़िलहाल, वह हर महीने लगभग 100 किलो मशरूम की प्रोसेसिंग करतीं हैं, और लगभग 50 हज़ार रुपए प्रतिमाह कमाई करतीं हैं।
अन्नू कहतीं हैं कि वह अपने सभी उत्पादों की कम मात्रा में पैकेजिंग कर रही हैं। ताकि ग्राहक कम से कम एक बार उत्पाद ट्राई करने के लिए जरुर खरीदें। उत्पाद को प्रयोग में लेने के बाद अगर ग्राहकों को उनके उत्पाद अच्छे लगते हैं, तो इससे उन्हें और आर्डर मिलते हैं।
अपने उत्पादों के बारे में बात करते हुए अन्नू बतातीं हैं, “हमारे सभी उत्पाद पूरी तरह से जैविक हैं। हम अपने अचार, नमकीन या किसी भी उत्पाद में कोई प्रिज़र्वेटिव नहीं मिलाते हैं। हमारी कोशिश होती है कि हम जो भी सामग्री इस्तेमाल करें वे सब जैविक हो। मशरूम की शेल्फ-लाइफ मुश्किल से छह-सात दिन ही होती है। लेकिन इससे बनने वाले अचार और नमकीन को आप महीने भर से भी ज्यादा समय तक इस्तेमाल में ले सकते हैं। इसलिए, मैं सभी किसानों को प्रोसेसिंग से जुड़ने की सलाह देती हूँ। प्रोसेसिंग से किसान सही बाज़ार न मिलने पर भी अपनी फसल को बर्बाद होने से बचा सकते हैं।”